नई दिल्ली: देश में रैगिंग की वजह से अनेकों छात्रों की जान जा चुकी है, जिसके बाद से इसके रोकने के लिए सख्ती से कदम उठाए गए. हालांकि अभी भी कई कॉलेज परिसरों से इसकी शिकायतें आती रहती हैं. ताजा घटनाक्रम में सरकार ने मंगलवार (25 मार्च, 2025) को कहा कि 2024 में मेडिकल कॉलेजों में रैगिंग की सबसे अधिक 33 शिकायतें उत्तर प्रदेश में आयीं जबकि बिहार में इस तरह की 17, राजस्थान में 15 और मध्यप्रदेश में 12 शिकायतें मिलीं.
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ऐसे मामलों में सख्त उपाय करता है जिनमें नियमित निगरानी और चिकित्सा संस्थानों के डीन एवं प्राचार्यों के साथ वीडियो कांफ्रेंस के जरिये चर्चा शामिल हैं.
‘शिकायत मिलने पर की जाती है सख्ती से कार्रवाई’
उन्होंने कहा कि एनएमसी ने ऐसे संस्थानों के लिए रैगिंग-रोधी वार्षिक रिपोर्ट पेश करने को अनिवार्य बना रखा है ताकि रैगिंग-रोधी नियमों का अनुपालन सुनिश्चित हो सके. उन्होंने कहा कि नियमों का पालन नहीं होने पर कड़ी सजा दी जाती है जिसमें मान्यता वापस लेने और अन्य दंडात्मक उपाय शामिल हैं जिनका उद्देश्य सुरक्षित एवं सहयोगात्मक शैक्षणिक माहौल सुनिश्चित करना है.
‘कम सुरक्षा वाली जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए’
मंत्री ने कहा कि रैगिंग को रोकने के लिए कानून बनाने सहित तमाम उपाय किए गये हैं. इसमें प्रवेश पुस्तिका विवरणिका में रैगिंग-रोधी उपायों का स्पष्टता से उल्लेख करना शामिल है. उन्होंने कहा कि विभिन्न उपायों में, परिसर के उन स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाना शामिल है जो सुरक्षा की दृष्टि से नाजुक माने जाते हैं, जिनमें कॉलेज, अस्पताल और छात्रावास शामिल हैं. इसके अलावा संस्थानों में विभिन्न स्तरों पर रैगिंग-रोधी पोस्टर एवं होर्डिंग लगाना भी शामिल हैं.