मुरार सिंह कण्डारी
मुंबई। 27 जनवरी , देश के अमृत काल में जो लक्ष्य तय किये है, उसमें प्रत्येक राज्य सरकार और विधिमंडल की महत्त्वपूर्ण भूमिका है, यह प्रतिपादन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया. वहीँ देश की विधानमंडलें जनता के प्रति उत्तरदायी है और भारतीय लोकशाही विश्व के लिए मार्गदर्शक है, यह गौरवोद्गार लोकसभा अध्यक्ष ओम बिर्ला ने निकाले.
विधानसभा में 84 वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मलेन का मान्यवरों के हाथों उद्घाटन किया गया. इस अवसर पर आभासी पटल के माध्यम से (ऑनलाईन) प्रधानमंत्री श्री. मोदी ने इस सम्मलेन को संबोधित किया और शुभकामनाएं दी. इस अवसर पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष ॲड. राहुल नार्वेकर, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, महाराष्ट्र विधान परिषद की उपसभापति नीलम गोऱ्हे, विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरी झिरवळ, विधानपरिषद के विपक्षी नेता अंबादास दानवे, विधायक, विविध राज्ये और केंद्रशासित प्रदेशों के विधिमंडलों के पीठासीन अधिकारी और अन्य मान्यवर उपस्थित थे.
प्रधानमंत्री श्री. मोदी ने कहा कि देश का विकास तभी होगा, जब प्रत्येक राज्य विकास करेगा, उसके लिए विधिमंडलों के सभी वर्गों ने लक्ष्य निश्चित कर सामाजिक हित को रखते हुए सकारात्मक भावना से कार्य करना होगा. सन् 2021 में एक राष्ट्र, एक विधानमंच इस पर मैंने वक्तव्य किया था. जिस पर अब संसद और राज्यों की विधानमंडलें अब डिजिटल प्लॅटफॉर्म के माध्यम से काम कर रही है, यह सुनकर ख़ुशी हो रही है.
एक समय ऐसा था, जब सभागृह के किसी भी सदस्यों ने शिष्टाचार का उल्लंघन किया, तब कार्रवाई की जाती थी, लेकिन अब सदस्यों को साथ मिलता (पाठिंबा) है, परिस्थिति संसद की रहें या विधानसभा की, यह अच्छी बात नहीं है. भारत के 75 वें गणतंत्र दिवस के बाद दुसरे दिन ही यह सम्मलेन हो रहा है. राज्यघटना को 75 वर्षे पुरे हो रहे है. मैं देशवासियों की ओर से संविधान सभा के सभी सदस्यों का आदरपूर्वक स्वागत करता हूँ. पिछले साल संसद ने ‘नारीशक्ति वंदन कानून’ को मंजूरी दी. ऐसे विषयों पर भी इस सम्मलेन में चर्चा होनी चाहिए. देश की जनता प्रत्येक लोकप्रतिनिधियों की जागरूकता से परीक्षण और विश्लेषण कर रहे है. जिससे इस सम्मलेन की चर्चा उपयुक्त साबित होगी, यह विश्वास भी प्रधानमंत्री श्री. मोदी ने इस दौरान व्यक्त किया.
देश के विधानमंडलें जनता के प्रति उत्तरदायी भारतीय लोकशाही मार्गदर्शक : लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला
देश के विधानमंडलें जनता के प्रति उत्तरदायी है और भारतीय लोकशाही विश्व के लिए मार्गदर्शक है. भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए सभी राज्यों के विधिमंडलों की ओर से नए कानून बनाने के लिए, विधिमंडल कामकाज में पारदर्शकता और लोकप्रतिनिधियों की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए इस सम्मलेन में विचारमंथन होगा. महाराष्ट्र के पावन भूमि पर यह सम्मलेन हो रहा है. महाराष्ट्र की भूमि यह शौर्य, वीरता, अध्यात्मिक, सामाजिक परिवर्तन, स्वतंत्रता आन्दोलन और क्रांतिकारी भूमि है. छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम के उच्चारण से देश के प्रत्येक नागरिक को गर्व होता है. इस भूमि ने अनेक सामाजिक परिवर्तन के लिए आन्दोलन में भाग लिया है और स्वतंत्रता के आन्दोलन को दिशा दी है.
ओम बिरला ने कहा कि विधिमंडल के माध्यम से कानून तैयार हुए है, जिससे नागरिकों के जीवन में आमूलचूल परिवर्तन हुए है. लोकप्रतिनिधि जनता से चुने जाते है, उन पर जिम्मेदारी होती है. संसदीय विषयों पर जो चर्चा इस सम्मलेन में होगी, उससे विधान मंडलों पर जनता का विश्वास और विधानमंडलों के माध्यम से जनता की आशा, अपेक्षा पूरा करना, देश के ज्यादा से ज्यादा विधानमंडल का कामकाज पेपरलेस करना, यहीं उद्देश है.
संसदीय लोकशाही पर विश्वास अधिक मजबूत करने के लिए सम्मलेन का आयोजन : विधानसभा अध्यक्ष ॲड. राहुल नार्वेकर
विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने बताया कि अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मलेन प्रथमत: सन् 1921 में संसदीय कानूनमंडल बना तब हुआ. सन् 1950 तक सिर्फ दिल्ली और शिमला में ही सम्मेलन हो रहे थे. लोकसभा के प्रथम अध्यक्ष दादासाहेब मावळणकर ने देश के प्रत्येक राज्य में यह सम्मलेन आयोजित करने का निर्णय लिया. संसदीय लोकशाही पर जनता का विश्वास अधिक मजबूत करने की दृष्टि से प्रभावशाली प्रयत्न किस तरह से किये जा सकते है, इस पर इस सम्मलेन में विचारमंथन होगा. इस सम्मलेन की चर्चा के अंत में राज्य में उत्तम संसदीय कार्य पद्धति लागू करने के लिए भी प्रयास होंगे, यह आशा भी इस दौरान व्यक्त की.
आम जनता अपनी समस्याएँ लोकप्रतिनिधियों के माध्यम से राज्यसभा, लोकसभा, विधानसभा, विधानपरिषद में रखते है. जिससे लोकशाही की संस्था उत्तम रूप से चलाना अनिवार्य है. संविधान ने सरकार, विधानमंडल और न्यायपालिका यह लोकशाही के तीन स्तंभ बताएं है. उनका कामकाज पारदर्शक और उचित रूप से होना यानि लोकशाही मजबूत करना है, यह बताते हुए देश के सभी राज्यों के विधानसभा अध्यक्ष, विधान परिषद सभापति और सचिवों का विधानसभा अध्यक्ष ॲड. राहुल नार्वेकर ने स्वागत किया और उपस्थितों के प्रति आभार प्रकट किया.
संसदीय लोकशाही को मजबूत करने के लिए यह सम्मलेन महत्वपूर्ण : मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे
महाराष्ट्र में 21 साल के बाद यह सम्मलेन हो रहा है, इस ख़ुशी की बात है. विधिमंडल का कामकाज करते समय अत्याधुनिक प्रोद्योगिकी का उपयोग बढ़ाने के लिए राज्य सरकार काम कर रही है. प्रत्येक नागरिकों का आत्मसन्मान अबाधित रखने के लिए संविधान महत्वपूर्ण है. संसदीय लोकशाही मजबूत करने के लिए और आम नागरिकों के प्रति उत्तरदायी रहने के लिए यह सम्मलेन महत्वपूर्ण साबित होगा, यह प्रतिपादन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस दौरान किया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि संसदीय लोकशाही में विधिमंडल और कानूनमंडलों की भूमिका महत्वपूर्ण है. महाराष्ट्र के रोजगार हमी योजना की और सुचना अधिकार का क्रियान्वयन देशभर किया गया, यह गौरव की बात है और महाराष्ट्र यह देश का ग्रोथ इंजिन होने का पुनरूच्चार भी मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर किया.
विधानसभा के अध्यक्ष दादासाहेब मावळणकर स्वतंत्र भारत के प्रथम लोकसभा के अध्यक्ष थे. ऐसे अनेक कार्यों में महाराष्ट्र का बड़ा योगदान रहा है. श्री. मावळणकर ने यह सम्मलेन सभी राज्यों में आयोजित करें, यह यह तय होने से प्रत्येक राज्य की संस्कृति और परंपरा का परिचय देश को हो रहा है.
इस सम्मलेन में नए अनुभव, नई अवधारणाओं पर चर्चा होगी. जिसके सकारात्मक परिणाम विधिमंडळ कामकाज पर होंगे. लोकशाही अधिक मजबूत होने के लिए भी मदद होगी. देश के सबसे बड़े पूल अटलबिहारी वाजपेयी शिवडी- न्हावाशेवा सागरी सेतू (अटल सेतू) बनाने में भी राज्य सफल रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सहयोग से ही यह संभव होने की बात मुख्यमंत्री श्री शिंदे ने कही.
राज्यसभा के उपसभापति ने कहा कि महाराष्ट्र को अनेक वीरो और महापुरुषों का इतिहास प्राप्त है. विभिन्न विचारधारा के लोकप्रतिनिधि, समाजसुधारक ने देशस्तर पर राज्य का प्रतिनिधित्व किया है. उन्हें आज भी रोल मॉडेल समझते है. राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा कि विधिमंडलों के कामकाज की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए यह सम्मलेन महत्त्वपूर्ण साबित होगा.
उपसभापति श्रीमती गोऱ्हे ने कहा कि लोगों के कल्याण के लिए लोकशाही व्यवस्था सबसे ज्यादा प्रभावशाली है. लोकशाही को किस तरह से बनाएं रख सकते है, इस पर सकारात्मक चर्चा इस सम्मलेन में होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश की आजादी के 75 वें वर्ष मनाया जा रहा है, ऐसे में नारीशक्ति वंदन कानून बनाकर लोकसभा और राज्यों के विधानसभाओं में 33 फीसदी आरक्षण का कानून बनाया, इस पर उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के प्रति आभार प्रकट किया. श्रीमती गोऱ्हे ने बताया कि स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं में महिलाओं को आरक्षण देनेवाला महाराष्ट्र यह प्रथम राज्य है. महिलाओं ने प्रत्येक क्षेत्र में अपनी क्षमता साबित की है. राजकीय, आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रो में महिलाओं का योगदान इस राष्ट्र की महासत्ता के विकास को गति देनेवाला है.
विधानसभा उपाध्यक्ष श्री. झिरवळ ने कहा कि संसदीय लोकशाही को अधिक प्रगल्भ करने में महाराष्ट्र ने बड़ा योगदान दिया है. सभागृह के बहुमत की ओर से हमेशा ही अल्पमत का आदर सम्मान करने की लोकशाही परंपरा महाराष्ट्र विधानमंडल ने कायम वृद्धिंगत की है. इस सम्मलेन के अवसर पर यह योगदान अधोरेखित तो होगा ही, उसके साथ-साथ भविष्य के लिए भी मार्गदर्शक साबित होगा, यह विश्वास भी विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरी झिरवळ ने इस दौरान व्यक्त किया.
विपक्षी नेता अंबादास दानवे ने कहा कि भारत में लोकशाही को बनाएं रखने के लिए पीठासीन अधिकारियों की भूमिका महत्त्वपूर्ण है. जनता का प्रतिनिधित्व लोकप्रतिनिधि विधिमंडल में करते है और पीठासीन अधिकारी के माध्यम से जनता के हित के लिए हुए निर्णय लोगों तक पहुंचते है, यह कहते हुए उन्होंने उपस्थितों का स्वागत किया.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिर्ला के मार्गदर्शन में महाराष्ट्र में 84 वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी समेम्लन और भारत के राज्य विधिमंडल सचिवालयों के सचिवों की 60 वीं परिषद विधान भवन, मुंबई में अगले दो दिन होगी. इसमें लोकशाही संस्थानों पर लोगों का विश्वास अधिक मजबूत करने के लिए संसद और राज्य / केंद्र शासित प्रदेशों के विधिमंडलों में अनुशासन और शालीनता रखने की आवश्यकता, समिति पद्धति अधिक उद्देश्यपूर्ण और प्रभावी कैसे बनायीं जाए, इन विषयों पर चर्चा होगी.