प्रकाश मेहरा
नई दिल्ली: देश में रोजगार के अवसरों को उपलब्धता या बेरोजगारी की स्थिति एक अहम मुद्दा है। ऐसे में हाल के वर्षों में सम-सामयिक आर्थिक हालात पर एक के बाद एक कई रिपोर्ट जारी करने वाली एसबीआइ की रिसर्च टीम ने देश में बेरोजगारी की स्थिति पर अपना आकलन मंगलवार को जारी किया। रिपोर्ट का लब्बोलुआब यह है कि कम से कम पिछले छह वित्त वर्षों में देश में रोजगार के अवसरों में काफी वृद्धि हुई है और बेरोजगारी कम हुई है। इसके लिए एसबीआइ की शोध टीम ने पिछले दिनों सरकारी एजेंसी एनएसएसओ की तरफ से आवर्ती श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) को आधार बनाया है और इसको अपने तरीके से समीक्षा की है।
पीएलएफएस का कहना है कि वित्त वर्ष 2018 में बेरोजगारी दर 6.1 प्रतिशत थी, जो वर्ष 2023 में घटकर 3.2 प्रतिशत हो गई है। कुछ अर्थशास्त्रियों ने रिपोर्ट पर सवाल भी उठाया है। उनका कहना है कि युवा वर्ग के बीच रोजगार की स्थिति और स्वरोजगार के बढ़ते अवसरों को देखकर लगता है कि इससे देश में संगठित क्षेत्र में रोजगार के अवसर कम हुए हैं। इस पर एसबीआइ की रिपोर्ट कहती है कि इस तरह की आपत्तियां तथ्यात्मक नहीं है। पीएलएफएस की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2018 में कुल रोजगार में स्वरोजगार की हिस्सेदारी 52.2 प्रतिशत थी, जो वर्ष 2023 में बढ़कर 57.3 प्रतिशत हो गई है।
एसबीआइ का इस बारे में कहना है कि अस्सी और नब्बे के दशक से ही यह देखा जा रहा है कि कुल रोजगार में स्वरोजगार की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से ज्यादा है। स्वरोजगार की हालिया वजह यह है कि वजह यह है कि पीएम मुद्रा योजना और पीएम स्वनिधि योजना से समाज के निचले तबके को स्वरोजगार करने का बड़ा मौका मिलने लगा है। खासतौर पर परिवार संचालित छोटे व मझोले उद्यमों का विस्तार हो रहा है और इसमें काम करने वाले घरेलू सहायकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
2022-23 में बेरोजगारी दर 3.2 प्रतिशत रही, 2017-18 में यह 6.1 प्रतिशत थी। 52.2 प्रतिशत से बढ़कर 57.3 प्रतिशत हुई कुल रोजगार में स्वरोजगार की हिस्सेदारी।
तेजी से बदल रहा पढ़ाई और रोजगार के बीच पैटर्न
रिपोर्ट में कहा गया है कि 15 से 29 वर्ष की आयु वर्ग में बेरोजगारी की दर पिछले तीन वर्षों के न्यूनतम स्तर 10 प्रतिशत पर है। हालांकि इस आंकड़े की भी कुछ अर्थविद यह कहकर आलोचना करते हैं कि इससे पता चलता है कि देश में रोजगार के अवसरों की कमी है और तभी काम करने की आयु में युवा बेरोजगार है। इस पर रिपोर्ट कहती है कि अब पढ़ाई व रोजगार के बीच पैटर्न तेजी से बदल रहा है। मिड-डे मील से छात्रों को शिक्षा के लिए लुभाने की योजना का असर दिख रहा है। छात्र 23-24 वर्ष तक शिक्षा हासिल कर रहे हैं। इस वजह से 15 से 29 आयु वर्ग में बेरोजगारी की दर 10 प्रतिशत दिख रही है। जो युवा शिक्षा हासिल कर रहे हैं उन्हें श्रम-बल में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।
केंद्र और राज्य की योजनाओं का दिख रहा असर
रिपोर्ट कहती है कि सरकार 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दे रही है, आयुष्मान भारत जैसी स्कीमें है जो स्वास्थ्य पर खर्च को वहन कर रही है। कई राज्यों की योजनाएं है जिससे लोगों को सहूलियत हो रही है। ऐसे में एक बड़े वर्ग की आय किसी पारिवारिक उद्यम में काम करने से बढ़ी है।