नई दिल्ली l दिल्ली में कोरोना के अचानक बढ़े मामलों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है. हालात फिर से खराब न हो जाएं, इसे देखते हुए सरकार अपनी मेडिकल सुविधाओं को मजबूत करने के साथ ही लोगों को कोरोना प्रोटोकॉल का लगातार पालन करने का भी आग्रह कर रही है.
कोरोना के केस बढ़ने के पीछे प्रदूषण तो नहीं
इसी बीच एक्सपर्ट ने अंदेशा जताया है कि दिल्ली में एकदम से कोरोना के मामले बढ़ने के पीछे यहां के वायु प्रदूषण (Air Pollution) का बड़ा हाथ हो सकता है. दरअसल दिल्ली में अप्रैल का औसतन प्रदूषण मार्च की तुलना में 19% ज्यादा और फरवरी से 11% ज्यादा रहा है. स्वीडन के वैज्ञानिकों की 20 अप्रैल को प्रदूषण और कोरोना के लिंक पर छपी स्टडी के मुताबिक प्रदूषण स्तर बढ़ने पर कोरोना के मामले भी बढ़ने लगते हैं.
4 अप्रैल से ही बढ़ रही कोरोना संक्रमण की दर
देश की राजधानी दिल्ली में अप्रैल महीने की शुरुआत से ही कोरोना संक्रमण (Coronavirus) रफ्तार पकड़े हुए है. 4 अप्रैल को दिल्ली में 38 दिनों के बाद कोरोना की रोजाना संक्रमण दर (Daily Positivity Rate) ने 1 प्रतिशत को पार किया था. वहीं दिल्ली में बीते 1 हफ्ते यानी 20 अप्रैल से कोरोना के रोजाना 1 हजार से ज्यादा मामले आ रहे हैं. दिल्ली में रोजाना 1 हजार से ज्यादा मामले आने का सिलसिला 68 दिनों बाद शुरू हुआ है.
20 अप्रैल से पहले दिल्ली में आखिरी बार 1 दिन में 1 हजार से ज्यादा कोरोना (Coronavirus) के मामले 10 फरवरी को आए थे. राजधानी दिल्ली में एकदम से इस तरह बढ़े कोरोना के मामलों पर विशेषज्ञों द्वारा अंदेशा जताया जा रहा है कि कहीं इसके पीछे शहर में एकदम से प्रदूषण (Air Pollution) का बढना तो नहीं है.
स्वीडन के रिसर्च में कोरोना और प्रदूषण में मिला लिंक
स्वीडन की कैरोलिंस्का यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने खराब प्रदूषण स्तर और इसकी वजह से कोरोना के मामले बढ़ने पर मई 2020 से मार्च 2021 तक स्वीडन के 4 हजार से ज्यादा लोगों पर एक स्टडी की थी. इसी स्टडी के नतीजे 20 अप्रैल को साइंटिफिक जर्नल JAMA Network Open में छपे थे. वैज्ञानिकों ने अपनी स्टडी में पाया कि मई 2020 से मार्च 2021 के बीच मे इन 4 हजार लोगों में से 425 लोग कोविड से संक्रमित हो गए थे.
जब वैज्ञानिकों ने कोविड से संक्रमित होने वाले लोगों पर और स्टडी की तो पता चला यह सभी लोग जिस शहर में रहते हैं, वहां प्रदूषण का स्तर कोविड से नहीं संक्रमित होने वाले लोगों के शहर से खासा ज्यादा था. वैज्ञानिकों के मुताबिक जो लोग कोरोना से संक्रमित हुए थे, उनके शहर का औसतन प्रदूषण स्तर PM2.5 में 4.4 micro gram per metre cube था.
पोस्टमैन की तरह काम करता है प्रदूषण
वहीं जिन्हें कोरोना नहीं हुआ था, उनके शहर का औसतन प्रदूषण स्तर PM2.5 में 3.8 micro gram per metre cube था. स्टडी में शामिल वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में बताया कि प्रदूषण एक CARRIER या आसान शब्दो मे कहें तो POSTMAN की तरह काम करता है. वो कोरोनावायरस के कड़ी को 6 फीट से भी ज्यादा दूरी पर किसी व्यक्ति के शरीर में आसानी से पहुंचाने में मदद करता है. ऐसे में अगर प्रदूषण (Air Pollution) स्तर ज्यादा होगा तो ज्यादा लोगों के कोरोना संक्रमित होने की संभावना बनी रहेगी.
दिल्ली में अगर कोरोना के मामलों के बढ़ने का पैटर्न देखें तो शहर में 24 फरवरी को आखिरी बार कोरोना (Coronavirus)की रोजाना संक्रमण दर 1% से ज्यादा थी. इसके बाद 4 अप्रैल को 38 दिनों के बाद कोरोना की रोजाना संक्रमण दर 1% के पार पहुचीं थी. वहीं फरवरी के महीने ने दिल्ली का औसतन प्रदूषण स्तर 225 था, जो मार्च में 7% कम हो कर 210 हो गया था.