नई दिल्ली: दिल्ली-NCR समेत पूरा उत्तर भारत प्रचंड गर्मी और लू के थपेड़े झेल रहा है। गर्मी का आलम यह है कि दिन तो छोड़िए रातें भी बेचैन कर रही हैं और लोग सो नहीं पा रहे हैं। दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत के कई शहरों में रात का तापमान रिकॉर्ड तोड़ रहा है। दिल्ली में मंगलवार की रात तापमान ने 55 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने जानकारी दी है कि दिल्ली में वर्ष 1969 के बाद से जून में मंगलवार की रात सबसे गर्म रात दर्ज की गई। सफदरजंग मौसम केंद्र पर कल रात का तापमान 35.4 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया गया ,जो पिछले 55 सालों में सबसे ज़्यादा है, जबकि पिछला रिकॉर्ड 34.7 डिग्री सेल्सियस का ही था। पिछले 24 घंटों के अंदर हीटवेव के कारण दिल्ली में 10 लोगों की मौत हुई है, जबकि 13 वेंटिलेटर पर पहुंच गए हैं।
इस बीच, IMD ने कहा है कि पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव के कारण दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित देश के उत्तरी हिस्सों में 21 जून तक भीषण गर्मी से कुछ राहत मिलने के आसार हैं लेकिन सवाल ये है कि आखिर दिल्ली जैसे शहरों में रातें इतनी गर्म क्यों हो रही हैं और पारा नया रिकॉर्ड क्यों बना रहा है। सवाल ये भी उठ रहे हैं कि दिल्ली हीट आईलैंड क्यों बन रहा है?
क्यों शहर बन रहे भट्ठी?
पटना स्थित शोध संस्थान इन्स्टीट्यूट फॉर एनवॉयरमेंट रिसर्च एंड रूरल डेवलपमेंट (IERARD) के डायरेक्टर रिसर्च और पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी के भूगोल विभाग के रिटायर्ड हेड डॉ. देवेंद्र प्रसाद सिंह ने हिन्दुस्तान लाइव को बताया कि दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में हो रहे निर्माण और हर साल बढ़ रहे कंक्रीट के जंगल की वजह से स्थिति इतनी भयावह हुई है। दरअसल, कंक्रीट की इमारतें दिन में गर्मी सोखती हैं और रात में उसे छोड़ती हैं। इससे शहरों में रात का न्यूनतम तापमान बढ़ रहा है।
डॉ. सिंह ने बताया कि इस साल की जलवायु दशाएं, मॉनसून की बेरुखी, हालिया चक्रवात, शहरों के कंक्रीटीकरण, ऊंची इमारतों द्वारा हवा की गति बाधित करना, बढ़ते वायु प्रदूषण और शहरों में बढ़ती गाड़ियों की भीड़ और आधुनिक जीवनशैली ने दिल्ली जैसे शहरों में अर्बन थर्मल आईलैंड के विकास को और बढ़ावा दिया है।
उन्होंने कहा कि अर्बन थर्मल आईलैंड जिसे हीट आईलैंड भी कहा जाता है, आमतौर पर एक महानगरीय क्षेत्र होता है, जो आसपास की तुलना में अधिक गर्म होता है। इसके पीछे अधिक ऊंची कंक्रीट की बिल्डिंग के अलावा उच्च जनसंख्या घनत्व और घरों में इस्तेमाल होने वाले एसी, रेफ्रिजेरेटर जैसे उपकरण और अन्य ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करने वाले कारक शामिल हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में निर्माण कार्य बढ़ते जा रहे हैं, जबकि हरियाली क्षेत्र सिकुड़ता जा रहा है।
समाधान क्या
इस समस्या का समाधान क्या हो सकता है, इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने संतुलित विकास और संतुलित जीवनशैली अपनाने पर जोर दिया। डॉ. सिंह ने कहा कि दिल्ली जैसे शहरों में हरित पट्टी का विकास करना होगा और एनसीआर में हरियाली बढ़ाने पर जोर देना होगा। इसके अलावा गाड़ियों से निकलने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था मजबूत करनी होगी और लोगों के बीच उसके प्रति रुझान विकसित करना होगा। मंबई जैसे उपनगरीय रेल सेवा जैसे विकल्पों पर विचार करना होगा और आमजनों को एसी जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का संतुलित इस्तेमाल के साथ-साथ पुरानी जीवनशैली की ओर लौटना होगा। उन्होंने कहा कि ऊंची इमारतों में ग्रीन बेल्ट डेवलपमेंट को अनिवार्य शर्त बनाना होगा और डेवलपमेंट पैटर्न को बदलने की कार्ययोजना बनानी होगी।