वाशिंगटन l अमेरिका ने एक बार फिर भारत को रूस से आयात को लेकर आपत्ति जताई है। व्हाइट हाउस ने मॉस्को से आयात पर अपनी निर्भरता को कम करने में मदद करने के लिए भारत के साथ काम करने की पेशकश करते हुए कहा कि रूसी ऊर्जा और अन्य वस्तुओं का आयात भारत के हित में नहीं है। पिछले हफ्ते शीर्ष अमेरिकी सलाहकार दलीप सिंह की नई दिल्ली यात्रा पर सवालों के जवाब में व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने सोमवार को अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उन्होंने अमेरिकी प्रतिबंधों को समझाया और दोहराया कि कोई भी देश या संस्था को उनका पालन करना चाहिए।
ऊर्जा भुगतान पर प्रतिबंध नहीं
साथ ही साकी ने कहा कि भारत द्वारा ऊर्जा के लिए भुगतान प्रतिबंधों की श्रेणी में नहीं है और नई दिल्ली से रूसी ऊर्जा का आयात उसके कुल ऊर्जा आयात का केवल एक से दो प्रतिशत ही है। अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दलीप सिंह पिछले हफ्ते नई दिल्ली में थे। उन्होंने रूस के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों का खाका तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
प्रतिबंधों को बाधित करने वाले देशों को परिणाम भुगतने की दी थी चेतावनी
नई दिल्ली में उन्होंने इस बात को लेकर भी आगाह किया था कि यूक्रेन पर आक्रमण के लिए मास्को के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों को बाधित करने या धीमा करने का प्रयास करने वाले देशों को परिणाम भुगतना होगा। उन्होंने कहा था कि वह भारत द्वारा रूस से ऊर्जा और अन्य वस्तुओं के आयात में तेजी नहीं देखना चाहेंगे। सोमवार को अपनी ब्रीफिंग के दौरान साकी ने कहा कि निश्चित रूप से हमारी अपेक्षा और हमारा सार्वजनिक और निजी संदेश यह रहेगा कि हर देश को उन प्रतिबंधों का पालन करना चाहिए जो हमने घोषित किए हैं और हम दुनिया भर में लागू कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ऊर्जा भुगतान पर प्रतिबंध नहीं है, यह प्रत्येक देश का अपना फैसला होगा। हम बहुत स्पष्ट हैं कि हर देश अपनी पसंद के साथ आगे बढ़े, भले ही हमने प्रतिबंध का निर्णय लिया है और अन्य देशों ने ऊर्जा आयात पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। साकी ने कहा कि इस यात्रा के दौरान दलीप ने अपने समकक्षों से साफ कहा कि रूसी ऊर्जा और अन्य वस्तुओं के आयात में तेजी लाना या बढ़ाना भारत के हित में है।