नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने सोमवार को बकाया भुगतान नहीं किए जाने के कारण छह नवनिर्मित सरकारी स्कूल भवनों का कथित तौर पर उपयोग नहीं होने पर नाराजगी जताई है। अदालत ने अधिकारियों को छात्रों के हित में तेजी से काम करने का निर्देश दिया। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने सवाल किया- ऐसा क्यों हो रहा है? ये मामले अदालत में क्यों आ रहे हैं? यदि कोई वित्तीय आपातकाल है, तो हमें बताएं। ऐसा नहीं हो सकता कि आप इसे नजरअंदाज कर दें। आप सरकार हैं, आपको धन जारी करना ही होगा।
याचिकाकर्ता एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट ने अपनी जनहित याचिका में दावा किया है कि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को 16.67 करोड़ रुपये के भुगतान को मंजूरी देने में शहरी वितरण विभाग की निष्क्रियता के कारण पिछले दो वर्षों से मुकुंदपुर, बख्तावरपुर, लांसर रोड, रानी बाग, रोहिणी और एमएस पंजाब खोरे में 358 कक्षाओं वाले छह नवनिर्मित स्कूल भवनों का कब्जा नहीं लिया जा सका है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार को ठेकेदार को आगे भुगतान के लिए पीडब्ल्यूडी को बकाया भुगतान पर विचार करने और मंजूरी देने के लिए मंत्रिपरिषद की बैठक बुलानी चाहिए। पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा भी शामिल थीं, ने दिल्ली सरकार के वकील से कहा कि सरकार धन जारी करने से इनकार नहीं कर सकती है। जिन इमारतों को तैयार किया जा चुका है, वे अप्रयुक्त नहीं रह सकती हैं।
वहीं दिल्ली सरकार के वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने अदालत को बताया कि ठेकेदार के साथ कुछ विसंगति हो सकती है, जिसके कारण इमारतों को अभी तक उपयोग में नहीं लाया जा सका है। इसके बाद अदालत ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी करते हुए उसे अपना रुख स्पष्ट करने को कहा।
वहीं याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि शहर के अधिकारियों का आचरण मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम का उल्लंघन है। अदालत ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा- आपकी इमारत 100 प्रतिशत पूरी कैसे हो सकती है? इसका उपयोग क्यों नहीं किया जा रहा है? शिक्षा आपकी प्राथमिकता है। इसे जल्दी पूरा करें।कारण पर कारण हो सकते हैं। आपको बड़ी तस्वीर देखनी चाहिए… स्कूल भवन का उपयोग करना होगा। अन्यथा हम कह सकते हैं कि दिल्ली सरकार को वित्तीय आपातकाल घोषित कर देना चाहिए।