नई दिल्ली। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेरिस में AI समिट में मंगलवार (11 फरवरी) को शिरकत की। यहां उन्होंने कहा कि “AI इस सदी के लिए मानवता के कोड लिख रहा है” और भारत इस बदलाव में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार है।
लेकिन सवाल यह है कि क्या भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में चीन और अमेरिका को टक्कर दे सकता है? AI के क्षेत्र में भारत, चीन और अमेरिका की स्थिति क्या है? क्या भारत वास्तव में AI सुपरपावर बन सकता है? आइए जानते हैं भारत की मौजूदा स्थिति, बजट और भविष्य की योजनाएं…
AI में भारत बनाम चीन बनाम अमेरिका: कौन सबसे आगे?
- अमेरिका: AI की दुनिया का लीडर
- AI रिसर्च, पेटेंट और इनोवेशन में सबसे आगे।
- 2023 में 20 अरब डॉलर (₹1.66 लाख करोड़) से ज्यादा का निवेश।
- AI स्टार्टअप्स में दुनिया का सबसे बड़ा निवेश।
- OpenAI (ChatGPT), Google DeepMind, Tesla AI जैसी कंपनियों के जरिए दुनिया पर दबदबा।
चीन: तेजी से उभरता AI सुपरपावर
- AI पेटेंट फाइलिंग में दुनिया में नंबर 1।
- 2023 में 10 अरब डॉलर (₹83,000 करोड़) का निवेश।
- Deepseek जैसे AI मॉडल लॉन्च किए, जो ChatGPT को टक्कर दे रहे हैं।
- 2030 तक AI में ग्लोबल लीडर बनने की योजना।
भारत: शुरुआती दौर में लेकिन तेजी से बढ़ता हुआ खिलाड़ी
- 2023-24 में मात्र ₹170 करोड़ का AI पर निवेश।
- 2025-26 के लिए ₹2,200 करोड़ (लगभग 0.27 अरब डॉलर) का बजट।
- AI में एडॉप्शन (इस्तेमाल) के मामले में सबसे आगे।
- सरकार 6 कंपनियों के साथ मिलकर भारतीय AI चैटबॉट विकसित कर रही है।
क्या भारत चीन को AI में टक्कर दे सकता है?
भारत 10 महीने में अपना खुद का AI चैटबॉट लाने की योजना बना रहा है, जो चीन के Deepseek मॉडल से भी बेहतर होगा। लेकिन इसके लिए भारी निवेश और रिसर्च इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होगी।
भारत के AI विकास की 5 बड़ी चुनौतियां…
- कम बजट: अमेरिका और चीन के मुकाबले भारत AI पर बहुत कम खर्च कर रहा है।
- रिसर्च में पिछड़ापन: भारत में AI रिसर्च की संख्या कम है और ग्लोबल पेटेंट्स भी सीमित हैं।
- टेक्नोलॉजी कंपनियों का पिछड़ना: Google, OpenAI और Baidu जैसी बड़ी AI कंपनियों की तरह भारत में कोई दिग्गज AI कंपनी नहीं है।
- डेटा सिक्योरिटी और एथिक्स: AI से जुड़ी डेटा सुरक्षा और नैतिकता के मुद्दे पर भारत में अभी नीति विकसित हो रही है।
- हार्डवेयर इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी: भारत में सेमीकंडक्टर्स और GPU (Graphics Processing Unit) निर्माण अभी शुरुआती स्तर पर है।
- लेकिन मोदी सरकार ने AI को लेकर कुछ बड़े कदम उठाए हैं, जिससे भारत को बढ़त मिल सकती है।
भारत सरकार की AI को लेकर नई योजनाएं और निवेश
- इंडियाएआई मिशन: 2000 करोड़ रुपये का निवेश
- अप्रैल 2024 में लॉन्च हुआ यह मिशन भारत में AI को तेजी से अपनाने पर फोकस करता है।
- स्टार्टअप्स और रिसर्चर्स को AI इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराया जाएगा।
- एग्रीकल्चर और हेल्थकेयर सेक्टर में AI को बढ़ावा मिलेगा।
AI सेंटर्स का विस्तार: ₹200 करोड़ का बजट
- शासन और सरकारी योजनाओं में AI को लाने की योजना।
- AI रिसर्च के लिए 3 नए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (CoE) स्थापित किए जाएंगे।
डीप टेक्नोलॉजी फंड: ₹20,000 करोड़ का निवेश
- AI, बायोटेक, रोबोटिक्स, सेमीकंडक्टर्स और नैनोटेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने के लिए फंड।
- GPU एक्सेस: भारतीय स्टार्टअप्स के लिए बड़ा मौका
- सरकार ने AI स्टार्टअप्स को GPU (Graphics Processing Unit) तक पहुंच देने का फैसला किया है।
- GPU की कमी के कारण भारतीय स्टार्टअप्स बड़े AI मॉडल नहीं बना पा रहे थे।
एजुकेशन और AI टैलेंट डेवलपमेंट
- सरकार 500 करोड़ रुपये से AI शिक्षा के लिए एक नया सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाएगी।
- स्कूल और कॉलेजों में AI कोर्सेज को बढ़ावा दिया जाएगा।
- क्या भारत 2027 तक AI सुपरपावर बन सकता है?
2027 तक AI पर निवेश (अनुमानित आंकड़े):
अमेरिका: ₹42 लाख करोड़ ($500 बिलियन)
चीन: ₹12 लाख करोड़ ($150 बिलियन)
भारत: ₹4 लाख करोड़ ($50 बिलियन)
भारत की ताकत
- भारत के पास दुनिया का सबसे बड़ा AI टैलेंट पूल है।
- AI का सबसे ज्यादा उपयोग भारत में ही हो रहा है।
- सस्ती डेटा कीमतें और डिजिटल क्रांति से AI का तेजी से विकास संभव है।
भारत की कमजोरियां
- अभी तक AI पेटेंट और रिसर्च में अमेरिका-चीन से बहुत पीछे।
- AI इंफ्रास्ट्रक्चर और हार्डवेयर मैन्युफैक्चरिंग में कमी।
- निजी कंपनियों और सरकार के बीच तालमेल की जरूरत।
- अभी भारत को क्या करना होगा?
- AI इंफ्रास्ट्रक्चर पर ज्यादा निवेश करना होगा।
- स्टार्टअप्स को फंडिंग और GPU जैसी सुविधाएं देनी होंगी।
- AI के लिए रिसर्च और इनोवेशन को बढ़ावा देना होगा।
- सेमीकंडक्टर और AI हार्डवेयर निर्माण को प्राथमिकता देनी होगी।