नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनाव में राजनीति का केंद्र रहे दिल्ली के कूड़े के पहाड़ अब देश में राष्ट्रीय राजमार्गों का आधार बनेंगे। इससे निकलने वाले कचरे का उपयोग, देश में हाईवे और एक्सप्रेस-वे बनाने में किया जाएगा।
दिल्ली के कूड़ों के पहाड़ों से निकलने वाला 60 लाख टन कचरा अकेले दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे बनाने में इस्तेमाल होगा। उपराज्यपाल वीके सक्सेना और केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के बीच इस संदर्भ में सैद्धांतिक सहमति बन चुकी है।
गडकरी ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) को दिल्ली के कूड़े के पहाड़ों का पूरा कचरा इस्तेमाल करने के लिए निर्देशित किया है। उनका मानना है कि यहां से सड़कों की भराई के लिए मिट्टी उठाने में खर्च अधिक आएगा, फिर भी यह जरूरी है। इससे दिल्ली में दशकों में बने कूड़े के पहाड़ पूरी तरह खत्म किए जा सकेंगे।
कूड़े के पहाड़ों में बचा है 200 लाख मीट्रिक टन कचरा
दिल्ली में अब हर महीने इन कूड़े के पहाड़ों से 6.52 लाख मीट्रिक टन कचरा साफ किया जा रहा है। ऐसे में कूड़े के पहाड़ों में कचरा लगभग 200 लाख मीट्रिक टन ही बचा है। अप्रैल 2024 तक पूरे कचरे का निस्तारण करने का लक्ष्य है। उल्लेखनीय है कि दिल्ली की तीनों लैंडफिल साइटों- गाजीपुर, भलस्वा और ओखला में वर्ष 2019 तक लगभग 280 लाख मीट्रिक टन कचरा जमा था।
सड़कों को मजबूती देता है यह कचरा
गडकरी और सक्सेना के बीच बनी सहमति के अनुसार, एनएचएआइ अभी दिल्ली से 30 लाख मीट्रिक टन कचरा ले रहा है, जिसका उपयोग देश के अलग-अलग हिस्सों में बन रहे हाई-वे के निर्माण में किया जा रहा है। वहीं, अब 60 लाख मीट्रिक टन कचरे का अकेले दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे के निर्माण में उपयोग होगा। तकनीकी विशेषज्ञों के अनुसार, यह कचरा सड़कों को मजबूती देता है।