मॉस्को ,31 मई । रूस से तेल आयात को काफी ज्यादा कम करने के यूरोपीय संघ के फैसले के बाद भारतीय विदेश मंत्री पूर्वी यूरोप के दौरे पर रवाना हो गये हैं। यूरोपीय संघ ने साल 2022 के अंत तक रूस से तेल आयात में 90 प्रतिशत की कटौती करने का फैसला लिया है और यूरोपीय संघ के इस फैसले के बाद भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर यूक्रेन युद्ध के जमीनी स्तर पर आकलन के लिए बुधवार रात पूर्वी और मध्य यूरोप के लिए रवाना हो गए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर स्लोवाकिया के ब्रातिस्लावा और चेक गणराज्य के प्राग का दौरा करेंगे, जहां उन्होंने दो दशक पहले भारतीय राजदूत के रूप में काम किया था। रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय विदेश मंत्री पूर्वी यूरोप और मध्य यूरोप के अपने दौरे पर उन देशों को धन्यवाद देंगे, जिन्होंने यूक्रेन से भारतीय लोगों को बाहर निकालने में भारत के ऑपरेशन गंगा के दौरान मदद की थी। आपको बता दें, ऑपरेशन गंगा के तहत, मोदी सरकार ने इस साल फरवरी-मार्च में युद्धग्रस्त यूक्रेन से 23,000 से अधिक भारतीय नागरिकों को निकाला था। यूरोप यात्रा के दौरान भारतीय विदेश मंत्री ने हंगरी के विदेश मंत्री पीटर सिज्जार्टो से 27 मई को मुलाकात की थी और यूक्रेन के लंबे युद्ध और विभिन्न क्षेत्रों में इसके प्रभावों पर दस्तक पर एक स्पष्ट चर्चा साझा की। आपको बता दें कि, हंगरी ही वो देश था, जिसनमे भारत को पूर्वी और मध्य यूरोपीय देशों के साथ-साथ यूरोपीय संघ के साथ लगातार जुड़े रहने की आवश्यकता से अवगत कराया था।
रूस की सेना अभी भी पूर्वी यूक्रेन में ऑपरेशन को अंजाम दे रही है और डोनबास और लुहान्स्क क्षेत्र पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश कर रही है, जिससे यूरोप के पूर्वी, मध्य और बाल्टिक राज्यों के लिए एक गंभीर सुरक्षा खतरा बन गया है, जिसमें पश्चिमी यूरोप के लिए हमेशा की तरह व्यापार होता है। जबकि युद्ध पर नजर रखने वालों का मानना है कि रूस यूक्रेन के पूर्वी हिस्से पर कब्जा करने के बाद कीव के साथ शांति के लिए बातचीत करेगा। साथ ही लिखित गारंटी की मांग करेगा, कि यूक्रेन किसी भी हाल में नाटो में शामिल नहीं होगा, जबकि, पूर्वी यूरोप का मानना है कि युद्ध को समाप्त करने में दोनों पक्षों का कोई प्रोत्साहन नहीं है। वहीं, भारत ने अभी भी यूक्रेन युद्ध पर अपनी स्थिति न्यूट्रल बरकरार रखी है।
यूरोपीय संघ के राजनयिकों ने कहा कि यूरोपीय संघ के नेता सोमवार और मंगलवार को ब्रसेल्स में एक शिखर सम्मेलन में रूस से तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने के लिए सैद्धांतिक रूप से सहमत होने के लिए तैयार हो चुके हैं, लेकिन रूसी तेल आयात पर कैसे प्रतिबंध लगाया जाएगा, इसपर फैसला आने वाले हफ्तों में लिया जाएगा। फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन ने कहा कि, हम रूस पर प्रतिबंध लगाने के छठे पैकेज की तरफ बढ़ रहे हैं। इस फैसले के मुताबिक, रूस से तेल आयात पर 27 देश सहमत हो रहे हैं, जिसमें रूस से कच्चे तेल के आयात पर प्रतिबंध लगाने पर फैसला लिया जाएगा।