नई दिल्ली l केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पड़ोसी देशों के साथ व्यापारिक एवं सांस्कृतिक संबंध और लोगों के आपसी संपर्क बढ़ाने की गुरुवार को वकालत की तथा कहा कि इन देशों के लोगों के बीच एक जुड़ाव है क्योंकि इनमें से कई क्षेत्र 1947 से पहले भारत का हिस्सा थे। शाह ने 2019 में करतारपुर गलियारा खोले जाने को लेकर संतोष जताया और दावा किया कि उस समय एक ‘‘त्रुटि” हुई थी और विभाजन के दौरान इस जगह को भारत से बाहर कर दिया गया था। करतारपुर गलियारा गुरुद्वारा दरबार साहिब, पाकिस्तान को पंजाब के गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा से जोड़ता है।
गुरुद्वारा दरबार साहिब में सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के अंतिम दिन बिताए थे। शाह ने भारतीय भूमि पत्तन प्राधिकरण (LPA) के स्थापना दिवस पर यहां आयोजित एक समारोह में कहा कि भारत की 15,000 किलोमीटर लंबी भू सीमा है और ‘‘1947 से पहले हम एकसाथ थे।” उन्होंने कहा, ‘‘हमारी संस्कृति समान है, हम एक जैसी भाषाएं बोलते हैं, हमारे बीच जुड़ाव है। व्यापारिक संबंध, सांस्कृतिक संबंध और लोगों के बीच आपसी संपर्क को बढ़ाने के अवसर हैं। प्राधिकरण (LPA) सीमा सुरक्षा से समझौता किए बिना पड़ोसी देशों के साथ व्यापार को बढ़ा सकता है।” शाह ने कहा कि सीमा के पास रह रहे लोगों की संस्कृति, भाषा और जीवन शैली समान हैं। ऐसे में प्राधिकरण पड़ोसी देशों के साथ सांस्कृतिक संबंधों की मजबूती सुनिश्चित कर सकता है। वह इन देशों के साथ राजनयिक संबंधों के अलावा लोगों के बीच आपसी संपर्क बढ़ाने में भी मदद कर सकता है।
शाह ने कहा कि अफगानिस्तान, चीन, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, म्यांमा और पाकिस्तान के साथ लगती भारत की 15,000 किलोमीटर लंबी सीमाएं हर 50 किलोमीटर पर अलग-अलग चुनौतियां पेश करती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया में बमुश्किल ही ऐसा कोई देश है, जिसकी जमीनी सीमाओं पर इतनी चुनौतियां हैं। साथ ही, दुनिया में बमुश्किल ही ऐसा कोई देश है, जिसके पास भारत की तरह अपनी सीमा पर इतने अवसर हैं।” गृह मंत्री ने कहा कि देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच के अनुसार ‘आत्मनिर्भर भारत’ की यात्रा पर आगे बढ़ रहा है और भारत कई वस्तुओं के विनिर्माण के साथ आगामी 10 साल में दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल होगा। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन इतनी वस्तुओं का निर्माण करने के बाद हम क्या करेंगे? हमें इन सात देशों में व्यापार के नए अवसर पैदा करने होंगे और यह भूमार्गों से संभव है।”