पठानकोट। पंजाब की राजनीति का हमेशा ही हिमाचल पर प्रभाव रहा है। यही स्थिति पंजाब पर भी लागू होती है। दोनों राज्यों की जनता काफी लम्बे समय तक सरकारों को पांच-पांच सालों के बाद बदलती रही है। पंजाब में अपवाद उस समय पैदा हुआ जब अकाली दल कांग्रेस की गलत नीतियों के चलते लगातार दो बार जीतने में सफल रहा जिसमें भाजपा का योगदान अहम था। अब हिमाचल के चुनाव गुजरात के साथ एक दो-दिन में घोषित होने वाले हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बार-बार हिमाचल आए हैं और आज करवा चौथ वाले दिन ऊना और चम्बा का दौरा अत्यंत सफल कहा जा सकता है, क्योंकि महिलाओं की उपस्थिति भी प्रभावशाली थी और दोनों स्थानों पर बड़े प्रोजैक्टों की शुरूआत का राजनीतिक फायदा हो सकता है।
वर्णनीय है कि पंजाब की राजनीतिक स्थिति का हिमाचल पर असर पड़ना स्वाभाविक है। पंजाब में इस बार बदलाव की लहर चली और लोगों ने एक नया इतिहास रचते हुए 92 सीटों के साथ आम आदमी पार्टी को सत्तारूढ़ किया, जिसका तुरंत प्रभाव हिमाचल पर भी नजर आने लगा परंतु कुछ ऐसी परिस्थितियां बनी कि आम आदमी पार्टी संगरूर लोकसभा चुनावेां में अपनी महत्वपूर्ण सीट को बरकरार नहीं रख सकी और चुनाव हार गई। पंजाब की जनता का यह संदेश स्तब्ध करने वाला था। अब पंजाब में भाजपा मुख्य विपक्षी दल बनने के लिए हाथ-पैर मार रही है और कांग्रेस के दिज्गज नेता अब भाजपा का हिस्सा बन चुके हैं।
ऐसी परिस्थितियों में भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व चाहता है कि कांग्रेस की कमजोरियों का फायदा उठाते हुए हिमाचल में रिपीट किया जा सके जो एक नया इतिहास होगा। जो कार्य शांता कुमार, प्रेम धूमल और कांग्रेस के दिज्गज नहीं कर पाए, क्या भाजपा का मौजूदा हिमाचल नेतृत्व इसे करने में सक्षम है?
अगर गणित के हिसाब से देखा जाए तो इस बार कांग्रेस की बारी है कि वह हिमाचल में सत्ता में आए जिसके लिए वह सरकारी कर्मचारियों के ऊपर अपनी नजर गड़ाए हुए है, कि उनके साथ से उनकी नैय्या पार हो जाएगी परंतु भाजपा भी इस बार प्रधानमंत्री का चेहरा आगे रखकर डब्बल इंजन की सरकार का प्रलोभन और फायदे गिनाकर कड़ी टक्कर देने के मूड में है। क्या कांग्रेस अपनी टिकटों का सही वितरण कर पाएगी।
दूसरी ओर चाहे पंजाब हिमाचल के साथ लगता है परंतु आम आदमी पार्टी ने अभी अपनी पंजाब के सैकड़ों कार्यकर्ता नेता, चेयरमैन ओर विधायक हिमाचल में भेजने की बजाय सभी गुजरात में भेज दिए हैं। पंजाब में प्रभारी रहे राघव चड्ढा, संदीप पाठक भी अपना मुख्य समय गुजरात में लगा रहे हैं और हिमाचल में अभी आम आदमी पार्टी को भगवंत मान जैसे चेहरे की सख्त जरूरत है। आने वाला एक माह हिमाचल में एक बड़ा राजनीतिक घमासान भरा होगा। कौन सा दल सत्ता में आएगा इस पर सारे देश की नजरें रहेंगी।
इनपुट एजेंसी RNS