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Home जुर्म

ब्रह्मोस के राज जानना चाहता है पाकिस्तान, हनीट्रैप का बिछाया जाल

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
December 3, 2025
in जुर्म, राष्ट्रीय
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Brahmos
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नई दिल्ली। सात साल पुराने हाई-प्रोफाइल ब्रह्मोस जासूसी कांड में एक बड़ा ट्विस्ट सामने आया है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस के पूर्व वैज्ञानिक निशांत अग्रवाल को पाकिस्तान की आईएसआई के लिए जासूसी करने का आरोप लगाकर आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। निशांत अब बरी हो चुके हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने सोमवार को निचली अदालत के फैसले को पलट दिया। कोर्ट ने जासूसी और साइबर टेररिज्म के प्रमुख आरोपों को खारिज कर दिया, लेकिन गोपनीय दस्तावेजों को निजी डिवाइस पर रखने के छोटे से आरोप को बरकरार रखा- जिसकी सजा तीन साल की है। अग्रवाल ने पहले ही छह साल से ज्यादा जेल काट ली है। इससे उन्हें तत्काल रिहा होने का रास्ता साफ हो गया है।

यह फैसला न केवल अग्रवाल के लिए राहत लाया है, बल्कि भारतीय रक्षा क्षेत्र में साइबर खतरों और हनीट्रैप ऑपरेशंस की गंभीरता को भी उजागर करता है। जांच में सामने आया कि पाकिस्तानी एजेंट्स ने फर्जी फेसबुक प्रोफाइल्स के जरिए ‘नेहा शर्मा’, ‘पूजा रंजन’ और ‘सेजल कपूर’ जैसे नामों से भारतीय वैज्ञानिकों को फंसाने की कोशिश की थी। चौंकाने वाली बात यह है कि अग्रवाल के अलावा अन्य ब्रह्मोस वैज्ञानिक भी इनके निशाने पर थे।

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ब्रह्मोस: भारत का गौरव, जासूसी का निशाना

ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल भारत की रक्षा क्षमता का प्रतीक है। यह डीआरडीओ और रूस के एनपीओ मशीनोस्ट्रोएनिया के संयुक्त उद्यम ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (बीएपीएल) द्वारा विकसित की गई है। जमीन, हवा, समुद्र और पानी के नीचे से लॉन्च की जा सकने वाली यह मिसाइल दुश्मन के लिए खौफ है। लेकिन 2018 में जब इस प्रोजेक्ट से जुड़े एक सीनियर सिस्टम इंजीनियर निशांत अग्रवाल की गिरफ्तारी हुई, तो पूरे रक्षा जगत में हड़कंप मच गया। यह ब्रह्मोस का पहला जासूसी कांड था।

अग्रवाल उत्तराखंड के रुड़की के रहने वाले हैं। वह ब्रह्मोस में चार साल काम कर चुके थे। वे डीआरडीओ के यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड के विजेता थे और उनकी शादी को महज एक साल ही हुआ था। जांच एजेंसियों- यूपी एटीएस, महाराष्ट्र एटीएस और मिलिट्री इंटेलिजेंस ने दावा किया कि उन्होंने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई को मिसाइल से जुड़ी संवेदनशील जानकारी लीक की। उनके निजी लैपटॉप पर ब्रह्मोस के गोपनीय दस्तावेज मिले, जो कंपनी के सख्त सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन था।

हनीट्रैप का जाल: फर्जी प्रोफाइल्स और मैलवेयर

मामले की गुत्थी सुलझाने पर जो तस्वीर सामने आई, वह साइबर जासूसी की भयावहता दिखाती है। अग्रवाल को 2017 में लिंक्डइन और फेसबुक पर ‘सेजल कपूर’ नाम की एक ‘महिला’ से संपर्क हुआ। सेजल ने खुद को यूके की हेज एविएशन कंपनी की रिक्रूटर बताकर अग्रवाल को विदेशी नौकरी का लालच दिया। अग्रवाल के फेसबुक प्रोफाइल में सीनियर सिस्टम इंजीनियर के तौर पर ब्रह्मोस का जिक्र करता था, जिससे वे आसान शिकार बने। सेजल ने उन्हें तीन ऐप्स डाउनलोड करने को कहा: क्यूव्हिस्पर, चैट टू हायर और एक्स ट्रस्ट। ये ऐप्स असल में मैलवेयर थे, जो लैपटॉप से डेटा चुरा लेते थे। जांच में पता चला कि ये प्रोफाइल्स इस्लामाबाद से ऑपरेट थीं। ‘नेहा शर्मा’ और ‘पूजा रंजन’ भी इसी तरह के फर्जी अकाउंट्स थे, जो आईएसआई के एजेंट्स चला रहे थे।

निशांत अग्रवाल को एक निचली अदालत ने जून 2024 में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के लिए जासूसी, साइबर आतंकवाद (आईटी एक्ट की धारा 66F) और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी पाते हुए 14 साल की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने सोमवार को इन गंभीर आरोपों को खारिज कर दिया। अदालत में अग्रवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सुनील मनोहर और वकील चैतन्य बारवे ने दलीलें पेश कीं। बारवे ने बताया कि CERT-In (भारत सरकार की साइबर जांच एजेंसी) के एक विशेषज्ञ ने गवाही दी कि अग्रवाल के लैपटॉप से कोई भी सूचना किसी बाहरी डिवाइस में ट्रांसफर नहीं हुई। यह साबित करने में यह बिंदु अहम रहा कि सूचना लीक नहीं हुई।

कोर्ट में यूपी एटीएस के अधिकारी पंकज अवस्थी ने गवाही दी कि सेजल ने 98 से ज्यादा भारतीय अधिकारियों को निशाना बनाया था जिनमें सेना, वायुसेना, नौसेना और राज्य पुलिस के लोग शामिल थे। एक पूर्व आईएएफ अधिकारी के साथ सेजल की रोमांटिक चैट्स भी सामने आईं। सेजल ने उन्हें भी मैलवेयर भेजा, लेकिन उनके लैपटॉप पर कोई गोपनीय डेटा नहीं मिला। अवस्थी ने बताया कि सेजल का ग्रुप चैट्स में डेटा शेयरिंग और साइबर अटैक की टिप्स पर चर्चा करता था। ये प्रोफाइल्स यूरोप और पाकिस्तान के सर्वर्स से जुड़े थे।

अन्य वैज्ञानिकों पर नजर: खतरा कितना गहरा?

सबसे चिंताजनक खुलासा कोर्ट में अग्रवाल के वकील चैतन्य ने किया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी एजेंट्स ने अग्रवाल के अलावा ब्रह्मोस के अन्य अधिकारियों को भी संपर्क करने की कोशिश की। ये हनीट्रैप ऑपरेशन सिर्फ अग्रवाल तक सीमित नहीं था। हाई कोर्ट में क्रॉस-एग्जामिनेशन के दौरान वकील ने कहा कि पाकिस्तानी एजेंट केवल अग्रवाल ही नहीं, ब्रह्मोस एयरोस्पेस के अन्य कर्मचारियों से भी दोस्ती करने की कोशिश कर रहे थे। यह उनकी संगठित और सोची-समझी रणनीति थी।

पिछले कुछ सालों में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। 2024 में मॉस्को में भारतीय दूतावास के स्टाफर सतेंद्र सिवाल को ‘पूजा’ नाम की आईएसआई एजेंट ने फेसबुक पर फंसाया। हरियाणा की ज्योति मल्होत्रा को भी इसी आरोप में गिरफ्तार किया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि आईएसआई अब सोशल मीडिया को हथियार बना रही है, जहां आकर्षक प्रोफाइल्स और नौकरी के लालच से अधिकारी फंस जाते हैं।

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