नई दिल्ली: मंगलवार को महाराष्ट्र के पुणे में लोकमान्य तिलक पर आयोजित एक कार्यक्रम में विपक्षी इंडिया गठबंधन के एक बड़े नेता और एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा किया। इसको लेकर विपक्ष दल पूरी तरह से कंफ्यूज्ड हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि पवार को राजनीतिक तौर पर गटके या उगल दे!
महाराष्ट्र में 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद की राजनीति में मराठा नेता शरद पवार के पीछे अगर कोई सबसे मजबूती के साथ डटा खड़ा रहा है तो वो शिवसेना (यूबीटी) के उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी के सबसे खास संजय राउत हैं।
सामना के निशाने पर शरद पवार
लेकिन, जब पवार ने पीएम मोदी के साथ एक गैर-राजनीतिक कार्यक्रम में मंच साझा किया तो उद्धव की पार्टी के मुखपत्र सामना में पवार की जमकर खिंचाई की गई। वह कार्यक्रम पीएम मोदी को लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार 2023 से सम्मानित करने के लिए आयोजित किया गया था। कार्यक्रम के आयोजकों में भी कांग्रेसी थे और उसमें कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता भी मौजूद थे। यह सब तब हुआ है जब कांग्रेस की ओर से पीएम मोदी के विरोध की रणनीति भी तैयार की गई थी।
यह कदम अविश्वसनीय है- उद्धव ठाकरे की पार्टी
सामना के संपादकीय में पवार पर उंगली उठाते हुए लिखा गया है, ‘पवार मराठा हैं। वे खुद कहते हैं कि वे एक आशावादी इंसान हैं। इसलिए यह कदम अविश्वसनीय है।’ ऐसा नहीं है कि पवार गुपचुप तरीके से उस मंच पर पहुंचे थे। उन्होंने काफी पहले से ऐलान कर रखा था। यहां तक कि इंडिया गठबंधन के कई नेताओं ने उन्हें ऐसा करने से रोकने के लिए हर हथकंडा अपनाने की कोशिश की, उनसे मुलाकात की भी कोशिश की लेकिन वह नहीं माने।
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सामना में एक लाइन यह लिखी गई है, ‘पवार के समर्थकों को यह बात पसंद नहीं आएगी कि इस अधिनायकवादी बिल (दिल्ली सेवा विधेयक) को पेश करने वाले मोदी लोकमान्य तिलक के नाम पर पुरस्कार लेंगे और पवार इसका विरोध करने के लिए संसद में मौजूद होने के बजाय उपस्थित रहेंगे।’
ऐसी उम्मीद नहीं थी- पवार पर निशाना
उद्धव की पार्टी के मुताबिक कम से कम पवार जैसे नेताओं से तो लोगों को ‘ऐसी उम्मीद’नहीं थी। सामना ने यह कहकर पवार के खिलाफ भड़ास निकाली है कि ‘देश पीएम नरेंद्र मोदी की तानाशाही और आक्रामक रवैए के खिलाफ लड़ रहा है, इंडिया उसी से लड़ने के लिए बनाया गया है। मोर्चे में पवार एक महत्वपूर्ण चेहरे हैं।’
कांग्रेस भी पूरी तरह से हो गई कंफ्यूज
तथ्य यह है कि पीएम मोदी के साथ मंच पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे भी मौजूद थी। इसकी वजह ये थी कि वह उस तिलक ट्रस्ट के ट्रस्टी भी हैं, जिसने पीएम मोदी को इस अवार्ड से नवाजा है। लेकिन, फिर भी महाराष्ट्र के एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा है, ‘यह पवार के लिए गलत समय था कि उन्होंने मोदी के साथ मंच साझा किया।’
पवार पर बढ़ा गठबंधन का अविश्वास
यही नहीं, उन्होंने यहां तक आशंका जता दी कि ‘कुछ समय पहले पवार मोदी के अलोकतांत्रिक कदमों की वजह से उनपर खूब बरसे थे, लेकिन अब वह उनके साथ मंच साझा कर रहे हैं। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। हमें हैरानी नहीं होगी कि आने वाले दिनों में पवार एमवीए छोड़कर अपने भतीजे अजित पवार को बचाने के लिए बीजेपी के साथ हाथ मिला लेंगे।’
ऐसे NDA का मुकाबला कैसे करेगा I.N.D.I.A. ?
विपक्षी गठबंधन की ओर से इस मसले पर जो कुछ भी कहा जा रहा है और जो कुछ भी किया गया है, वह पूरी तरह से विरोधाभास से भरे हुए हैं। उनकी नीति स्पष्ट नहीं लग रही है। अगर गैर-राजनीतिक कार्यक्रम में ये नेता देश के प्रधानमंत्री के साथ एक मंच पर पहुंचे तो इसे राजनीतिक मुद्दाकर इंडिया गठबंधन किसका नुकसान कर रहे हैं; और वाकई इंडिया गठबंधन के इन कद्दावर नेताओं का कदम इतना गलत है तो फिर उन्हें गठबंधन में साथ रखने की क्या मजबूरी है?
इस आधी-अधूरी तैयारी के साथ बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए का मुकाबला करना इंडिया गठबंधन के लिए 2024 के लोकसभा चुनावों तक हर कदम पर बहुत बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।