नई दिल्ली: आज यानी रविवार (10 सितंबर) को जी20 शिखर सम्मेलन का आखिरी दिन है. आज के कार्यक्रम की शुरुआत जी20 नेताओं के राजघाट पहुंचकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के साथ हुई. इसके बाद सभी नेता भारत मंडपम पहुंचकर वहां पौधे लगाएंगे और फिर समिट के तीसरे सेशन वन फ्यूचर पर चर्चा करेंगे लेकिन इससे पहले ही राष्ट्रपति जो बाइडेन वियतनाम के लिए रवाना हो गए हैं.
जो बाइडेन हनोई, वियतनाम होते हुए ही अमेरिका जाएंगे. उनके जाने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. बाइडेन एयरफोर्स वन एयरक्राफ्ट से शुक्रवार (8 सितंबर) को भारत पहुंचे थे. अमेरिकी राष्ट्रपति जिस रूट से जाएंगे, उसकी सड़कों को पूरी तरह से छावनी में बदल दिया जाएगा. रूट पर होने वाली हर गतिविधि पर नजर रखने के लिए अमेरिकी सीक्रेट सर्विस के एजेंट्स पहले से मौजूद रहेंगे.
बढ़ेगी चीन की टेंशन
बता दें कि, अमेरिका लगातार वियतनाम के साथ अपने रिश्तों को सुधारने की कोशिश में लगा हुआ है. ऐसे में चीन की परेशानी बढ़ सकती है. बाइडेन और वियतनामी महासचिव गुयेन फु ट्रोंग हनोई में मिलेंगे और उम्मीद है कि वे आर्थिक सहयोग को मजबूत करने की योजना की घोषणा करेंगे. इससे चीन की टेंशन और बढ़ सकती है.
चीन क्यों हो रहा परेशान
दरअसल, चीन और वियतनाम के व्यापारिक संबंध काफी मजबूत हैं. इसके बावजूद भी दोनों देशों के बीच काफी गहरे मतभेद भी हैं. क्षेत्र में चीन के बढ़ते सैन्य और आर्थिक प्रभाव के बीच बाइडेन का दक्षिण-पूर्व एशिया में संबंधों को सुधारने और विस्तारित करने पर जोर देना चीन के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है. क्योंकि चीन और रूस दोनों लंबे समय से वियतनाम के लिए प्रमुख व्यापारिक साझेदार के रूप में काम कर रहे हैं. चीन की सीमा हनोई से 60 मील (96 किलोमीटर) से कम है और चीन के कई पड़ोसियों की तरह वियतनाम का भी दक्षिण चीन सागर में बीजिंग के साथ समुद्री और क्षेत्रीय विवाद है. दोनों पक्षों ने 1979 में एक संक्षिप्त युद्ध लड़ा था.
इंडो-पैसिफिक रीजन में चीन के बढ़ते आक्रामक और विस्तारवादी रुख को देखते हुए दुनिया के तमाम लोकतांत्रिक मूल्यों वाले देश चिंतित हैं. इनमें भारत समेत अमेरिका और बाकी के कई पश्चिमी देश भी शामिल हैं. ऐसे में बाइडेन का भारत और वियतनाम दौरा चीन के प्रभाव को जवाब देने के लिए भी एक संदेश के तौर पर देखा जा रहा है