नई दिल्ली। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के 65 कर्मचारियों के स्थायी सेवानिवृत्ति खाताें से 70 लाख रुपये गायब करने वाले बीएसएफ के बर्खास्त सिपाही घनश्याम यादव को स्पेशल सेल की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक आपरेशंस (आईएफएसओ) ने गिरफ्तार कर लिया है। घनश्याम, ठगी करने वाले गिरोह का मास्टरमाइंड है। पुलिस से बचने के लिए वह अपना नाम बदलकर नकली पहचान पत्र बनवा यूपी के प्रयागराज में छिप कर रह रहा था।
डीसीपी आईएफएसओ प्रशांत गौतम के मुताबिक, इसकी गिरफ्तारी से पुलिस से बीएसएफ के स्थायी सेवानिवृत्ति खाताें से रकम निकालने वाले साइबर ठगों के एक बड़े गिरोह का भंडाफोड़ किया है। घनश्याम यादव मूलरूप से गाजीपुर, यूपी का रहने वाला है। बीएसएफ की तरफ से प्रशांत गौतम को मिली शिकायत में गया था कि कोरोना के दौरान राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत जमा रकम की आंशिक निकासी की आनलाइन सुविधा के माध्यम से बीएसएफ के 65 कर्मचारियों के स्थायी सेवानिवृत्ति खातों से 70 लाख की धोखाधड़ी की गई।
नाम बदलकर प्रेमिका के साथ रह रहा था
उक्त रकम 89 लेनदेन के तहत निकाली गई। पुलिस टीम ने आरोपित का पता लगा मध्य प्रदेश के रीवा, उत्तर प्रदेश के गाजीपुर, प्रयागराज और नोएडा सहित विभिन्न स्थानों पर छापेमारी कर अंतत: प्रयागराज से घनश्याम को दबोच लिया। आराेपित प्रयागराज में अपनी प्रेमिका के साथ किराए के मकान में रह रहा था। उसने वहां पर खुद को यूपी पुलिस के संचार विभाग में सिपाही के रूप में बताया था।
उसकी कार पर पुलिस का स्टीकर लगा हुआ था और कार के अंदर यूपी पुलिस की टोपी और वर्दी थी। आरोपित ने आधार कार्ड पर सीएमओ प्रयागराज के जाली स्टाम्प का प्रयोग कर आधार के पोर्टल पर नाम परिवर्तन का अनुरोध अपलोड कर अपना नाम बदलवा लिया था। इसके रीवा, मध्य प्रदेश में स्थित दो खातों में स्थायी सेवानिवृत्ति खाताें से पुलिस को ठगी गई पूरी राशि के क्रेडिट होने का पता चला है।
ऐसे किया फर्जीवाड़ा
कोरोना के दौरान स्थायी सेवानिवृत्ति खातों में जमा राशि का 25 प्रतिशत आंशिक निकासी के लिए विशेष आनलाइन ओटीपी आधारित तंत्र का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी। यूनिट अधिकारी के माध्यम से भौतिक सत्यापन से बचने के लिए ग्राहक के मोबाइल नंबर और उसके स्थायी सेवानिवृत्ति खातों से जुड़े ईमेल पर ओटीपी भेजा जाता था। जब भी ग्राहक के किसी विवरण में कोई परिवर्तन प्रभावित होता है तो उसे मोबाइल और ईमेल आईडी पर अलर्ट संदेश भेजा जाता है।
घनश्याम 122वीं बटालियन में सिपाही के पद पर तैनात था। मई 2019 में मलाडा, बंगाल में जब उसे सेवाओं से बर्खास्त कर दिया गया उस अवधि के दौरान वह यूनिट की लेखा शाखा में था। उसने 122वीं बीएन बीएसएफ के डीडीओ के चोरी हुए क्रेडेंशियल्स के माध्यम से एनपीएस पोर्टल तक अनधिकृत पहुंच प्राप्त की और खुद को एनपीएस पोर्टल की सभी विशेषताओं और कार्यों से परिचित कराया। उसने बीएसएफ कर्मियों के दस्तावेजों में छेड़छाड़ की व बीएसएफ के पांच और डीडीओ खातों में अनधिकृत पहुंच प्राप्त करने के लिए इसका फायदा उठाया।
बरामदगी
ठगी की रकम से खरीदी गई मारुति बलेनो, छह सिमकार्ड, यूपी पुलिस बैज वाली एक जोड़ी पुलिस वर्दी, पुलिस की टोपी, चार मोबाइल फोन,वाई-फाई राउटर, दो रबर स्टांप (एक प्रिंसिपल, गवर्नमेंट इंटरमीडिएट कालेज, प्रयागराज और दूसरा मुख्य चिकित्सा अधिकारी, प्रयागराज), श्याम सिंह नाम से आधार कार्ड, कुमारी सविता सिन्हा के नाम से पैन कार्ड, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के दो डेबिट कार्ड, कोटक महिंद्रा बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के तीन खातों में जमा राशि को फ्रीज करा दिया गया है।