राजशेखर चौबे
पुराने जमाने की कहानी है जब पूरे देश में भ्रष्टाचार व्याप्त था । दो कॉलेज के मित्रों में इस बात को लेकर बहस हो रही थी कि क्या कोल्ड ड्रिंक के ऊपर एक्साइज ड्यूटी (उत्पाद शुल्क) है । तीसरे मित्र ने आकर उनकी शंका का समाधान कर दिया और प्रमाण भी प्रस्तुत कर दिया । उसने बताया कि इंस्पेक्टर के घर पर प्रत्येक रविवार को एक क्रेट कोल्ड्रिंक उतारा जाता है। अब ऐसे किसी विवाद की गुंजाइश नहीं है क्योंकि सभी वस्तुओं पर वस्तु और सेवा कर लागू है। पहले हमें आटा दाल का भाव का अर्थ समझ नहीं आता था परंतु जी एस टी ने इसे भी अच्छी तरह समझा दिया है । वैसे महंगाई और टैक्स के सपोर्टर हमें अच्छी-अच्छी बातें समझाते हैं जैसे टैक्स से ही हमें फ्री वैक्सीन मिल रही है , गरीबों को फ्री राशन दिया जा रहा है , इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट का काम किया जा रहा है । कहा जाता है जो बहरा है वह गूंगा होगा ही । इसी तरह जो शासन का समर्थक है वह महंगाई और जी एस टी लगाने व बढ़ाने का भी समर्थक होगा ही। सबसे पहले वह किसका समर्थक बनता है और कैसे उसका विकास होता है यह शोध का विषय हो सकता है। जी एस टी का ठीकरा कॉउंसिल के ऊपर फोड़ा जा सकता है और फोड़ा भी जा रहा है ।
अचानक एक समर्थक और एक विरोधी मिल गए। समर्थक-अब जी एस टी को युक्तिसंगत कर दिया गया है। बड़े प्राइवेट अस्पताल लूटते थे। अब प्रतिदिन ?5000 प्रतिदिन वाले कमरे पर जी एस टी लगा दिया गया है।
विरोधी- कम से कम बीमार को बख्श देते।
समर्थक- होटल के कमरे जिनका किराया ?1000 प्रतिदिन से कम है उन पर भी केवल पांच प्रतिशत जी एस टी लगाया गया है।
विरोधी- रिसोर्ट के मंहगे कमरों पर जी एस टी बढ़ाना चाहिए । पहले पराठा और अब आटा पर भी टैक्स। पता नहीं आगे क्या होगा ?
समर्थक- पैक्ड दूध ,दही, दाल, मक्खन, लस्सी ,आटा, फ्रोजन मीट आदि पर जी एस टी लगाने का अर्थ पता है ।
विरोधी – आप तो परम ज्ञानी हैं । आप ही बताइए । समर्थक – शासन की मंशा पर सवाल नहीं करना चाहिए। उनकी मंशा है कि लोग छोटे दुकानदारों से खुले में यह सब वस्तुएं खरीदें और उनका व्यापार बढ़े या लोग दही ,मक्खन, लस्सी घर पर ही बनाएं।
विरोधी- धन्य हैं आप और आपके जैसे सपोर्टर । जिनके कार्यकाल में कारपोरेट की आय कई गुना बढ़ गई हो उनसे ऐसी प्रत्याशा केवल आप ही रख सकते हैं। सरकार को इसका क्रेडिट भी लेना चाहिए । फिर क्यों वे काउंसिल को जिम्मेदार बता रहे हैं।
समर्थक- आप तो नाराज हो गए । हीरे पर अभी भी केवल 1.5 प्रतिशत टैक्स है। आप खरीद लीजिए।
विरोधी- हंसकर , आपने हमें दाल आटा खरीदने लायक भी नहीं छोड़ा । आप लोग चाहते हैं कि लोग पढऩा लिखना भी छोड़ दें । कटर, पेपर, पेंसिल शार्पनर,नाइफ और यहां तक कि स्याही पर भी 18त्न टैक्स लगा दिया गया है । समर्थक-आजकल कौन स्याही और पेन आदि का इस्तेमाल करता है । यह कदम आई टी सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है।
विरोधी- धन्य हैं आप और हम ।
दोनों गिले-शिकवे भूलकर हंसने लगते हैं ।