नई दिल्ली। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा की शुरुआत के बाद से कांग्रेस और विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन से नेताओं के पलायन का सिलसिला जारी है. कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के बड़े चेहरे के बीच लोकसभा चुनाव 2024 से पहले भाजपा और एनडीए के दूसरे दलों में एंट्री के लिए होड़ लगी है. हालांकि, चुनाव से पहले दल-बदल की यह परिपाटी सियासत में नई नहीं है, लेकिन पहले यह टू-वे हुआ करता था. इस बार पूरा पॉलिटिकल ट्रैफिक वन-वे है.
हिमाचल प्रदेश में सियासी संकट तक पहुंचा मिलिंद देवड़ा से शुरू सिलसिला
लोकसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र में मिलिंद देवड़ा के कांग्रेस छोड़कर भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए में सहयोगी शिवसेना शिंदे में शामिल होने के बाद यह सिलसिला थमता नहीं दिख रहा. 15 राज्यों की 56 सीटों पर राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनाव के दौरान तो विपक्षी दल का कोई न कोई नेता भाजपा या एनडीए के दूसरे दलों में लगातार एंट्री ले रहे हैं. राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के बाद तो हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सुक्खू सरकार सियासी संकट में फंस गई है.
लोकसभा चुनाव 2024 में पीएम मोदी ने दिया भाजपा 370 और एनडीए 400 पार का नारा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा 2024 में भाजपा के लिए 370 सीट और एनडीए के लिए 400 पार का नारा दिया है. भाजपा और एनडीए के नेता इस लक्ष्य के लिए रात-दिन पसीना बहाने में जुटे हैं. चुनावी रणनीति को लेकर केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा खुद मैराथन मीटिंग्स कर रहे हैं. वहीं, विपक्षी दलों के बड़े नेताओं को भाजपा में लाने का जिम्मा संगठन महामंत्री बीएल संतोष, महामंत्री विनोद तावड़े, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व शर्मा की हाई लेवल टीम संभाल रही है. विपक्ष के जो नेता सीधे भाजपा में सूट नहीं करते उनको प्लानिंग के तहत एनडीए के दूसरे सहयोगी दलों में एडजस्ट किया जा रहा है.
40 या उससे ज्यादा लोकसभा सीटों वाले चार राज्यों पर ज्यादा फोकस, बाकी में भी गुरेज नहीं
भाजपा नेताओं की ये हाई लेवल टीम न सिर्फ विपक्षी नेताओं की स्क्रूटनी करती है बल्कि उनकी एंट्री पर पार्टी के अंदर या एनडीए में विवाद न पैदा हो इसका भी ख्याल रखती है. ये टीम बकायदा योजना बनाकर उन राज्यों की विपक्षी पार्टी के प्रमुख नेताओं को टारगेट कर रहे हैं जो अपने आलाकमान से असंतुष्ट हैं. देश में 40 या उससे ज्यादा लोकसभा सीटों वाले चार राज्य उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और बिहार पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है. हालांकि, इसके अलावा भी दूसरे राज्यों में कमल खिलाने के लिए इस स्ट्रैटजी को आजमाने से कोई गुरेज नहीं किया जा रहा है.
उत्तर प्रदेश में जयंत चौधरी की आरएलडी से शुरुआत, अब कतरा में सपा-बसपा के कई नेता
उत्तर प्रदेश में भी राज्यसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी के विधायकों की क्रॉस वोटिंग को भी दलबदल ही माना जा रहा है. भाजपा ने साथ देने वाले सभी विपक्षी विधायकों के लिए तोहफे भी तय कर दिए. उत्तर प्रदेश में जयंत चौधरी के एनडीए में शामिल होने के बाद विपक्षी दलों का इंडिया गठबंधन झटके से उबरा भी नहीं था कि राज्यसभा चुनाव में सब डंवाडोल हो गया.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में में सपा-कांग्रेस का सियासी समीकरण खराब हो ही चुका था. अब मनोज पांडेय, राकेश पांडेय, पूजा पाल, राकेश प्रताप सिंह, विनोद चतुर्वेदी, आशुतोष मार्य और अभय सिंह जैसे सपा विधायकों के बगावत से विपक्ष परेशान हो चुका है. अंबेडकरनगर से बसपा के सांसद रितेश पांडेय ने भी मायावती का साथ छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया है.
महाराष्ट्र में ट्रेलर थे मिलिंद देवड़ा, अशोक चव्हाण और बासवराज पाटिल के बाद भी पिक्चर बाकी
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मिलिंद देवड़ा के कांग्रेस छोड़कर शिवसेना में शामिल होने पर कहा था कि यह सिर्फ ट्रेलर है, पिक्चर तो अभी बाकी है. इसके बाद से राज्य में कांग्रेस के दिग्गज पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण और बासवराज पाटिल ने भाजपा में एंट्री की. पश्चिमी महाराष्ट्र और मराठवाड़ा सियासत में दखल रखने वाले मराठा समुदाय के दोनों बड़े नेताओं के बाद कई बड़े नेता भाजपा का दामन थाम चुके हैं. कई सही डील के इंतजार में है. लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेसी नेता बाबा सिद्दीकी ने एनडीए के साथी अजित पवार की एनसीपी का दामन थाम लिया.
गुजरात में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए पांच बार के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री राठवा
गुजरात में भी लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को करारा झटका देते हुए राज्यसभा सदस्य और पूर्व रेल राज्य मंत्री नारायण राठवा अपने बेटे संग्राम सिंह के साथ भाजपा में शामिल हो गए. राज्यसभा का अपना कार्यकाल पूरा होने से कुछ दिन पहले राठवा ने यह फैसला किया. पांच बार के सांसद और कांग्रेस के आदिवासी चेहरा राठवा से पहले सीनियर नेता और छोटा उदयपुर के विधायक मोहन सिंह ने कांग्रेस छोड़ी थी. 2022 में विधायक चुने गए सीजे चावड़ा और चिराग पटेल ने जनवरी, 2024 में कांग्रेस छोड़ दी थी.
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बिहार-झारखंड- पश्चिम बंगाल में भी भाजपा का ‘खेला’ तेज
बिहार में भाजपा ने पहले विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन की शुरुआत करने वाले जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार की एनडीए वापसी कराई. इसके बाद बिहार में कांग्रेस और राजद सत्ता से विपक्ष में चले गए. इसके बाद कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के तीन विधायक एनडीए में शामिल हो गए हैं. कांग्रेस विधायक मुरारी गौतम और सिद्धार्थ सौरव के अलावा राजद विधायक संगीता देवी भाजपा में शामिल हो गईं.
झारखंड में पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी और चाईबासा से प्रदेश की कांग्रेस की इकलौती सांसद गीता कोड़ा भाजपा में आ गईं. हेमंत सोरेन की सरकार जाने के बाद कांग्रेस के कई नेता भाजपा में आने की लाइन में हैं. वहीं, पश्चिम बंगाल में संदेशखाली को ममता बनर्जी के लिए नंदीग्राम और सिंगूर बनाने की कोशिश जारी है.
राजस्थान, हरियाणा के बाद पंजाब-जम्मू कश्मीर में नई रणनीति, पूर्वोत्तर में जोश हाई
राजस्थान में कांग्रेस विधायक महेंद्र जीत सिंह मालवीय इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए. हरियाणा में भाजपा के पुराने साथी बने हुए हैं. वहीं, पंजाब में शिरोमणि अकाली दल के एनडीए में वापसी के चांस बढ़ गए हैं. जम्मू कश्मीर में नेशनल कांफ्रेस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने बीते दिनों पीएम मोदी की तारीफ कर साफ संकेत दिए हैं. वहीं, पूर्वोत्तर में भाजपा का कॉन्फिडेंस पहले से ही हाई है.
दक्षिण के राज्य तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भी भाजपा का दम
तमिलनाडु में कांग्रेस की तीन बार की विधायक विजयाधरानी ने भाजपा में शामिल हो गईं. कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान भाजपा छोड़कर कांग्रेस में जाने वाले जगदीश शेट्टार भी वापस आ गए. पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की पार्टी जेडीएस एनडीए में आ गई. आंध्र प्रदेश में टीडीपी और जनकल्याण पार्टी भी एनडीए के साथ आने की राह में है. केरल में पीएम मोदी ने खुद दहाई अंक में सीट जीतने का विश्वास जताया है. तेलंगाना में भी भाजपा के कई फायरब्रांड नेता लगातार दम जुटा रहे हैं.