मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने 20 फरवरी को विधानसभा का स्पेशल सेशन बुलाकर मराठा आरक्षण को मंजूरी दे दी थी। इसके बाद भी मराठा आंदोलन को आगे बढ़ा रहे मनोज जारांगे पाटिल ने चेतावनी दी थी कि यह गलत तरीके से आरक्षण दिया है और 17 दिनों की भूख हड़ताल करेंगे। इससे पहले 25 जनवरी को जब वह आंदोलन का नेतृत्व करते हुए मुंबई पहुंचे थे तो उनके साथ हजारों युवाओं की भीड़ थी। ऐसी स्थिति बन गई थी कि मनोज जारांगे पाटिल के आगे सरकार दबाव में थी और उनकी बातों को मानने के लिए मजबूर थी। लेकिन फरवरी के अंत तक कुछ ऐसे घटनाक्रम हुए कि मनोज जारांगे पाटिल अब शांत हो गए हैं।
इसके अलावा मराठा आंदोलन की टेंशन से भी भाजपा मुक्त लग रही है। पर अहम सवाल यह है कि आखिर ऐसा कैसे हुआ? दरअसल इसकी शुरुआत मनोज जारांगे पाटिल के एक उकसाने वाले बयान से हुई थी। उन्होंने डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस पर आरोप लगाया था कि वह उनकी हत्या भी करा सकते हैं। इसके अलावा उनके खिलाफ आपत्तिजनक बयान देते हुए उनके घर के घेराव की भी धमकी दी। इस बयान पर देवेंद्र फडणवीस सख्त हो गए और गृह मंत्रालय संभालने वाले डिप्टी सीएम ने बीड़ में हुई हिंसा की एसआईटी जांच का आदेश दे दिया। यह हिंसा पहले वाले मराठा आंदोलन के दौरान हुई थी।
इसके अलावा एसआईटी के हेड के तौर पर नासिक के पुलिस कमिश्नर संदीप कार्णिक को जिम्मा दिया गया। उन्हें जांच के लिए तीन महीने का वक्त मिला। इसी दिन पुणे पुलिस ने जारांगे पाटिल और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया। इन पर आरोप था कि बिना परमिशन के इन लोगों ने 23 जनवरी को रैली निकाली थी। इस एसआईटी जांच पर मराठा समुदाय की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। इससे भी मनोज पाटिल का हौसला कुछ कमजोर हुआ। अब बीते कुछ दिनों से वह ऐक्शन में नहीं दिख रहे हैं। एक समय में 24 घंटे मराठी चैनलों पर दिखने वाले मनोज जारांगे पाटिल ने पहले 27 फरवरी को फडणवीस का घर घेरने का फैसला टाल दिया। इसी दिन 17 दिनों की भूख हड़ताल भी वापस ले ली।
कैसे भाजपा ने कर दिया मनोज जारांगे पाटिल को शांत?
सरकार के सूत्र बताते हैं कि देवेंद्र फडणवीस और कुछ अन्य भाजपा नेताओं ने एकनाथ शिंदे से इस मसले पर बात की। उन्होंने कहा कि आप मनोज पाटिल को बढ़ावा दे रहे हैं और ऐसा ही रहा तो हम संबंध भी खत्म कर सकते हैं। एक भाजपा ने कहा, ‘हममें से ज्यादा लोग मानते थे कि शिंदे के साथ मनोज जारांगे पाटिल के आंदोलन को समर्थन कर रहे हैं। पुलिस को भी इस बारे में कुछ जानकारी मिली थी। इसके बाद हमने एकनाथ शिंदे से कहा कि आप ऐसा नहीं कर सकते कि आंदोलन की आड़ में अपनी छवि मजबूत करें और हमारी पार्टी के लिए मुश्किल खड़ी कर दें।’ भाजपा ने कहा, ‘हमारी लीडरशिप ने भी शिंदे से कहा कि वह पाटिल के मसले पर सार्वजनिक बयान दें।’
सरकार भी बची और विपक्ष भी आया बैकफुट पर
इसके बाद ही एकनाथ शिंदे ने मनोज जारांगे पाटिल को चेतावनी दी थी कि वह हद में ही रहें। उससे बाहर निकलने पर ऐक्शन लिया जाएगा। इसके बाद जब मनोज जारांगे पाटिल के खिलाफ जांच का आदेश हुआ तो गठबंधन के वे लोग पीछे हट गए जो सपोर्ट कर रहे थे। इसके अलावा देवेंद्र फडणवीस ने मराठा कोटे की मांग के जवाब में ओबीसी कार्ड खेल दिया। इसे लेकर विपक्ष भी पसोपेश में आ गया और अंत में उसे मराठा कोटे पर आक्रामकता छोड़नी पड़ी। इस तरह भाजपा ने मनोज जारांगे पाटिल को हैंडल कर सरकार भी बचा ली और विपक्ष को भी बैकफुट पर धकेल दिया।