अर्जुन सिंह
दिल्ली। जन्माष्टमी भाद्रपद महा के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु ने भगवान कृष्ण के रूप में अवतार लिया। आपको जन्माष्टमी से जुड़ी पूरी जानकारी के बारे में क्या कहना है, जानी-मानी ज्योतिषाचार्य सुनीता शर्मा का आपको बताने है। उनका कहना है कि, इस बार लोगों के बीच भ्रम की स्थिति बनी हुई है की, जन्माष्टमी 6 सितंबर की है या फिर 7 सितंबर की, भविष्य पुराण के अनुसार जन्माष्टमी के समय मतलब जिस समय कृष्ण भगवान का जन्म हुआ था। जिसमे यह सब योग होने चाहिए, उस समय भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी हो, अर्धरात्रि हो, सूर्य अपनी राशि और चंद्रमा वृष राशि में उच्च का हो, साथी ही रोहिणी नक्षत्र हो और शुभ योग हो।
यह सब 6 सितंबर को रात 12 बजे का योग हैं। इसलिए 6 सितंबर को जन्माष्टमी मनाई जानी चाहिए। 6 सितंबर को अष्टमी दोपहर 3:37 के बाद शुरु है और, 7 सितंबर को शाम 4:15 अष्टमी है और, रोहिणी नक्षत्र 6 सितंबर को 9:19 सुबह से शुरु होकर, 7 सितंबर को 10:23 तक रहेगा। इस समय रात्रि में कृष्ण जन्म अष्टमी मनाई जानी चाहिए। यह समय भगवान श्री कृष्ण से जो कुछ भी मांगे, वह इच्छा जरुर पूरी होती है। परेशानियों के समाधान के लिए भगवान कृष्ण से प्रार्थना करें। भगवान कृष्ण को खीर का भोग लगाएं। खीर साबूदाने या मखाने की हो, उसमें चीनी की जगह मिश्री डाले। घर के सदस्य खीर को प्रसाद के रूप में खाएं।
ध्यान देने वाली बात यह है कि इस दिन तुलसी ना तोडे तुलसी एक दिन पहले ही तोड़ ले। जो भी व्यक्ति काल सर्प योग की वजह से परेशान है। मतलब जिनकी कुंडली में राहु केतु के बीच में सभी ग्रह आ जाते हैं। जिसकी वजह से जिंदगी में बहुत परेशानियां आती रहती हैं। जन्म अष्टमी के दिन आप श्री कृष्ण भगवान को मोर का पंख जरुर अर्पित करें। ऐसा करने से आपको अपनी परेशानियों से निकलने में जरूर मदद मिलेगी। मोर सांप को खा जाता है। श्री कृष्ण भगवान ने मोर के पंख को धारण किया हुआ है। इससे हमारी समस्याओं का निदान होगा।