स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली: ‘खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते’, 2016 में पाकिस्तान प्रायोजित उरी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह बात कही थी, जिसमें 18 भारतीय सैनिक मारे गए थे। वह उस वक्त सिंधु जल समझौते का जिक्र कर रहे थे। इसके बाद भी पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाए और समझौत पर संकट के बावजूद, भारत ने अब तक इसे रोका नहीं था। लेकिन बीती 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने पर्यटकों को निशाना बनाया जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई। इसके बाद भारत ने पहली बार सिंधु जल संधि समझौता स्थगित कर दिया है। आइए एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से समझते हैं सिंधु जल समझौता क्या है ? कितना पड़ेगा इसका असर ? क्यों छटपटा रहा पाकिस्तान ?
क्या है सिंधु जल समझौता ?
सिंधु जल समझौता (Indus Waters Treaty) भारत और पाकिस्तान के बीच 19 सितंबर 1960 को विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुआ एक ऐतिहासिक जल-बंटवारा समझौता है। इस समझौते के तहत सिंधु नदी प्रणाली की छह नदियों-सिंधु, झेलम, चेनाब, रावी, ब्यास और सतलज-के पानी का बंटवारा किया गया: पूर्वी नदियाँ (रावी, ब्यास, सतलज): इनका पूरा नियंत्रण भारत को दिया गया, जो कुल 33 मिलियन एकड़-फीट (MAF) पानी प्रदान करती हैं।
पश्चिमी नदियाँ (सिंधु, झेलम, चेनाब) इनका नियंत्रण मुख्य रूप से पाकिस्तान को दिया गया, जो 135 MAF पानी प्रदान करती हैं। भारत को इन नदियों के पानी का सीमित उपयोग (घरेलू, कृषि, और गैर-उपभोगी जलविद्युत परियोजनाओं के लिए) करने का अधिकार है। यह समझौता 1965, 1971 और कारगिल युद्धों के बावजूद दोनों देशों के बीच सहमति का एक दुर्लभ उदाहरण रहा है। हालांकि, हाल के वर्षों में, खासकर सीमा पार आतंकवाद और भारत की जलविद्युत परियोजनाओं (जैसे किशनगंगा और रतले) को लेकर विवाद बढ़े हैं।
निलंबन की घोषणा क्यों और कब ?
23 अप्रैल 2025 को, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले (जिसमें 26 लोग मारे गए) के बाद भारत ने सिंधु जल समझौते को निलंबित करने की घोषणा की। इस हमले के तार पाकिस्तान से जुड़े होने के आरोपों के बाद, भारत ने यह कदम उठाया। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि समझौता तब तक रद्द रहेगा जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता।
निलंबन के कारण
भारत ने पाकिस्तान पर पहलगाम हमले में शामिल होने का आरोप लगाया और इसे समझौते के उल्लंघन के रूप में देखा। भारत का तर्क है कि सुरक्षा अनिश्चितताएँ समझौते के तहत उसके अधिकारों को बाधित करती हैं। भारत ने जनसंख्या वृद्धि, स्वच्छ ऊर्जा की आवश्यकता, और पर्यावरणीय चुनौतियों का हवाला देते हुए समझौते में संशोधन की माँग की थी, जिसे पाकिस्तान ने बार-बार खारिज किया।समझौते का निलंबन पाकिस्तान पर आर्थिक और कूटनीतिक दबाव बनाने का एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है।
पाकिस्तान पर गहरा प्रभाव पड़ेगा !
सिंधु जल समझौता निलंबन का पाकिस्तान पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि वह अपनी जल आवश्यकताओं के लिए सिंधु नदी प्रणाली पर बहुत अधिक निर्भर है पाकिस्तान की 80% कृषि भूमि (लगभग 16 मिलियन हेक्टेयर) सिंधु नदी के पानी पर निर्भर है। गेहूं, चावल, गन्ना, और कपास जैसी प्रमुख फसलों की पैदावार में कमी आ सकती है, जिससे खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। पानी की कमी से किसानों की आय घटेगी, जिससे आर्थिक अस्थिरता और सामाजिक अशांति बढ़ सकती है।
पाकिस्तान में बड़ा जलसंकट !
पाकिस्तान की एक तिहाई बिजली जलविद्युत से आती है, जो तरबेला और मंगला जैसे जलाशयों पर निर्भर है। यदि भारत पानी के प्रवाह को नियंत्रित करता है या गलत समय पर पानी छोड़ता है, तो बिजली उत्पादन प्रभावित होगा, जिससे उद्योगों और शहरी क्षेत्रों में अंधेरा छा सकता है।
सिंधु नदी प्रणाली 21 करोड़ से अधिक लोगों की जल आवश्यकताओं को पूरा करती है। पानी की कमी से शहरी क्षेत्रों में अशांति फैल सकती है। पाकिस्तान पहले से ही जल संकट से जूझ रहा है, और यह स्थिति इसे और गंभीर बना सकती है। पाकिस्तान के प्रांतों (विशेषकर पंजाब और सिंध) के बीच जल वितरण पहले से ही एक संवेदनशील मुद्दा है। पानी की कमी से यह तनाव और बढ़ सकता है।
भारत पाकिस्तान को पानी के लिए तरसा सकता है ?
भारत के मौजूदा बुनियादी ढांचे और तकनीकी क्षमताओं के आधार पर, पाकिस्तान को पूरी तरह से पानी की आपूर्ति बंद करना तत्काल संभव नहीं है। हालांकि, भारत कुछ रणनीतिक कदमों के जरिए पानी के प्रवाह को नियंत्रित कर सकता है।भारत के पास पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चेनाब) पर सीमित भंडारण और डायवर्जन क्षमता है। मौजूदा बांध, जैसे बगलिहार, सलाल, और पाकल दुल, पानी के प्रवाह को आंशिक रूप से नियंत्रित कर सकते हैं, लेकिन पूरी तरह रोकना मुश्किल है।
तीन-चरणीय योजना क्या है ?
भारत ने सिंधु बेसिन में बांधों की क्षमता बढ़ाने के लिए एक लघु, मध्यम, और दीर्घकालिक योजना बनाई है। मौजूदा बांधों का उपयोग करके पानी के प्रवाह को नियंत्रित करना, जैसे समय पर पानी न छोड़ना या बाढ़ की स्थिति पैदा करना। इससे पाकिस्तान को तत्काल नुकसान होगा। नए बांधों और जलाशयों का निर्माण, जैसे जम्मू-कश्मीर में प्रस्तावित परियोजनाएँ। इससे भारत की भंडारण क्षमता बढ़ेगी। बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का विकास, जिससे भारत पश्चिमी नदियों के पानी को पूरी तरह से उपयोग या डायवर्ट कर सके। भारत को समझौते से पूरी तरह बाहर होने के लिए विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी। नए बांधों का निर्माण समय, पूँजी, और पर्यावरणीय मंजूरी पर निर्भर करता है।
पाकिस्तान बूंद-बूंद के लिए तरसेगा !
भारत मौजूदा बांधों का उपयोग करके पानी के प्रवाह को बाधित कर सकता है, जिससे पाकिस्तान में सिंचाई और बिजली उत्पादन पर आंशिक प्रभाव पड़ेगा। नए बांधों और डायवर्जन परियोजनाओं के साथ, भारत पानी की आपूर्ति को काफी हद तक कम कर सकता है। बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे के साथ, भारत पश्चिमी नदियों के पानी को पूरी तरह से रोकने या डायवर्ट करने में सक्षम हो सकता है, जिससे पाकिस्तान बूंद-बूंद के लिए तरस सकता है।
पाकिस्तान ने दी युद्ध की धमकी दी !
पाकिस्तान ने भारत के इस कदम को “अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन” और “युद्ध के समान” बताया है।पाकिस्तान विश्व बैंक की मध्यस्थता में इस मुद्दे को उठा सकता है, क्योंकि समझौता विश्व बैंक की गारंटी के तहत हुआ था। पाकिस्तानी नेता, जैसे बिलावल भुट्टो, ने भारत के खिलाफ युद्ध की धमकी दी है, लेकिन विशेषज्ञ इसे “गीदड़भभकी” मानते हैं। पाकिस्तान हेग में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत या संयुक्त राष्ट्र का रुख कर सकता है।
एक निजी न्यूज़ चैनल ने सोशल साइट एक्स पर बिलावल भुट्टो का वीडियो शेयर किया जिसमें वो कहता नजर आ रहा है “सिंधु हमारा था और सिंधु हमारा रहेगा। सिंधु में या तो हमारा पानी बहेगा या फिर सिंधु में उनका खून बहेगा।” : बिलावल भुट्टो, पाकिस्तानी नेता
सिंधु हमारा था और सिंधु हमारा रहेगा।
सिंधु में या तो हमारा पानी बहेगा या फिर सिंधु में उनका खून बहेगा।
: बिलावल भुट्टो, पाकिस्तानी नेता
आप बिलावल भुट्टो को क्या कहना चाहेंगे? pic.twitter.com/KpVJxn80JH
— Panchjanya (@epanchjanya) April 25, 2025
भारत की रणनीति ?
भारत का यह कदम न केवल पाकिस्तान पर दबाव बनाने का प्रयास है, बल्कि अपनी रणनीतिक स्थिति को मजबूत करने का भी हिस्सा है भारत जम्मू-कश्मीर में किशनगंगा, रतले, और अन्य परियोजनाओं को तेजी से पूरा करना चाहता है, जो समझौते की शर्तों के कारण विवादों में फंसी थीं। पानी की कमी से पाकिस्तान की कृषि और बिजली उत्पादन पर निर्भर अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा, जिससे भारत को कूटनीतिक लाभ मिल सकता है। भारत ने स्पष्ट किया है कि यह कदम आतंकवाद के खिलाफ एक प्रतिक्रिया है, और समझौता तब तक निलंबित रहेगा जब तक पाकिस्तान विश्वसनीय कदम नहीं उठाता।
समझौते में विश्व बैंक की भूमिका !
समझौते में विश्व बैंक की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। भारत का एकतरफा निलंबन विश्व बैंक के लिए चुनौती पेश कर सकता है। सिंधु नदी का उद्गम तिब्बत में है, और चीन भी इसका पानी नियंत्रित करता है। यदि भारत-पाकिस्तान तनाव बढ़ता है, तो चीन अपनी स्थिति का लाभ उठा सकता है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य पश्चिमी देश इस मुद्दे पर तटस्थ रह सकते हैं, लेकिन जल युद्ध की आशंका से वैश्विक चिंता बढ़ सकती है।तत्काल जल संकट, खाद्य असुरक्षा, और बिजली की कमी। आर्थिक अस्थिरता और सामाजिक अशांति।विश्व बैंक या अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कानूनी लड़ाई।
परियोजनाओं को गति देने का अवसर !
जलविद्युत परियोजनाओं को गति देने का अवसर। कूटनीतिक और रणनीतिक लाभ, लेकिन अंतरराष्ट्रीय आलोचना का जोखिम। नए बांधों के निर्माण में समय और संसाधनों की आवश्यकता। भारत-पाकिस्तान संबंध और तनावपूर्ण हो सकते हैं, जिससे क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ सकती है। समझौते को पुनर्जनन के लिए दोनों पक्षों की सहमति आवश्यक होगी, जो वर्तमान में असंभव लगता है।
पाक मंत्री ने भारत को परमाणु हथियारों की धमकी !
पाकिस्तान के रेल मंत्री हनीफ अब्बासी ने हाल ही में भारत को परमाणु हथियारों की धमकी दी है, जिसमें उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के पास 130 परमाणु हथियार और गौरी, शाहीन, गजनवी जैसी मिसाइलें हैं, जो “चौकों में सजाने के लिए नहीं, बल्कि भारत के लिए हैं।” यह बयान 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा इंडस वाटर ट्रीटी (IWT) को निलंबित करने और पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा रद्द करने के जवाब में आया, जिसमें 26 लोगों की मौत हुई थी। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान समर्थित लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी समूह ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ को जिम्मेदार ठहराया, जबकि पाकिस्तान ने इन आरोपों से इनकार किया।
'130 परमाणु बम हमने सजाने के लिए नहीं रखे…' पहलगाम हमले के बाद भारत द्वारा की गई वॉटर स्ट्राइक से बौखलाए पाकिस्तान के रेल मंत्री मोहम्मद हनीफ अब्बासी ने खुलेआम भारत पर परमाणु हमले की दी धमकी.
#PahalgamTerroristAttack | #Pahalgam | #Pakistan #pahalgamattack pic.twitter.com/WdWJzkcPiU
— PAHAL TIMES (@pahal_times) April 27, 2025
जल आपूर्ति रोकने के कदम “युद्ध की घोषणा” !
अब्बासी ने भारत के जल आपूर्ति रोकने के कदम को “युद्ध की घोषणा” करार देते हुए कहा कि पाकिस्तान आर्थिक और सैन्य जवाब के लिए तैयार है। इस बयान ने दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है, जो पहले से ही परमाणु हथियारों से लैस पड़ोसियों के रूप में संवेदनशील स्थिति में हैं। भारत ने शांति की इच्छा जताई है, लेकिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ कहा कि आतंकवाद के खिलाफ “शून्य सहिष्णुता” नीति अपनाई जाएगी।
आतंकवाद के ख़िलाफ़ हमारी zero tolerance की policy है। भारत का एक-एक नागरिक, इस कायरतापूर्ण हरकत के ख़िलाफ़ एकजुट है।
हम सिर्फ़ उन्हीं लोगों तक नहीं पहुँचेंगे, जिन्होंने इस घटना को अंजाम दिया हैI हम उन तक भी पहुँचेंगे, जिन्होंने परदे के पीछे बैठकर, हिंदुस्तान की सरजमीं पर ऐसी… pic.twitter.com/8HJbDxeRbU
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) April 23, 2025
यह स्थिति वैश्विक चिंता का विषय बन गई है, क्योंकि दोनों देशों के बीच परमाणु युद्ध की संभावना को लेकर पहले भी आशंकाएं जताई जा चुकी हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय, जिसमें अमेरिका, ईरान और सऊदी अरब शामिल हैं, उन्होंने मध्यस्थता की पेशकश की है, लेकिन भारत और पाकिस्तान के सख्त रुख से तनाव कम होने की उम्मीद कम है।
भारत का एक साहसिक और रणनीतिक कदम !
सिंधु जल समझौते का निलंबन भारत का एक साहसिक और रणनीतिक कदम है, जो पाकिस्तान को आर्थिक और सामाजिक रूप से प्रभावित कर सकता है। हालांकि, भारत को पाकिस्तान की पानी की आपूर्ति को पूरी तरह से रोकने के लिए बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे और 10-15 वर्षों की आवश्यकता होगी। तत्काल प्रभाव के लिए, भारत पानी के प्रवाह को बाधित कर सकता है, जिससे पाकिस्तान में कृषि, बिजली, और पेयजल पर असर पड़ेगा।
यह कदम क्षेत्रीय तनाव को बढ़ा सकता है, और विश्व बैंक या अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसका समाधान निकलना मुश्किल होगा। दोनों देशों के बीच बातचीत और सहमति ही इस संकट का दीर्घकालिक समाधान हो सकती है, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में यह संभावना कम दिखती है।