नई दिल्ली : पतंगबाजी का अपना अलग ही रोमांच होता है। मकर संक्रांति आ रही है। इस दिन देश में कई जगहों पर पतंगबाजी की परंपरा है। 15 अगस्त को भी लोग पतंगें उड़ाते हैं। खुले आसमान में उड़ान भरतीं रंग-बिरंगी पतंगे…अरे ढील दो ढील…काटो-काटो…ये फंसा पेच…वाह! कट गया…और पतंग लूटने की होड़। भरपूर रोमांच। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पतंग उड़ाने के लिए लाइसेंस की जरूरत होती है। उसके बिना ये गैरकानूनी है और आपको जेल के साथ-साथ भारी जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।
2 साल तक की जेल और 10 लाख रुपये तक का लग सकता है जुर्मान
आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि पतंग उड़ाने के लिए भी आपको परमिट की जरूरत होती है। कम से कम कानून तो यही कहता है। दरअसल, इंडियन एयरक्राफ्ट ऐक्ट 1934 के तहत भारत में पतंग उड़ाना गैरकानूनी है। आप तभी पतंग उड़ा सकते हैं जब इसके लिए आपने लाइसेंस हासिल किया हो। अगर आपने कानून का उल्लंघन किया तो 2 साल तक की जेल की सजा हो सकती है। इसके अलावा 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। आप सोच रहे होंगे कि आखिर पतंग उड़ाना कैसे गैरकानूनी हो सकता है? इसकी वजह ये है कि कानून के तहत ये भी एयरक्राफ्ट के दायरे में आता है। इंडियन एयरक्राफ्ट ऐक्ट 1934 के तहत ‘एयरक्राफ्ट’ की जो परिभाषा दी गई है उसमें पतंग भी शामिल है। पतंग ही क्यों, उड़ते गुब्बारे, ग्लाइडर भी एयरक्राफ्ट की श्रेणी में आते हैं।
क्या कहता है इंडियन एयरक्राफ्ट ऐक्ट 1934
अब जान लीजिए कानून का वह प्रावधान जिसके तहत पतंगबाजी पर जेल भी हो सकती है। इंडियन एयरक्राफ्ट ऐक्ट 1934 की धारा 11 कहती है, ‘जो भी जानबूझकर किसी एयरक्राफ्ट को इस तरीके से उड़ाएगा जिससे किसी व्यक्ति या जमीन, पानी या हवा में किसी संपत्ति को नुकसान पहुंचता है तो उसे 2 साल तक की जेल या 10 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों सजा हो सकती है।’ 2008 में इस कानून में बदलाव किया गया जिसमें सजा और जुर्माने को बढ़ाया गया था। उससे पहले, 6 महीने तक की जेल और 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा थी।
लाइसेंस लिए बिना पतंग उड़ाना पड़ सकता है भारी
खतरनाक ढंग से पतंगबाजी पर सजा का कानून है तो बहुत पुराना, अंग्रेजों के जमाने का लेकिन ज्यादातर लोग उसके बारे में नहीं जानते हैं। यहीं वजह है कि बिना लाइसेंस लिए पतंगें उड़ाई जाती हैं। वैसे, लाइसेंस कहां से लेना है, इसे लेकर भी कुछ खास स्पष्ट नहीं है। इसके लिए लाइसेंस सिविल एविएशन अथॉरिटी से लेना पड़ता है। 2018 में कुछ ऐक्टिविस्ट्स ने बड़े पैमाने पर सिविल एविएशन अथॉरिटी के पास पतंग उड़ाने के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। उनका उद्देश्य इस पुराने कानून की विसंगति की ओर अथारिटी और लोगों का ध्यान खींचना था। कुछ राज्यों में संभवतः लोकल पुलिस स्टेशन से भी लाइसेंस लिया जा सकता है।
पतंगबाजी खतरनाक भी है!
पतंगबाजी रोमांच से भरी तो होती है लेकिन खतरनाक भी होती है। कई बार पतंग लूटने के चक्कर में बच्चे या कभी-कभी बड़े भी छत से गिर जाते हैं। लोग दूसरों की पतंग की डोर आसानी से काटने के लिए खतरनाक मांझे का भी इस्तेमाल करते हैं। खासकर चाइनीज मांझे बहुत खतरनाक होते हैं। इनसे कटकर हर साल सैकड़ों पक्षियों की मौत हो जाती है। कभी-कभार सड़क पर मांझा लटके होने से भी हादसे हो जाते हैं। किसी बाइक सवार से ये चाइनीज मांझे टकरा गए तो जानलेवा साबित होता है। इसीलिए चाइनीज मांझा पर नैशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल ने बैन भी लगा दिया है। लिहाजा, आप भी पतंगबाजी के वक्त सावधानी बरतें। अगर कहीं गैरकानूनी ढंग से चाइनीज मांझा मिल भी रहा हो तो उसे हरगिज न खरीदें।
जब हाई कोर्ट में पतंग उड़ाने पर बैन के लिए डाली गई थी याचिका
दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका डालकर राष्ट्रीय राजधानी में पतंबाजी पर प्रतिबंध की भी मांग हुई थी। लेकिन अदालत ने याचिका खारिज कर दी। जनहित याचिका में मांग की गई थी कि दिल्ली में चाइनीज मांझा, पतंग उड़ाने, उसकी खरीद-बिक्री, रखने या कहीं ले जाने पर प्रतिबंध लगाया जाए। इसके लिए दलील दी गई कि शीशे की परत चढ़े मांझा से कई लोगों और पक्षियों की हादसों में मौत हो रही है। दिल्ली हाई कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने कहा कि एनजीटी ने पहले ही चाइनीज मांझे पर बैन लगा दिया है। लेकिन पतंगबाजी को बैन नहीं किया जा सकता क्योंकि यह ‘सांस्कृतिक गतिविधि’ है और इसे ‘धार्मिक गतिविधि’ से भी जोड़ा जा सकता है।