प्रकाश मेहरा
नई दिल्ली : दिल्ली में प्रदुषण को लेकर एक तरफ जनता परेशान है तो दूसरी तरफ केजरीवाल सरकार यमुना पर पल्ला झाड़ते दिख रहे हैं फ़िलहाल अगर यमुना की तस्वीरों को देखा जाये तो पूरी यमुना जहरीले झाक से तैर रहा है वही प्रदूषण कम करने को लेकर दिल्ली सरकार कड़े कदम उठाने की बात करती है पर अगर यमुना की बात की जाये तो तस्वीरों में साफ़ है कि कितनी साफ़ दिल्ली सरकार ने यमुना को किया। पिछले 5 वर्षों से भी अधिक समय से अरविन्द केजरीवाल यमुना की सफाई को लेकर बड़े बड़े वादे करते रहे हैं पर सफाई को लेकर समय बड़ा देते है इस मामले में न्यायालय ने केजरीवाल को फटकार भी लगाई थी बावजूद इसके यमुना आज तक साफ़ नहीं हो पाई जबकि अरविन्द केजरीवाल ने यमुना की सफाई को लेकर अपनी जिम्मेदारी बताई थी लेकिन अब हरियाणा और उत्तरप्रदेश को दोषी बताया है आप भी सुनिए क्या हैं केजरीवाल के मंत्री ?
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अगर कालिंदी कुंज की तरफ देखा जाय तो पूरी यमुना जहरीले झाक से तैर रहा है। पर सरकार के मंत्री पल्ला छुड़ाते नजर आ रहे हैं अगर पिछले पांच सालों की बात करें तो क्या बोले केजरीवाल आप भी सुनिए ? दिल्ली सरकार की माने तो यमुना साफ़ हो गई है तो क्या दिल्ली के मुख्य्मंत्री अरविन्द केजरीवाल यमुना में डुबकी लगाकर लोगों को आस्वस्थ करेंगे ?
यमुना की सफाई में सच्चाई
दिल्ली के मुख़्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से सवाल है कि आख़िर जो बजट यमुना सफाई अभियान के लिए पास किया गया था यमुना सफाई के लिए 19 जनवरी 2023 को 1028 करोड़ रुपये के अतिरिक्त फंड को मंजूरी दी गई थी पर यमुना की स्थति जस की तस बनी हुई है पर बताया गया कि अप्रैल 2023 में यमुना की सफाई पर 5 साल में ₹6800 करोड़ से ज्यादा खर्च। अब केजरीवाल सरकार पर तमाम सवाल खड़े होते हैं कि आख़िर जो बजट पेश किया जाता है वो धरातल पर क्यों नहीं ? जिन योजनाओं और घोषणाओं की चर्चा बड़े मंच से की जाती है आखिर वो धरातल पर सच क्यों नहीं ?