नई दिल्ली. समान नागरिक संहिता की मांग तेजी से बढ़ रही है. उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सहित भाजपा शासित राज्यों ने समान नीति बनाने की अपनी योजना काम करना शुरू कर दिया. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए जल्द ही एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा और राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द को किसी भी कीमत पर बाधित नहीं होने दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि एक बार उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू हो जाने के बाद अन्य राज्यों को भी इसका पालन करना चाहिए.
उत्तराखंड के अलावा उत्तर प्रदेश भी समान नागरिक संहिता को लागू करने की अपनी योजना को आगे बढ़ा रहा है, जबकि अन्य राज्यों के नेताओं ने भी प्रस्ताव का समर्थन किया है. बता दें कि समान नागरिक संहिता शादी, तलाक, संपत्ति और गोद लेने जैसे मामलों में सभी धार्मिक समुदायों पर लागू होता है. समान संहिता संविधान के अनुच्छेद 44 के अंतर्गत आती है. इसमें कहा गया है कि पूरे भारत में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करने का प्रयास किया जाएगा.
समान नागरिक संहिता को लेकर इन राज्यों में चर्चा
उत्तराखंडः मार्च में सत्ता में आने से पहले पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा किया था. इससे पहले शनिवार को उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए जल्द ही एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा और राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द को किसी भी कीमत पर बाधित नहीं होने दिया जाएगा. धामी ने कहा कि कैबिनेट ने अपनी पहली बैठक में समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञों के एक उच्च स्तरीय पैनल के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. उन्होंने कहा कि जल्द ही पैनल का गठन किया जाएगा.
उत्तर प्रदेश
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि उत्तराखंड सरकार के प्रस्ताव के बाद उत्तर प्रदेश सरकार भी राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में गंभीरता से विचार कर रही है. मौर्य ने शनिवार को देश और राज्य स्तर पर समान नागरिक संहिता को तेजी से लागू करने का समर्थन करते हुए यह खुलासा किया. उन्होंने कहा कि इसका सभी को स्वागत करना चाहिए. एक देश में सभी के लिए एक कानून समय की मांग है. यह आवश्यक है कि हम एक व्यक्ति के लिए एक कानून और दूसरे के लिए दूसरे कानून की व्यवस्था से बाहर निकलें.
उन्होंने कहा कि जिस तरह उत्तराखंड सरकार ने कदम उठाए हैं, यूपी और अन्य राज्यों में भी जहां भाजपा की सरकार है, वहां समान नागरिक संहिता लागू होनी चाहिए. हालांकि, समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन के मुद्दे को मुस्लिम निकायों के अलावा विपक्ष का भी समर्थन नहीं है. उधर वरिष्ठ समाजवादी नेता शिवपाल सिंह यादव ने समान नागरिक संहिता का आह्वान किया है, उनकी यह टिप्पणी उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा के साथ उनकी बढ़ती निकटता के एक और संकेत के रूप में देखी जा रही है.
महाराष्ट्र
इस महीने की शुरुआत में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने समान नागरिक संहिता की वकालत की और जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया. ठाकरे ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस देश में समान नागरिक संहिता लागू करनी चाहिए.’ उन्होंने कहा कि जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए एक कानून लाया जाना चाहिए.
मध्य प्रदेश
भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन के विभिन्न पहलुओं पर गौर करने के लिए एक समिति गठित करने का आग्रह किया है. पत्र में सिंह ने मुख्यमंत्री के ध्यानार्थ कहा है कि उत्तराखंड में नवगठित भाजपा सरकार ने हाल ही में एक समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन के विभिन्न पहलुओं को देखने के लिए जल्द ही विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने की बात कही है.