नई दिल्ली l यूक्रेन (Ukraine) पर हमले के बाद रूस (Russia) को ग्लोबल पेमेंट सिस्टम स्विफ्ट (SWIFT) से अलग-थलग कर दिया गया है. इससे उन कंपनियों और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस को दिक्कतें हो सकती हैं, जिनका रूस में कोई एक्सपोजर है. भारतीय बैंकों को देखें तो इससे सरकारी क्षेत्र के एसबीआई (SBI) पर कुछ असर हो सकता है. एक रिपोर्ट के अनुसार, रूस में एसबीआई का एक्सपोजर 10 मिलियन डॉलर यानी 75 करोड़ रुपये से कम है. सीनियर बैंकर्स का मानना है कि इसमें से भी ज्यादातर की रिकवरी हो जाने की संभावना है.
सभी बैंकों से फीडबैक ले रहा आरबीआई
खबरों के अनुसार, एसबीआई का यह एक्सपोजर ट्रांजेक्शन से रिलेटेड है. रूसी कंपनियों के साथ ट्रांजेक्शन पर प्रतिबंध लगने के बाद रिजर्व बैंक (RBI) इस बात का समाधान खोजने में जुट गया है कि कैसे फंसे पेमेंट रिकवर होंगे. इसके लिए सेंट्रल बैंक सभी बैंकों से इंफॉर्मेशन जमा कर रहा है. रिजर्व बैंक यह जानकारी जुटा रहा है कि जो फंसे एक्सपोजर हैं, उनका नेचर क्या है. एक बार फीडबैक मिल जाने के बाद आरबीआई इस संबंध में एक्शन प्लान का ऐलान कर सकता है.
बैन के बाद मिलता है 10 दिन का समय
बैंकर्स का मानना है कि प्रतिबंध लगने के बाद संबंधित बैंकों और वित्तीय संस्थानों को अपना स्विफ्ट ऑपरेशन बंद करने के लिए 10 दिन का समय मिलेगा. आम तौर पर प्रतिबंध लगने की स्थिति में होता है कि जो ट्रांजेक्शन पहले से प्रोसेस हो गए हैं, वो कंप्लीट हो जाते हैं. प्रतिबंध लगने के बाद नया ट्रांजेक्शन शुरू नहीं किया जा सकता है. इस तरह की छूट तब भी दी गई थी, जब ईरान (Iran) पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए थे. इसी कारण उम्मीदकी जा रही है कि एसबीआई को भी 10 दिन का समय मिलेगा, पूरे ट्रांजेक्शन एक्स्पोजर का रिकवर किया जा सकेगा.
ये विकल्प आजमा सकती है सरकार
कुछ खबरों में यह भी बताया जा रहा है कि सरकार और आरबीआई वैकल्पिक व्यवस्था तलाश रही है. ट्रेड और बिजनेसेज के लिए पेमेंट बिना परेशानी के होता रहे, इसकी तैयारी की जा रही है. जिन विकल्पों पर गौर किया जा रहा है, उनमें रुपया-रूबल अरेंजमेंट (Rupee-Rouble Arrangment) भी शामिल है. हालांकि इस व्यवस्था में इस बात का जोखिम है कि अभी रूबल बहुत ज्यादा वोलेटाइल है. पिछले कुछ सप्ताह के दौरान रूबल की वैल्यू में भारी गिरावट आई है.