पालमपुर। सी.एस.आई.आर.-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर के निदेशक डॉ. सुदेश कुमार यादव एवं डॉ. राकेश कुमार, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक ने अभी हाल ही में ताइपे, ताइवान में अंतर्राष्ट्रीय एशियाई पारंपरिक औषधि अध्ययन संघ (आईएएसटीएएम) और एशियाई चिकित्सा इतिहास संगठन (एएसएचएम) द्वारा आयोजित संयुक्त सम्मेलन में भाग लिया । इन दोनों संस्थायों की गिनती विश्व के अग्रणी संगठनों में की जाती है जो एशिया में दवाओं के अध्ययन को प्रोत्साहित करने के लिए समर्पित हैं। 20 से 24 जून, 2024 तक आयोजित इस सम्मेलन में विश्व के 29 देशों के 300 से अधिक प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों, चिकित्सकों, इतिहासकारों, पारंपरिक चिकित्सा विशेषज्ञों और विद्वानों ने भाग लिया। डॉ. सुदेश कुमार यादव को सम्मेलन के दौरान एक सत्र की अध्यक्षता करने का अवसर एवं सम्मान मिला, जिसमें उन्होने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता और नेतृत्व पर प्रकाश डाला।
डॉ. राकेश कुमार ने एक आमंत्रित पैनल भाषण दिया, जिसमें उन्होने हिमालय के औषधीय पौधों के क्षेत्र में सीएसआईआर-आईएचबीटी के अनुसंधान की प्रगति तथा क्षमता पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारतीय चिकित्सा की पारंपरिक प्रणाली पर चर्चा की और संस्थान की गतिविधियों के बारे में भी जानकारी दी, जिसमें हिमालयी औषधीय पौधों की जैव-विश्लेषण, मानक अर्क की तैयारी, फाइटोमॉलीक्युलस का इन विट्रो विश्लेषण और सिलिको/इन विवो/एक्स विवो में आशाजनक पौधों के अंशों की जैवसक्रियता परख आदि शामिल है।
इसी दौरान सीएसआईआर-आईएचबीटी प्रतिनिधिमंडल ने ताइपे, ताइवान में स्थित राष्ट्रीय चाइनिज चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (एनआरआईसीएम) का दौरा भी किया। अपने ताइवानी समकक्षों के साथ वैज्ञानिकों ने सहकार्य के लिए विचार-विमर्श और अनुसंधान पर चर्चा की। अपने प्रवास के दौरान डॉ. सुदेश कुमार यादव और डॉ. राकेश कुमार ने भारत-ताइपे संघ (आईटीए) के महानिदेशक (भारतीय राजदूत) श्री मानहरसिंह लक्ष्मणभाई यादव और उनके स्टाफ के साथ भेंटवार्ता भी की। इस दौरान सीएसआईआर-आईएचबीटी और ताइवानी संस्थानों के बीच संभावित सहयोग पर भी चर्चा की गयी, जिसमें प्रौद्योगिकियों और अनुसंधान प्रगति को सांझा करने के पारस्परिक सहयोग पर बल दिया गया। यात्रा के अनुभव पर विचार करते हुए डॉ. सुदेश कुमार यादव ने कहा, ये सम्मेलन हमारे अनुसंधान को साझा करने और विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ तालमेल की संभावना के लिए एक उल्लेखनीय मंच रहा है।
आईटीए के महानिदेशक से किए गए आपसी विचार-विमर्श फलदायी सिद्ध हुए है। इसके साथ ही उन्होने बताया कि जड़ी-बूटी से निर्मित दवाइयाँ, सगंध पौधों के उत्पादों, सुगंधित तेल, फूलों की खेती के क्षेत्र में सीएसआईआर-आईएचबीटी और ताइवानी संस्थानों का सहयोग भारत और ताइवान दोनों देशों के लिए लाभप्रद होगा। सीएसआईआर-आईएचबीटी प्रतिनिधियों की ताइपे यात्रा न केवल भारत के वैज्ञानिक योगदान को वैश्विक मंच पर रेखांकित करने, बल्कि वैश्विक साझेदारियों को मजबूत करने एवं वैज्ञानिक ज्ञान को आगे बढ़ाने में सफल रही।