पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी की वजह से एक बार फिर उलझन में हैं। पार्टी के विस्तार की योजनाओं के फेल होने के बाद उन्होंने अभिषेक का कद कम किया था लेकिन फिर उनको पार्टी का महासचिव बना कर नंबर दो की पोजिशन देनी पड़ी। अब दूसरी बार उनके कारण ममता मुश्किल में हैं। बताया जा रहा है कि सरकार में नंबर दो की हैसियत रखने वाले पार्थ चटर्जी पर हुई कार्रवाई के पीछे अभिषेक या उनके किसी आदमी का हाथ है, जिसने केंद्रीय एजेंसियों को अर्पिता मुखर्जी और उनके सारे फ्लैट्स की जानकारी दी। जानकार सूत्रों का कहना है कि पार्थ को इसका पता है और इसलिए उन्होंने ममता और पूरी पार्टी को लपेटे में लेने का दांव चला है।
कहा जा रहा है कि अगर ममता ने पार्थ से किनारा किया और उनको छोड़ा तो वे बहुत कुछ बातें एजेंसी को बताएंगे। यह भी कहा जा रहा है कि ममता बनर्जी और बाद में तृणमूल के दूसरे सांसदों के रेल मंत्री रहते रेलवे में हुई भर्तियों का भी पार्थ ने जिक्र किया है। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने कहा है कि उन भर्तियों में भी पैसे की लेन-देन हुई थी। सोचें, ऐसे ही मामले में लालू प्रसाद का पूरा परिवार फंसा हुआ है। इसके अलावा बताया जा रहा है कि पार्थ ने कहा है कि शिक्षकों की बहाली के लिए पार्टी के यहां से और विधायकों-सांसदों के यहां सूची आती थी, जिनकी मंजूरी दी जाती थी। दस्तावेज दूसरी जगह से बन कर आते थे और पैसे भी दूसरी जगह ही जाते थे। अभी उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया है लेकिन उसमें भी ज्यादा समय नहीं लगेगा। तभी ममता को उनके प्रति अपनी रणनीति बदलनी होगी।