लखनऊ l उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की वापसी के बाद अब भ्रष्ट अफसरों पर चाबुक चलने लगा है. अवैध खनन और विधानसभा चुनाव के दौरान पोस्टल बैलेट को सील न करने के मामले में सोनभद्र के डीएम टीके शिबू को सस्पेंड कर दिया गया है. इसके साथ ही डीएम के ऊपर विभागीय जांच बैठा दी गई है. वाराणसी के कमिश्नर को पूरे मामले की जांच सौंपी गई है.
सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया, ‘डीएम टीके शिबू के खिलाफ खनन और अन्य निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार की शिकायतें जनप्रतिनिधियों द्वारा की जाती रही है. इसके साथ ही विधानसभा चुनाव में पोस्टल बैलेट पेपर सील न करके लापरवाही की गई, जिससे पूरे जिले का मतदान निरस्त करने की स्थिति उत्पन्न हो गई थी.’
सरकार ने कहा, ‘इस मामले की जांच विंध्याचल मंडल के कमिश्नर ने की थी, जिसमें जिलाधिकारी टीके शिबू दोषी पाए गए. इस वजह से उन्हें निलंबित किया जाता है. इसके साथ ही विभागीय कार्यवाही में जांच के लिए वाराणसी मंडल के कमिश्नर को जांच अधिकारी नियुक्त किया जाता है. टीके शिबू को राजस्व परिषद से अटैच कर दिया गया है.’
इससे पहले यूपी सरकार ने चार आईपीएस अधिकारियों के तबादले कर दिए थे. पुलिस मुख्यालय से एडीजी नवनीत सिकेरा को एडीजी पीटीएस उन्नाव के पद पर भेजा गया है. पुलिस महानिदेशक के जनरल स्टॉफ ऑफिसर (जीएसओ) एडीजी रवि जोसफ लोक्कू को एडीजी सतर्कता अधिष्ठान बनाया है.
इस पद पर तैनात एन रविंदर को जीएसओ डीजीपी बनाया गया है. डीआईजी रूल्स एंड मैन्युवल धर्मेंद्र सिंह को डीआईजी आरटीसी चुनार के पद पर तैनाती दी गई है. आने वाले समय में कई आईपीएस और आईएएस अफसरों के तबादले हो सकते हैं, क्योंकि कई अफसर रिटायर होने वाले हैं.