दिवाली आने के साथ ही उल्लू पर भी चर्चा शुरू हो गई है. दरअसल, विश्व वन्यजीवन कोष (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) ने उल्लू को लेकर जागरुकता फैलने और इसकी तस्करी बंद करने की आवश्यकता जताई है. डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने उल्लू की बलि को लेकर ये फैसला लिया है. तो आज हम आपको बताते हैं कि दिल्ली पर उल्लू की चर्चा क्यों होती है. साथ ही जानते हैं उस कानून के बारे में, जिसमें उल्लू को लेकर सजा का प्रावधान है.
दिवाली पर क्यों होती है उल्लू की चर्चा? दरअसल, दिवाली पर उल्लू अंधविश्वास की भेंट चढ़ते हैं. भारत में उल्लुओं के बारे में यह धारणा है कि अगर दीपावली के मौके पर इस पक्षी की बलि दी जाए तो धन-संपदा में वृद्धि होती है. ऐसे में कई लोग उल्लुओं की बलि देते हैं, जिसके कारण हर साल काफी संख्या में इस परिंदे को जान से हाथ धोना पड़ता है.
भारत में कितने उल्लू? भारत में उल्लू की 36 प्रजातियां पायी जाती हैं और इन सभी को भारत के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत शिकार, कारोबार या किसी प्रकार के उत्पीड़न से संरक्षण प्राप्त है. उल्लू की कम से कम 16 प्रजातियों की अवैध तस्करी एवं कारोबार किया जा रहा है.