नई दिल्ली l पंजाब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एक नया ट्विस्ट आ गया है। दरअसल, पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ बंद हुआ रोड रेज केस फिर से खुल गया है। क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू की सजा बढ़ाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को सुनवाई करेगा। बता दें कि साल 2018 में 1998 के रोड रेज मामले में सिद्धू को मात्र 1,000 रुपये के जुर्माने के साथ छोड़ दिया गया था।
जस्टिस एएम खानविलकर और संजय किशन कौल की पीठ, जिसने सितंबर 2018 में पंजाब कांग्रेस प्रमुख को नोटिस जारी किया था, रोड रेज की घटना में अपनी जान गंवाने वाले पटियाला निवासी के परिवार के सदस्यों द्वारा दायर समीक्षा याचिका पर विचार करेगी। सिद्धू ने दिसंबर 1988 में एक कार पार्किंग को लेकर हुई बहस के दौरान 65 वर्षीय गुरनाम सिंह के सिर पर वार किया था। सिद्धू ने कहा कि उनकी मौत कार्डियक अरेस्ट से हुई।
पीठ ने नवजोत सिंह सिद्धू को 2018 में पीड़ित परिवार की एक याचिका पर नोटिस जारी किया और स्पष्ट किया कि वह केवल सजा के सीमित मुद्दे पर ही विचार करेगी।
बता दें कि 2018 में शीर्ष अदालत में जस्टिस जे चेलामेश्वर और जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच ने सिद्धू पर 1988 के रोड रेज मामले में मात्र 1,000 जुर्माना लगाया था बेंच को तय करना था कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व क्रिकेटर और पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू व उनके दोस्त रूपिंदर सिंह संधू को तीन साल की सजा के फैसले को बरकरार रखा जाए या नहीं। 18 अप्रैल 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सिद्धू के राजनीतिक करियर पर क्या पड़ेगा असर
हालाकि समीक्षा याचिका के परिणाम से सिद्धू के राजनीतिक करियर पर असर पड़ने की संभावना नहीं है, क्योंकि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत यह केवल दो साल या उससे अधिक की जेल की अवधि है जो एक मौजूदा सांसद या एक विधायक को अयोग्य घोषित कर सकती है। इसलिए यदि सिद्धू को वर्तमान आरोप के तहत अधिकतम जेल की सजा मिलती है, तो वह पंजाब में आगामी विधानसभा चुनाव में विधायक के रूप में फिर से चुने जाने पर अपने पद पर बने रहने के लिए अयोग्य नहीं होंगे।
सिद्धू अमृतसर पूर्व सीट से मौजूदा विधायक हैं और उन्होंने इसी सीट से नामांकन पत्र दाखिल किया है। इस सीट से शिरोमणि अकाली दल ने उनके खिलाफ पंजाब के पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया को मैदान में उतारा है।