युद्ध के बीच बदलते बाजार के समीकरण भारतीय स्टील उद्योग के लिए नए अवसर पैदा कर सकते हैं. भारत दुनिया का दूसरा बड़ा स्टील उत्पादक है, लेकिन एक्सपोर्ट मार्केट में हिस्सेदारी बहुत कम है. वहीं दूसरी तरफ रूस और यूक्रेन भारत से छोटे स्टील उत्पादक हैं, लेकिन स्टील एक्सपोर्ट बाजार (Steel Export Market) में उनका योगदान भारत से ज्यादा है. दोनों ही देश यूरोप और मध्य पूर्व में स्टील निर्यात करते हैं, लेकिन रूस और यूक्रेन (Russian Ukraine War) में युद्ध की वजह से निर्यात वाधित होने की आशंका है.
ब्रोकिंग और रिसर्च कंपनी मोतीलाल ओसवाल का मानना है कि रूस और यूक्रेन सालाना 44-45 मिलियन टन स्टील का निर्यात करते हैं, अकेले रूस से यूरोप को 14-15 मिलियन टन का निर्यात होता है, लेकिन रूस पर लगे आर्थिक प्रतिबंध और यूक्रेन में अस्थिरता की वजह से वैश्विक स्टील व्यापार का 12 फीसदी हिस्सा प्रभावित होने की आशंका है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि युद्ध खत्म हो भी गया तो भी स्टील सप्लाई के लिए पहले जैसे हालात होने में 6-8 महीने का समय लग सकता है.
15 फीसदी से ज्यादा बढ़ी स्टील की कीमतें
इसी वजह से स्टील की कीमतें तभी से बढ़ना शुरू हो गई हैं. जब से दोनों देशों में युद्ध छिड़ा है. विदेशी बाजार में 15 दिन के अंदर भाव 27 फीसदी से ज्यादा बढ़ चुका है. 18 फरवरी को विदेशी बाजार में बेंचमार्क हॉट रोल्ड कॉयल स्टील का भाव 947 डॉलर प्रति टन था. 4 मार्च को भाव ने 1205 डॉलर प्रति टन के ऊपर पहुंच गया. यूरोप की कई कंपनियों ने स्टील का भाव बढ़ाना शुरू कर दिया है और यही बढ़ा हुआ भाव भारतीय स्टील कंपनियों के लिए एक्सपोर्ट का मौका लेकर आया है.
देश की बड़ी स्टील कंपनी जिंदल स्टील एंड पावर के मैनेजिंग डायरेक्टर ने एक समाचार पत्र को दिए इंटरव्यू में बताया कि भारतीय कंपनियां आसानी से 1150 डॉलर प्रति टन की लागत पर यूरोप में स्टील भेज सकती हैं जो यूरोप में चल रहे भाव से लगभग 100 डॉलर कम है. उन्होंने कहा कि फिलहाल भारतीय स्टील इंडस्ट्री 1000 डॉलर प्रति टन के आसपास स्टील निर्यात कर रही है.
स्टील निर्यात में आया 76 फीसदी का उछाल
यूरोप से वैसे भी भारतीय स्टील के लिए मांग बढ़ रही है जिस वजह से फरवरी के दौरान तैयार स्टील के निर्यात में 76 फीसदी से ज्यादा का उछाल आया है. ज्वाइंट प्लांट कमेटी के आंकड़ों के अनुसार फरवरी के दौरान देश से 11.57 लाख टन तैयार स्टील का निर्यात हुआ है जबकि पिछले साल फरवरी में सिर्फ 6.55 लाख टन का निर्यात हुआ था.
हालांकि स्टील निर्यात में बढ़ोतरी और वैश्विक स्तर पर भाव बढ़ने से घरेलू स्तर पर भी कीमतें बढ़ना शुरू हो गई हैं. पिछले हफ्ते स्टील कंपनियों ने अलग-अलग स्टील प्रोडक्ट्स के दाम 5000-8000 रुपए प्रति टन बढ़ाए हैं. आशंका यह भी है कि दाम और बढ़ सकते हैं. यानि वैश्विक स्तर पर स्टील महंगा होने से निर्यात बढ़ाने में तो मदद मिलेगी, लेकिन घरेलू उपभोक्ताओं की जेब पर भी खाली होगी.