देवों के देव महादेव की पूजी के लिए प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है. मान्यता है कि इस व्रत के दौरान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं. लेकिन पूजा में कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. आइए जानें क्या हैं वो.
प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा पाने के लिए रखा जाता है. इस दिन सच्ची श्रद्धा और विधि-विधान से पूजा करने से घर की दिरिद्रता और दोष दूर होते हैं. सूर्यास्त और रात्रि के संधिकाल के समय को प्रदोष काल कहा जाता है. मान्यता है कि शिव की भक्ति के लिए यह समय सबसे शुभ होता है. नवंबर माह में सोम प्रदोष व्रत 21 नवंबर 2022 को पड़ रहा है. प्रदोष व्रत रखनें से व्रती के सभी कष्ट शीध्र ही दूर होते हैं और उन्हें सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है. आइए जानें इस व्रत में क्या करना और क्या नहीं करना चाहिए.
सोम प्रदोष की पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार इस साल मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि 21 नवंबर 2022 को प्रात:काल 10:07 बजे से शुरू होकर 22 नवंबर 2022 को प्रात:काल 08:49 बजे समाप्त होगी. इस दिन भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा के लिए पूजा का सबसे उत्तम प्रदोष काल का समय सायंकाल 05:25 से रात्रि 08:06 बजे तक रहेगा.
प्रदोष व्रत में ये करें
- व्रत के दिन सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें
- शिव पूजा के वक्त लपत्र, अक्षत, दीप, धूप, गंगाजल आदि को भोलेनाथ पर अर्पित करें.
- यदि आप ने यह व्रत रखा हा तो प्रयास करें कि इस दिन कुछ न खाएं. यदि आप बीमार हैं तो व्रत न रखें.
- पूजा शुरू करने से पहले पूजन स्थल को गंगाजल के छिड़काव से स्वच्छ कर लें.
- जल चढ़ाते वक्त ऊँ नम: शिवाय का जाप करें.
- पूजा करते वक्त ध्यान रखें की आप का मुख उतर-पूर्व दिशा में हो.
प्रदोष व्रत में न करें ये काम
व्रत के दौरान भूलकर भी चावल, अन्न, मिर्च, नमक आदि का सेवन न करें. अक्सर लोग व्रत के दौरान फलहार ज्यादा मात्रा में करते हैं. कोशिस करें कि फलाहार करके हमें अपना मुंह बार-बार झूठा न करें. यदि आप व्रत रखते हैं तो कोशिस करें की पूरे दिन में सिर्फ एक बार हल्का भोजन ही ग्रहण करें.