प्रकाश मेहरा
अयोध्या। अयोध्या ही नहीं पूरा देश राममय है। चहुंओर लहराती-फहराती भगवाध्वज-पताकाओं के बीच श्रीराम नाम की अनुगूंज अलौकिक छटा बिखेर रही है। हर मन हर्पित उल्लसित है। नेत्रों से खुशियां छलक रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यजमान के रूप में नेत्रोन्मिलन कर श्रीविग्रह के नेत्र-पट खोलेंगे। इसी के साथ यह तारीख दृढ़ संकल्प, संघर्ष और सफलता का अध्याय लिखते हुए युग-युगांतर के लिए दर्ज हो जाएगी।
पंचांग के लिहाज से पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि अभिजीत मुहूर्त के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और रवि योग के चलते महत्वपूर्ण बन गई है। दोपहर 12:20 बजे से 12:29 बजे के मध्य प्रधानमंत्री अचल विग्रह के नेत्रों की पट्टी हटाकर नेत्रोन्मिलन करेंगे।
श्रीराम जन्मभूमि न्यास ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस ऐतिहासिक पल के साक्षी होंगे। प्राण प्रतिष्ठा के दौरान देश-विदेश के हजारों अतिविशिष्ट अतिथि मौजूद रहेंगे।
नवनिर्मित अद्भुत भव्य-दिव्य मंदिर परिसर में हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा और विभिन्न प्रांतों के संगीत वाद्य यंत्र मंगल ध्वनि बिखेरेंगे। इससे पहले रविवार देर शाम अस्थायी मंदिर में विराजमान राम-जानकी की प्रतिमाओं को नए मंदिर में पहुंचा दिया गया।
प्राण प्रतिष्ठा में विभिन्न परंपराओं के लोगों को भी स्थान दिया गया है। शैव, वैष्णव, शाक्त, गाणपत्य, पात्य, सिख, बौद्ध, जैन, दशनाम शंकर, रामानंद, रामानुज, निम्बार्क, माध्व, विष्णु नामी, रामसनेही, घिसापंथ, गरीबदासी, गौड़ीय, कबीरपंथी, वाल्मीकि, शंकरदेव (असम), माधव देव, इस्कॉन, रामकृष्ण मिशन, चिन्मय मिशन, भारत सेवाश्रम संघ, गायत्री परिवार, अनुकूल चंद्र ठाकुर परंपरा, ओडिशा के महिमा समाज, अकाली, निरंकारी, नामधारी (पंजाब), राधास्वामी और स्वामीनारायण, वारकरी, वीर शैव इत्यादि कई सम्मानित परंपराएं इसमें हिस्सा लेंगी।