नई दिल्ली : पाकिस्तान पिछले काफी समय से मुश्किल हालात से गुजर रहा. पहले आर्थिक संकट ने देश की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ कर रख दी फिर 9 मई को पूर्व पीएम के बाद देश भर में हिंस प्रदर्शन देखने को मिले और देश में राजनीतिक तनाव चरम पहुंच गया. पाकिस्तान के इन नाजुक हालात ने उसके मित्र देशों, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरत (यूएई) के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है.
पाकिस्तान में महंगाई दर 36 फीसदी के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है और पाकिस्तान रूपये में भी लगातार गिरावट जारी है. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के मुताबिक मार्च 2023 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार सिर्फ 4.2 अरब डॉलर रह गया है.
भारी कर्ज में डूबा पाकिस्तान
पाकिस्तान के सामने शायद सबसे बड़ी चुनौती भारी भरकम कर्ज को चुकाना है. दिसंबर 2022 में देश पर 126 बिलियन डॉलर का कर्ज था जो कि उच्च ब्याज दर और स्ट्रॉन्ग ग्रीनबैक के कारण बढ़ता जा रहा है.
पाकिस्तान की अब सारी मदद आईएमएफ से मिलने वाले 1 बिलियन डॉलर के बेल आउट पैकेज पर टिकी है. हालांकि यह मदद मिलना आसान नहीं है. मीडिया रिपोट्स के मुताबिक IMF को जब तक यह गारंटी नहीं मिल जाएगी कि पाकिस्तान के अंतरराष्ट्रीय सहयोगी देश संयुक्त अरब आमीरात, सऊदी अरब और चीन भी आर्थिक रूप से मदद करेंगे तब तक आईएमएफ बेल आउट पैकेज नहीं देगा.
जानकारों के मुताबिक मौजूद राजनीतिक संकट से पहले ही चीन यूएई और सऊदी अरब आईएमएफ के सामने पाकिस्तान को मदद देने की बात कह चुके हैं. लेकिन पाकिस्तान को अभी भी दो अरब डॉ़लर की मदद और चाहिए. ऐसे में पाकिस्तान को समर्थन जुटाना होगा.
यूएई और सऊदी अरब के लिए मुश्किल
पाकिस्तान के मुश्किल हालात से यूएई और सऊदी अरब खासे चिंतित हैं. पाकिस्तानी नागरिक बड़ी संख्या में यूएई और सऊदी अरब में रहते हैं. दोनों देशों को डर है कि अगर पाकिस्तान में हालात यू हीं बिगड़ते चले गए तो बड़ी संख्या में पाक नागरिक सऊदी अरब और यूएई का रुख कर सकते हैं.
पाकिस्तान सऊदी अरब और यूएई दोनों देशों के लिए एक बड़ा बाजार है. साल 2023 में पाकिस्तान के साथ यूएई का ट्रेड लगभग 10.6 बिलियन डॉलर से अधिक होने की उम्मीद है. 2022 में सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच भी लगभग 4.6 बिलियन डॉलर का रहा. ऐसे में पाकिस्तान के नाजुक हालात इन दोनों देशों के लिए सही नहीं है.
हालांकि पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के कई जानकारों का यह भी कहना है कि अगर खाड़ी देशों से पाकिस्तान मदद हासिल कर भी लेता है तो भी अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा करना मुश्किल है. इसके लिए पाकिस्तान को दूसरों की मदद पर निर्भरता छोड़नी होगी और अपनी झमताओं का विकास करना होगा.