नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी की तरफ से अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी की आशंका वैसे ही जतायी जा रही है, जैसे पहले मनीष सिसोदिया और संजय सिंह को लेकर बातें होती रहीं. मनीष सिसोदिया को लेकर तो अरविंद केजरीवाल यहां तक बोल दिये थे कि उनके गिरफ्तार हो जाने की सूरत में आम आदमी पार्टी के चुनाव भी जीत जाएगी.
अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी की बात ऐसे वक्त चल रही है, जब लोक सभा चुनाव 2024 का समय काफी नजदीक आ चुका है. ईडी के समन को लेकर आम आदमी पार्टी के नेता और खुद अरविंद केजरीवाल भी चुनाव प्रचार से रोकने की साजिश बता रहे हैं.
वैसे ईडी ने अरविंद केजरीवाल को पहला समन 2 नवंबर, 2023 को भेजा था, जब देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे थे. ईडी का दूसरा समन चुनाव नतीजे आने के बाद अरविंद केजरीवाल को मिला था, लेकिन जवाबी खत भेज कर वो विपश्यना करने पंजाब रवाना हो गये. तीसरे समन में अरविंद केजरीवाल के लिए पेशी की तारीख ईडी ने 3 जनवरी, 2024 मुकर्रर की थी, लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री ने पेश होने से इनकार कर दिया.
AAP नेता की तरफ से ईडी से जो जवाब तलब किया जा रहा है, उसमें मुख्य रूप से दो बातें हैं. एक तो वो ये जानना चाहते हैं कि समन भेज कर उनको किस हैसियत से बुलाया जा रहा है? मसलन, गवाह या आरोपी. दूसरा, अरविंद केजरीवाल चाहते हैं कि ईडी के अफसर उनसे जो सवाल पूछने वाले हैं, पहले वो लिख कर भेज दें.
किसी भी कानूनी लड़ाई को राजनीतिक तरीके से लड़ने का ये बेहतरीन उदाहरण है. वैसे भी अरविंद केजरीवाल ईडी के एक्शन को अपने राजनीतिक विरोधी बीजेपी की तरफ से बदले की कार्रवाई ही मान कर चल रहे हैं. अपनी बातों को दमदार बनाने के लिए अरविंद केजरीवाल याद दिलाते हैं कि ऐसा कैसे होता है कि ईडी का समन आने से पहले बीजेपी नेता उनको गिरफ्तार किये जाने की संभावना जताने लगते हैं?
अरविंद केजरीवाल का दावा अपनी जगह तो है ही, जिस तरह दिल्ली के मुख्यमंत्री आवास के बाहर के बंदोबस्त नजर आ रहे हैं, लगता तो ऐसा ही है जैसे गिरफ्तारी करीब करीब पक्की हो – लेकिन सूत्रों के हवाले से आ रही खबर के मुताबिक, अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर अभी प्रवर्तन निदेशालय का कोई इरादा नहीं है.
ईडी की तरफ से हो रहे हर एक्शन के लिए अरविंद केजरीवाल केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार बता रहे हैं. अगर केजरीवाल के आरोपों के हिसाब से सोचें तो बीजेपी ऐसा तभी करेगी जब उसे कोई राजनीतिक फायदा हो – फिर तो ये सवाल उठता है कि आम चुनाव 2024 के दौरान अरविंद केजरीवाल के बाहर रहने से बीजेपी को ज्यादा फायदा होगा, या जेल चले जाने से?
अगर केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय गिरफ्तार कर लेता है
अव्वल तो सुनने में यही आया है कि प्रवर्तन निदेशालय का अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार करने का फिलहाल कोई प्लान नहीं है. लेकिन क्या पता ईडी के अफसरों का जोश कब हाई हो जाये? फर्ज कीजिये, गिरफ्तारी के फैसले को मंजूरी देने वाले अफसर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुंह से सुनी वो तारीफ याद आ जाये, जिसमें उनका कहना था कि जो काम जनता नहीं कर सकी, वो काम जांच एजेंसियों ने कर दिखाया, तो क्या होगा?
लोक सभा चुनाव नजदीक आ चुका है, और विपक्षी नेताओं को जांच एजेंसियों की तरफ से परेशान किये जाने के आरोप लगातार दोहराये जा रहे हैं. ये सवाल भी पूछा जा रहा है कि ईडी जैसी जांच एजेंसियों के निशाने पर विपक्षी खेमे के नेता ही क्यों आ रहे हैं?
अब सवाल ये उठता है कि अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी से फायदा किसे होगा? बीजेपी को या आम आदमी पार्टी को? और फायदे की बात करें तो ज्यादा फायदा किसे होगा? आम आदमी पार्टी को या बीजेपी को? और ऐसे में एक सवाल ये भी उठता है कि बीजेपी को फायदा अरविंद केजरीवाल के जेल जाने से ज्यादा हो सकती है, या उनके बाहर ही बने रहने से?
वस्तुस्थिति को समझने से पहले बीते हुए कुछ चुनावों के नतीजों पर ध्यान देना होगा. बात बीजेपी की है, इसलिए गुजरात चुनाव अपनेआप प्रासंगिक हो जाता है. फिलहाल बीजेपी पर सबसे ज्यादा दबदबा नागपुर के बाद गुजरात का ही है. नागपुर में आरएसएस का मुख्यालय है, और बीजेपी के दो सबसे बड़े नेता गुजरात से आते हैं. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा हिमाचल प्रदेश से आते हैं, जहां बीजेपी को अभी पिछले ही चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा है.
गुजरात चुनाव में अरविंद केजरीवाल की पार्टी को विधानसभा की 5 सीटें मिली थीं, लेकिन हिमाचल प्रदेश में सब कुछ हवा हवा ही नजर आया. अरविंद केजरीवाल के पक्ष में एक अच्छी बात ये रही कि उसी दौरान हुए एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी को पूरा फायदा मिला था. फिलहाल एमसीडी पर आम आदमी पार्टी का ही कब्जा है.
अरविंद केजरीवाल के लिए सबसे निराशाजनक रहा, मध्य प्रदेश के चुनाव नतीजे. चुनावी दौरे तो अरविंद केजरीवाल ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी किये थे, लेकिन मध्य प्रदेश पर ज्यादा मेहनत की गई थी. ईडी के नोटिस का जवाब देने के बाद भी मध्य प्रदेश में ही चुनाव कैंपेन के लिए गये थे – और अरविंद केजरीवाल के लिए सबसे तकलीफदेह बात रही कि वहां बीजेपी ने सरकार भी बना ली.
आम आदमी पार्टी की जमा पूंजी दिल्ली और पंजाब की राजनीतिक ताकत है. अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं, जिसे पूर्ण राज्य का दर्जा भी नहीं हासिल है. पंजाब में मुख्यमंत्री भगवंत मान हैं, लेकिन वहां आम आदमी पार्टी की सरकार बनने की परिस्थितियां दिल्ली से काफी अलग रहीं.