नई दिल्ली l सुप्रीम कोर्ट ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा कि दोनों पक्षों ने इसके लिए संयुक्त आवेदन किया है, इसमें कहा गया है कि दोनों पक्षों ने आपसी बातचीत से विवाद सुलझा लिया है. कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते की डीड को रिकॉर्ड में लिया जाता है.
आपसी सहमति पर अदालत की मुहर
समझौते के मद्देनजर अब दोनों पक्ष आपस में हुए समझौते के आधार पर ही आगे काम करेंगे. इस मामले में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया कि दोनों पक्षों के बीच 10 हजार करोड़ रुपये के मुआवजे का दावा था, जिसे सुलझा लिया गया है.
वहीं अडानी पावर के वकील ने भी कोर्ट को बताया कि हम GUVL को बिजली की आपूर्ति जारी रखेंगे. CJI ने अटॉर्नी जनरल से जानना चाहा कि क्या कोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप किए बिना क्यूरेटिव याचिका की सुनवाई में समझौते को स्वीकार किया जा सकता है?
अंतिम मुहर से पहले सवाल-जवाब
अटॉर्नी जनरल और अडानी पावर की ओर से कहा गया कि संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत दी गई शक्तियों के आधार पर समझौते को स्वीकार किया जा सकता है. ये न्याय प्रक्रिया सम्मत होगा.
दरअसल GSVL ने सुप्रीम कोर्ट के 2019 में आए तीन जजों की पीठ के फैसले के खिलाफ क्यूरेटिव याचिका दाखिल की थी. इसमें कोर्ट ने GSVL और अडानी पावर के बीच हुए बिजली खरीद समझौते को खत्म किए जाने के फैसले को बरकरार रखा था. इस पर दोनों पक्षों ने आपसी बातचीत कर समझौते के अनुकूल शर्तें तय कर ली.