Upgrade
पहल टाइम्स
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
No Result
View All Result
पहल टाइम्स
No Result
View All Result
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • ईमैगजीन
Home विशेष

पशु देश की धरोहर

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
August 25, 2022
in विशेष
A A
1
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp

अजय दीक्षित

जुलाई की शुरुआत से दुधारू पशुओं को गिरफ्त में लेने वाले लम्बी त्वचा रोग से निपटने में विभिन्न सरकारों ने जैसी हीला-हवाली की उसका नतीजा है कि पशुपालक किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है । समय रहते इसके उपचार को गम्भीरता से न लेने का ही परिणाम है कि देश के कई राज्यों के पशु इस रोग से मर रहे हैं । इतना ही नहीं, दुधाऊ पशुओं ने दूध देना कम कर दिया है ।  हालत यह है कि पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात व जम्मू कश्मीर में हजारों जानवर इस रोग की चपेट में हैं । रोग की चपेट में आने वाले पशुओं में गायें ज्यादा हैं । यदि अधिकारी राज्यों की सीमाओं पर सख्ती बरतते तो इस रोग का अन्तर्राज्यीय स्तर पर प्रसार न होता ।  फिलहाल तो डेयरी उद्योग से जुड़े किसान बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं ।

इन्हें भी पढ़े

वक्फ कानून

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर आंशिक रोक, वक्फ बाय यूजर सुरक्षित, कानून लागू।

September 16, 2025
wcl

वेकोलि में ‘स्वच्छता ही सेवा 2025’ एवं ‘विशेष अभियान 5.0’ का उत्साहपूर्वक हुआ शुभारंभ

September 15, 2025
sushila

नया नेपाल…सुशीला सरकार! सुशीला को कमान, क्या संभल जाएगा नेपाल?

September 13, 2025
pm modi

पीएम मोदी के मणिपुर दौरे से विपक्ष क्यों परेशान? मिजोरम-मणिपुर को सौगात, सियासी बरसात !

September 13, 2025
Load More

बताते हैं कि यह रोग जहां गायों की दूध देने की क्षमता में कमी लाता है, वहीं प्रजनन क्षमता पर भी प्रतिकूल असर डालता है ।  वहीं दूसरी ओर हजारों मृत पशुओं के शवों का निस्तारण भी बड़ी चुनौती है। शवों का निपटान वैज्ञानिक तरीके से नहीं हो पा रहा है। कई जगह जानवरों के शव खुले में पड़े रहते हैं। घोर कुप्रबंधन का आलम यह है कि पशुपालक मरे जानवरों के शवों को नदी – नहरों में फेंक जाते हैं। बताया जाता है कि अकेले पंजाब में ही चार हजार से अधिक पशु मर चुके हैं और 75 हजार इस रोग से पीडि़त हैं। निस्संदेह, इस बड़ी चुनौती से मुकाबले को बहुकोणीय नजरिये से युद्ध स्तर पर काम करने की जरूरत है। जहां तुरंत उपचार व रोग की रोकथाम के लिये अतिरिक्त धन की मंजूरी जरूरी है, वहीं पशु चिकित्सालयों में पर्याप्त चिकित्सकों व कर्मचारियों की उपलब्धता की तत्काल आवश्यकता है। साथ ही वैकल्पिक वैक्सीन किसानों की सहज पहुंच में होनी चाहिए। पशु पालकों को जागरूक करने तथा रोग के प्रसार को रोकने के वैज्ञानिक उपायों के बारे में बताना भी जरूरी है ।  बहरहाल, इस संक्रामक रोग से हालात इतने बिगड़ गये हैं कि समाज में स्वास्थ्य व पर्यावरणीय संकट की चुनौती पैदा हो गई है ।

इस रोग के चलते चुनौतियों की एक श्रृंखला उत्पन्न हुई है ।  वहीं पशु चिकित्सकों की कमी से समस्या और विकट हो रही है ।  इस रोग से जुड़े अनुसंधान के बाद पता लगाया जाना चाहिए कि रोग की रोकथाम के लिये जो वैकल्पिक वैक्सीन दी जा रही है क्या वह स्वस्थ पशुओं को रोग से बचाने में कारगर है ।  दरअसल, विशेषज्ञों की सलाह के बावजूद अफवाहें फैलायी जा रही हैं कि रोग के चलते गाय का दूध पीना नुकसानदायक हो सकता है ।  इस बाबत समाज में प्रगतिशील सोच बनाये जाने की जरूरत भी है ।  साथ ही वैज्ञानिकों की आवाज को प्रभावी बनाने की भी आवश्यकता है ।  वहीं इस संक्रामक रोग ने पिछले एक दशक में जानवरों को दफनाने के लिये आरक्षित स्थानों को खुर्द-बुर्द करने के संकट को भी उजागर किया है ।  अवैध कब्जों के चलते इसमें लगातार संकुचन हुआ है ।  वहीं इस समस्या के विस्तार की एक वजह यह भी है कि चर्मकर्म से जुड़े लोगों का मृत पशुओं के निस्तारण में रुझान कम हुआ है ।  जिसकी एक वजह यह भी है कि चमड़े, हड्डियों व खुरों की बिक्री से होने वाला लाभ कम हो गया है ।  फलत: मृत जानवरों के शवों को उठाने के वार्षिक अनुबंध की प्रथा समाप्त होने के कगार पर है ।  दरअसल, इस समस्या के सभी कोणों पर विचार करना भी जरूरी है। साथ ही निवारक कदमों के साथ इस रोग से बचाव को लेकर जागरूकता फैलायी जानी चाहिये क्योंकि साल-दर-साल इस रोग का प्रसार बढ़ा है ।  हाल के वर्षों में लम्पी स्किन डिजीज़ से रुग्णता पचास फीसदी तक बढ़ी है और मृत्यु दर भी एक से पांच फीसदी के भीतर है ।  ऐसे में इस रोग के खात्मे और पशुपालकों की जीविका बचाने के लिये दीर्घकालीन रणनीति पर काम करने की जरूरत है ।  यह रोग हर साल राज्यों की सीमाओं को पार करके कहर बरपा रहा है ।

इन्हें भी पढ़ें

  • All
  • विशेष
  • लाइफस्टाइल
  • खेल
Writer Lakshmi Puri was awarded the 'Pandit Haridatt Sharma Award'

लेखिका लक्ष्मी पुरी को ‘पंडित हरिदत्त शर्मा पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया

June 11, 2025
Kedarnath

शीतकाल के लिए बाबा केदारनाथ के कपाट हुए बंद

October 27, 2022
पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल

क्या है पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, जिसे मोदी कैबिनेट से मिली मंजूरी? समझें

July 6, 2023
पहल टाइम्स

पहल टाइम्स का संचालन पहल मीडिया ग्रुप्स के द्वारा किया जा रहा है. पहल टाइम्स का प्रयास समाज के लिए उपयोगी खबरों के प्रसार का रहा है. पहल गुप्स के समूह संपादक शूरबीर सिंह नेगी है.

Learn more

पहल टाइम्स कार्यालय

प्रधान संपादकः- शूरवीर सिंह नेगी

9-सी, मोहम्मदपुर, आरके पुरम नई दिल्ली

फोन नं-  +91 11 46678331

मोबाइल- + 91 9910877052

ईमेल- pahaltimes@gmail.com

Categories

  • Uncategorized
  • खाना खजाना
  • खेल
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • दिल्ली
  • धर्म
  • फैशन
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • विश्व
  • व्यापार
  • साक्षात्कार
  • सामाजिक कार्य
  • स्वास्थ्य

Recent Posts

  • झंकार महिला मंडल ने की एंटी-ड्रग्स कैम्पेन
  • इन लोगों को हर महीने 6 हजार रुपये देगी दिल्ली सरकार?
  • मोबाइल इंटरनेट चालू, वाई-फाई पर प्रतिबंध; इस देश में लिया गया अनोखा फैसला

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.

  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.