मुरार कण्डारी : प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में राष्ट्रीय लोकआंदोलन द्वारा संयुक्त रूप से प्रस्तुत किए गए विचारों को समाज के भलाई के लिए सरकार के पास हम हमारी मांगे रख रहे है। जिस तरह आम लोगों के बुनियादी कर्तव्य होते हैं, उसी तरह राजनेताओं को भी बुनियादी कर्तव्यों का पालन करना होता है। और समाज की भलाई के बारे में सोचना होता है।
लोक कल्याणकारी राज्य वह राज्य है जिसमे शासन की शक्तियों का प्रयोग किसी वर्ग विशेष के हितों के लिए नही अपितु सम्पूर्ण जनता के हितों के लिए किया जाता है। लोक कल्याणकारी राज्य एक ऐसा राज्य होता है जो जनता के कल्याण के लिए अधिकाधिक कार्य करता है तथा जो अपने सभी नागरिकों को न्युनतम जीवन स्तर प्रदान करना अपना अनिवार्य उत्तरदायित्व समझता है।नागरिकों का अधिक से अधिक कल्याण इस बात की व्यवस्था करना कि उनके रहन-सहन तथा खान-पान का अच्छा स्तर रहे। उनके भौतिक, बौद्धिक तथा नैतिक विकास के समस्त साधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हों। उनकी तथा उनके बच्चों की शिक्षा का समूचित प्रबन्ध हो।
लोकहितकारी वह राज्य है जो अपने नागरिकों के लिए व्यापक समाज सेवाओं की व्यवस्था करता है। इनके अंतर्गत शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और वृद्धावस्था मे पेंशन, आदि की व्यवस्था होती है। इनका मुख्य उद्देश्य नागरिकों को सभी प्रकार की सुरक्षा प्रदान करना होता है। सबके लिए समान अवसर प्रदान करना, अमीरों-गरीबों के बीच अंतर मिटाना व जीवन स्तर को ऊपर उठाना, कल्याणकारी राज्य के आधारभूत तत्व है।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत मोदी सरकार अप्रैल 2020 से हर महीने लगभग 1.5 ट्रिलियन रुपये की लागत से 80 करोड़ भारतीयों फ्री में राशन दे रही है। इसका मतलब हमारा भारत देश कल्याणकारी मार्ग पर बढ़ रहा है। हमारा देश गरीब बन रहा है। कैसे बन पायेगा भारत विश्व गुरु ? केंद्र सरकार के गलत नीतियों के कारन हमारा देश दिन पे दिन कमजोर हो रहा है। केंद्र सरकार द्वारा देश के सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थाओं को एक एक करके बेचने का सिलसिला शुरू किया जा रहा है। देश की जिन संपत्तियों को 70 साल के शासनकाल में बनाया व संभाल कर रखा, अब उन्हीं संपत्तियों को वर्तमान मे केंद्र सरकार जमींदारों की प्रथा लेकर आ रही है।
केंद्र सरकार में बैठे लोगो को बदलने की ताकत आम जनता में है अंग्रेजों व कॉग्रेस टाइम मे जनता के पास तब कोई विकल्प नहीं था लेकिन अब जनता के पास सरकार बदलने का विकल्प है।जनता की गाढ़ी कमाई से बनी संपत्तियों को बेचने का बड़ा खेल सरकार कर रही है। आवश्यक वस्तुओं के दाम में बेतहाशा बढ़ोत्तरी उनके काधिकार को प्रदर्शित करती है। पेट्रोल व रेलवे के निजीकरण से देश को नुकसान होगा। रोजगार छिन जाएगा। इन कंपनियों में आरटीआई भीवर्तमान में केंद्र में स्थापित सरकार को देश चलाना नहीं आ रहा है। इसलिए समाज की संपत्ति को बेच रहे है। केंद्र सरकार के प्रशासन में पारदर्शिता की कमी के कारण इनमें से कई सरकारी संस्थान भ्रष्टाचार से ग्रस्त हैं। इसलिए वे संस्थान कमजोर हो गए हैं। केंद्र सरकार को इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का साहस ही नहीं है। केंद्र सरकार, सरकारी संस्थान चलाने में विफल रही है। केंद्र सरकार को समाज कल्याण के लिए काम करना चाहिए, इसे कल्याणकारी राज्य व्यवस्था कहते हैं, कोई अपना घर बेचकर घर नहीं चलाता। अगर केंद्र सरकार कल्याणकारी राज्य व्यवस्था नहीं चला सकती तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।
एसेट मोनेटाइजेशन की अवधि 25 साल की होगी। सरकार संपत्ति बेच नहीं रही है, बल्कि केवल कैश कमाने के लिए उन्हें पट्टे पर दे रही है, ये भेचने का ही दूसरा रास्ता है। सरकार जनता को मुर्ख बना रही है। ये करने से सरकारी सारी नोकरिया खत्म हो जाएगी। ये निति के कारन दो लोगो का ही फायदा ज्यादा होगा। सरकार में बैठे लोग और प्रायव्हेट कंपनिया मिल बैठकर एक चंदा देगा और दूसरा चंदा लेगा। और देश के लोगो को पता ही नहीं होगा किसने किसको कितना चंदा दिया। कारन राजनितिक पार्टियों पर RTI लागु होता ही नहीं। राष्ट्रीय मुद्रीकरण योजना ही सबसे बड़ा भ्रष्टाचार का रास्ता है।
इससे ये क्रोनी कैपिटलिज्म या एक-दो खास कंपनियों का एकाधिकार बनकर रह जाएगा। देश की कुछ गिनी-चुनी कंपनियों के पास ही इतनी पूँजी है कि वो सरकारी संस्थाओं को 25 सालों के लिए पट्टे पर ले सकती है। लोकतंत्र में, लोग संप्रभु होते हैं और इस देश के मालिक होते हैं। हम केंद्र सरकार से मांग कर रहे है की हमारी मांगों को माना जाय। इसलिए जंतर मंतर संसद मार्ग नई दिल्ली में दिनांक 21 मार्च 2023 को सरकार को अल्टीमेटम देने के लिए एक दिवसीय धरना आंदोलन कर रहें है। अन्यथा रामलीला मैदान में दिनांक 20 अप्रैल 2023 को अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करूँगी । हम देश के सारे नागरिक, किसान और सामाजिक संस्थाओं को हमारे आंदोलन से जुड़ने के लिए अपील कर रहें है
हमारी प्रमुख मांगे
भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए एक सक्षम लोकपाल और हर राज्य में लोकायुक्त कानून लाना। राजनीतिक दलो पर RTI अधिनियम के अंतर्गत लागू करो।
राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन नीति को समाप्त करें। महंगाई को कम करने के लिए ब्रांडवाले, या पैकेज वाले इन जीवन आवश्यक वस्तुओं पर लगाया हुआ GST का स्लैब को हटा देना। पेट्रोल, डीजल प्राकृतिक गैस, को GST के दायरे में लाकर कीमते कम करना। केंद्रीय कृषि व्यय और मूल्य आयोग को स्वायत्तता दर्जा देना। MSP अधिनियम सभी कृषी उत्पादन को लागू करना । शिक्षा का राष्ट्रीयकरण करना । K. G-to-P.G. मुक्त, सामान गुणवत्तापूर्ण, अनिवार्य शिक्षा का कानून बनाना। लोकसभा का चुनाव बैलट पेपर पर ही होना चाहिए।संयोजक व कार्याध्यक्ष राष्ट्रीय लोकआंदोलन कल्पना इनामदार, अशोकसन्बन महासचिव राष्ट्रीय लोकआंदोलन ,पूर्व.आई. ए .एस कमल टावरी, भोपाल सिंह,जे .पी सोलंकी प्रेसवार्ता में मुख्य वक्ता थे।