नई दिल्ली: भारतीय युवा निशानेबाज मनु भाकर ने 30 जुलाई को भारत के ओलंपिक इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया। मनु ने महिला 10 मीटर एयर पिस्टल के बाद मिक्स्ड टीम इवेंट में भी ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया। वह एक ओलंपिक में दो मेडल जीतने वाली पहली भारतीय बनी।
मनु की यह उपलब्धि इसलिए भी अहम है क्योंकि तीन साल पहले मनु विवाद के चलते कोच से अलग हो गईं, टोक्यो ओलंपिक में किसी भी इवेंट के फाइनल के लिए क्वालिफाई नहीं कर सकी। अब साल बदल गया है, हालात बदल गए हैं और मनु भाकर ने इतिहास रच दिया।
सुर्खियों में छाया था राणा और मनु का साथ आना
इस सफलता का श्रेय जिन लोगों को जाता है उसमें उनके निजी कोच जसपाल राणा भी शामिल हैं। 2021 में ओलंपिक खेलों से पहले मनु भाकर अपने कोच जसपाल राणा के साथ हुए बड़े विवाद के बाद उनसे अलग हो गई। हालांकि दो साल बाद दोनों पिछला सबकुछ भुलाकर साथ आ गए ओलंपिक मेडल की तैयारी में जुट गए।
नेशनल कैंप में राणा और मनु का विवाद जिस तरह सुर्खियों में रहा उनका साथ आना भी हेडलाइन बन गया। जसपाल राणा ने जब मनु के साथ आने का फैसला किया तब उन्होने जनसत्ता.कॉम से बात की थी। तब उन्होंने बताया था कि वह केवल और केवल ओलंपिक मेडल की आस में ही मनु के साथ वापस आए हैं।
राणा ने मानसिक पक्ष पर किया काम
राणा ने बताया कि वह मनु के मानसिक पक्ष पर काम करेंगे। जनसत्ता.कॉम से बातचीत में उन्होंने कहा था कि वह मनु की तकनीक नहीं बल्कि उनके मानसिक चीजों पर काम करेंगे। उन्होंने कहा , ‘दो साल बहुत लंबे समय होता है। मैं नहीं जानता की मनु ने अपने खेल में क्या बदला है या ओरों ने उसके खेल में क्या बदलाव किया है। यह चीजें तो आपको देखकर पता चल जाती हैं हालांकि टेक्निकल चीजें और मानिसक चीजों में सुधार करने में समय लगता है।’
राणा का लक्ष्य था बड़ा
एशियन गेम्स मेडलिस्ट ने आगे कहा, ‘हम किसी छोटे लक्ष्य पर काम नहीं कर रहे हैं। यह एक लंबा सफर है। मैं कोई जादूगर नहीं हूं कि एक दम से सब ठीक हो जाए।’
टोक्यो ओलंपिक में मेडल न लाने की यह है वजह
जसपाल राणा ने टोक्यो ओलंपिक में भारतीय निशानेबाजों के निराशाजनक प्रदर्शन पर भी बात की। उन्होंने कहा, ‘सबसे अहम होता है कि खिलाड़ी सही समय पर पीक करे। यह पीक एक-दो महीने के लिए नहीं आता बल्कि 10-15 दिन का होता है। अगर आप गलत समय पर पीक करते हैं तो वह किसी काम का नहीं है।’
उन्होंने कहा, ‘टोक्यो ओलंपिक में यही हुआ। हमने जो तैयारी की उसके लिहाज से टोक्यो ओलंपिक के दौरान खिलाड़ी अपने पीक पर होते लेकिन खेल आगे बढ़ गए और हम मौका चूक गए। मैं किसी पर आरोप नहीं लगाना चाहता लेकिन हम जानते हैं टोक्यो में क्या हुआ। इसलिए यह जरूरी है कि हम साथ में काम कर रहे हैं।’