यह ठीक है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजद के नेता और अपने उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकार बता दिया है। उन्होंने खुले शब्दों में कहा है कि बिहार के लिए अब आगे का काम तेजस्वी करेंगे। फिर विधानसभा में उन्होंने कहा कि 2025 का चुनाव तेजस्वी का नेतृत्व में लड़ा जाएगा। पर लाख टके का सवाल है कि नीतीश कुमार अगले चुनाव से पहले कुर्सी छोड़ेंगे या नहीं? वे अपनी कुर्सी छोड़ कर विधानसभा की सबसे बड़ी पार्टी के नता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाएंगे या नहीं?
अगला चुनाव तेजस्वी की कमान में लडऩा एक बात है लेकिन वह कमान कैसी होगी? राजद और जदयू का गठबंधन तेजस्वी को मुख्यमंत्री का चेहरा बना कर चुनाव लड़ेगा या बतौर मुख्यमंत्री तेजस्वी चुनाव में उतरेंगे? राजद और जदयू के नेता इसे कोई बड़ी बात नहीं मान रहे हैं। राजद वाले खुश हैं कि नीतीश कुमार ने भतीजे तेजस्वी के लिए रास्ता खाली कर दिया। पर रास्ता खाली कहां हुआ है? अगर नीतीश ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे रहेंगे तो तेजस्वी के लिए 2025 का चुनाव आसान नहीं होगा। वैसे भी 2025 के चुनाव के बाद क्या समीकरण बनेगा और एक दर्जन पार्टियों वाले राज्य बिहार में सीटों का क्या समीकरण उभरता है यह कौन जानता है!
एक बड़ा सवाल यह भी है कि जब नीतीश कुमार पूरे देश की राजनीति करनी है और विपक्ष को एकजुट करके 2024 में भाजपा को हरान है, भाजपा मुक्त भारत बनाना है तो क्या यह काम वे बिहार का मुख्यमंत्री रहते ही करेंगे या मुख्यमंत्री पद उसी समय छोड़ देंगे? अगर उनको मोदी के लिए चुनौती तैयार करनी है तो कायदे से उनको मुख्यमंत्री पद छोड़ कर लोकसभा का चुनाव लडऩा चाहिए और फ्रंट से लीड करना चाहिए। अगर वे कह रहे हैं कि भाजपा को हराने के लिए वे जो मोर्चा बना रहे हैं वह कोई थर्ड फ्रंट नहीं होगा, बल्कि मेन फ्रंट होगा तो उसके फ्रंट में तो खुद उनको होना होगा।
नीतीश कुमार 2024 में मोदी को हराने की बात कर रहे हैं और तेजस्वी के 2025 में कमान संभालने की बात कर रहे हैं तो यह बात कुछ जमती नहीं है। इसका यह भी मतलब है कि वे खुद ही 2024 की सफलता को लेकर आश्वस्त नहीं हैं और इसलिए उसके बाद भी सीएम की कुर्सी पर जमे रहना चाहते हैं। अगर उनको 2024 के लिए भरोसा है तो तेजस्वी को डेढ़ साल और क्यों इंतजार कराना है? वे पहले ही उनको सीएम बना दें और डेढ़ साल तक मुख्यमंत्री रहने के बाद तब तेजस्वी 2025 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन का नेतृत्व करें! अगर ऐसी नहीं होता है तो नीतीश कुमार की मंशा पर सवाल उठते रहेंगे। तभी बिहार भाजपा के नेताओं ने कहा है कि अगर 2024 में नीतीश का अभियान कामयाब नहीं होता है तो वे फिर पलटी मार सकते हैं।