रांची : कांग्रेस की अंतर्कलह एक बार फिर सामने आ गई है। एक तरफ शुक्रवार को तीन विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ले ली है, वहीं पार्टी के अन्य विधायक अभी भी इनका विरोध कर रहे हैं। एक तरह से कहा जाए कि 12 विधायकों के विरोध पर चार मंत्रियों की रणनीति भारी पड़ी तो गलत नहीं होगा। इसकी वजह से हेमंत सरकार के कांग्रेस कोटे के चारों मंत्री फिर से रिपीट हुए हैं। झारखंड में चंपई सोरेन के सरकार के गठन होने और बहुमत साबित करने के बाद आठ फरवरी को कैबिनेट का विस्तार होना था। राजभवन से समय का निर्धारण भी हो गया।
मुख्यमंत्री चंपई सोरेन और कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम इसके लिए तैयार थे। बाद में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष द्वारा राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का हवाला दिया गया तो इसकी तिथि बढ़ाई गई और 16 फरवरी तो शपथ ग्रहण समारोह का निर्धारण किया गया। इस दौरान चर्चा रही कि कांग्रेस विधायक दल के नेता की ओर से पुराने चारों मंत्रियों को फिर से मंत्री बनाने का प्रस्ताव दिया गया है। इस पर पार्टी के दूसरे विधायकों ने नाराजगी जतायी।
सोशल मीडिया पर भी दिखी नाराजगी
कांग्रेस विधायक कुमार जयमंगल ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर नाराजगी जताई है। उन्होंने अपने पोस्ट में केवल झामुमो कोटे के मंत्रियों को शुभकामनाएं दी हैं। उनके इस पोस्ट में कांग्रेस के मंत्रियों के नाम इस प्रकार के संदेश को नहीं देखे जाने से उनकी नाराजगी को लेकर चर्चा हो रही है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा, ‘कांग्रेस के सभी विधायक एकजुट हैं और पार्टी के साथ हैं। विधायकों ने अपनी भावना से आलाकमान को अवगत करा दिया है। अपना लिखित ज्ञापन राष्ट्रीय अध्यक्ष और विधायक दल के नेता को सौंपा है। इसका कोई दूसरा मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए।’
चेतावनी बजट सत्र से दूर रहेंगे कांग्रेसी विधायक
कांग्रेस कोटे के चारों मंत्रियों का पार्टी के 12 विधायक विरोध कर रहे हैं। शपथ ग्रहण के बाद इन विधायकों ने बैठक की और प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर को राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में विधायकों ने स्पष्ट किया कि पार्टी कोटे के चारों मंत्री आलमगीर आलम, डॉ रामेश्वर उरांव, बन्ना गुप्ता और बादल को मंत्री पद से हटाया जाए। साथ ही, पांचवां मंत्री कांग्रेस से बनाया जाए। अगर उन्हें मंत्री पद से नहीं हटाया जाता है तो पार्टी के सभी विधायक आगामी बजट सत्र से दूर रहेंगे और सदन की कार्यवाही में भाग नहीं लेंगे। पार्टी के विधायकों ने यह भी कहा कि वे अगले एक-दो दिन में दिल्ली कूच करेंगे। राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राष्ट्रीय महामंत्री केसी वेनुगोपाल से मुलाकात कर अपनी बात रखेंगे। विधायकों ने कहा कि जब झामुमो ने अपने मंत्री बदल दिये हैं तो कांग्रेस ने ऐसा क्यों नहीं किया। आलाकमान के आग्रह पर वे लोग शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे।
विधायकों ने दो टूक कहा कि पुराने मंत्रियों के खिलाफ जब शिकायतें आलाकमान तक गई है तो फिर से उन्हें मंत्री क्यों बनाया जा रहा है। कांग्रेस के करीब एक दर्जन विधायकों के विरोध के बावजूद तीन विधायकों ने आलाकमान पर भरोसा कायम रखा। उन्हें कांग्रेस प्रभारी गुलाम अहमद मीर और विधायक दल के नेता आलमगीर आलम का सीधा समर्थन मिले जाने की बात सामने आ रही है, जिसकी वजह से कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव ने उन्हें फिर से मंत्री बनाने का फैसला किया।