नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) से पहले एक देश एक चुनाव को लेकर भी सुगबुगाहट तेज हो गई है. आज पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति इसे लेकर अपनी रिपोर्ट सौंप सकती है. एक देश एक चुनाव को लेकर एक उच्च स्तरीय समिति बनाई गई थी जो आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप सकती है. सूत्रों के मुताबिक, समिति संविधान के अंतिम 5 अनुच्छेदों में संशोधन की सिफारिश कर सकती है. प्रस्तावित रिपोर्ट चुनाव कराने के लिए एक एकल मतदाता सूची (Single Voter List) पर भी फोकस करेगी.
एक देश एक चुनाव पर लगेगी मुहर?
बता दें कि पिछले सितंबर में बनी समिति को संवैधानिक ढांचे को ध्यान में रखते हुए लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए एक साथ चुनाव कराने की संभावनाओं को तलाशने का काम सौंपा गया था. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद समिति के अध्यक्ष हैं. साथ ही इसमें गृह मंत्री अमित शाह, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एन.के. सिंह, पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष कश्यप और सीनियर वकील हरीश साल्वे भी शामिल हैं. राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल समिति के विशेष आमंत्रित सदस्य हैं.
जान लें कि लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी को भी समिति का सदस्य बनाया गया था लेकिन उन्होंने समिति को पूरी तरह से छलावा करार देते हुए मना कर दिया था. सूत्रों के मुताबिक, एक देश एक चुनाव होता है तो केंद्र सरकार और राज्यों के चुनाव एक साथ होंगे. हालांकि, इसका पूरा खाका क्या होगा, ये अभी तक सामने नहीं आया है.
एक देश एक चुनाव के पीछे क्या है दलील?
एक देश एक चुनाव के पीछे दलील दी जाती है कि भारत में हर साल कहीं ना कहीं चुनाव होते हैं. इसमें लोकसभा से लेकर पंचायत सदस्य तक के चुनाव शामिल हैं. बार-बार आचार संहिता लागू होती है. सुरक्षा बलों, पुलिस और सरकारी कर्मचारियों को बार-बार ड्यूटी पर लगाना पड़ता है. इसके अलावा विकास के काम भी रुकते हैं. सरकार को बार-बार खर्च करना पड़ता है. इन सभी अलग-अलग चुनावों की जगह एक बार में चुनाव हो जाएगा, इसके पक्ष में केंद्र सरकार खड़ी दिखी है. हालांकि, आगे का रोड मैप क्या होगा, उसके बारे में रास्ता रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद ही पता चलने की उम्मीद है.