Upgrade
पहल टाइम्स
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
No Result
View All Result
पहल टाइम्स
No Result
View All Result
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • ईमैगजीन
Home राष्ट्रीय

लोकसभा चुनाव में जल संकट का मुद्दा

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
May 19, 2024
in राष्ट्रीय, विशेष
A A
water
17
SHARES
565
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp

कौशल किशोर


झांसी में पेय जल की समस्या का सामना कर रहे लोग जिला मुख्यालय पर हाल ही में धरना प्रदर्शन कर रहे थे। पिछले तीन महीने से बेंगलुरु में पानी की किल्लत हो रही है। सूबे के मुख्य मंत्री सिद्धारमैया के सरकारी आवास में टैंकर से पानी पहुंचाने की नौबत आ गई। सिलीकॉन वैली की तुलना केप टाउन से होने लगी। हैदराबाद की स्थिति भी बढ़िया नहीं है। आसन्न संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इसी बीच दिल्ली जल बोर्ड को धन आवंटित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के प्रमुख सचिव वित्त से कहा था। इस मामले में वित्त विभाग के जवाब से दिल्ली में जल आपूर्ति का संकट के साथ भ्रष्टाचार की फाइलें खुलने की संभावना बन गई है।

इन्हें भी पढ़े

population

2 चरणों में होगी जनगणना, जाति भी बतानी होगी!

December 2, 2025
cji surya kant

रोहिंग्याओं के मुद्दे पर भड़के CJI सूर्यकांत बोले-‘क्या घुसपैठियों के लिए रेड कार्पेट बिछाएं?

December 2, 2025
Lok Bhavan

राजभवन बन गए लोकभवन, अब PMO भी कहलाएगा सेवा तीर्थ?

December 2, 2025
pension

केंद्रीय कर्मचारियों के लिए जरूरी खबर, पेंशन स्कीम के बदले गए नियम

December 2, 2025
Load More

बेंगलुरु की कुल आबादी एक करोड़ चालीस लाख के करीब है। इनके लिए 260 से 280 करोड़ लीटर पानी प्रति दिन चाहिए। लगभग 170 करोड़ लीटर पानी कावेरी नदी से आता है। शेष भूगर्भ जल से पूरा होता है। महानगर के सात हजार से ज्यादा बोरवेल भी सूख चुके हैं। बहरहाल 100 से 120 करोड़ लीटर जल की आपूर्ति के बाद भी 150 करोड़ लीटर की कमी है। इसकी वजह से उपयोग में कटौती के लिए बेंगलुरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड नियंत्रित वितरण का कठोर निर्णय लेती है। वाहन धोने, निर्माण कार्य, मनोरंजन, आदि के लिए पीने के पानी का उपयोग रोक दिया है। उल्लंघन करने पर 5,000 रुपये जुर्माना का प्रावधान किया गया है। गलती दोहराने पर हर बार 500 रुपये अतिरिक्त जुर्माना लगाया जाता है।

बीते साल बारिश की कमी के कारण कर्नाटक के 236 तालुकों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है। इनमें 219 गम्भीर संकट का सामना कर रहे हैं। बेंगलुरु के सिलिकॉन वैली से केप टाउन बनने तक की यात्रा पर भी गौर करना चाहिए।

पहले पिछले साल की स्थिति पर नजर डालते हैं। पिछले वर्ष औसत से कम बारिश हुई। लेकिन मई से लेकर नवंबर तक बराबर शहर झील में तब्दील होता रहा। जनगणना के आंकड़ों से ज्ञात होता कि कर्नाटक में 26,994 झील और अन्य जल स्रोत उन्नीसवीं सदी में थे। इनमें से 21,120 गायब हो गए हैं। केवल बेंगलुरु में 1,452 जल स्रोत थे। इनमें से 193 ही शेष बच गए। इनकी जगह ऊंची इमारतें खड़ी की गई है। टेक पार्क और रिहायशी अपार्टमेंट ने हरे-भरे हिस्से की जगह अब ले लिया है। बाढ़ और सूखे की विकराल स्थिति समझने के लिए इन तथ्यों को भी ध्यान में रखना चाहिए।

सरकार जल संरक्षण के लिए प्रयास कर रही है। जल जीवन मिशन, अमृत सरोवर योजना और अटल भू-जल केन्द्र सरकार की योजनाएं हैं। पांच वर्ष पूर्व प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने जल जीवन मिशन शुरु कर 2024 तक हर घर को नल से जल देने की घोषणा किया। जल संचय के लिए अमृत सरोवर योजना में तालाब खोदने की कवायद हुई। इसी उद्देश्य से अटल भू-जल योजना भी शुरु किया गया। राज्यों ने केंद्र की मदद से चलने वाली योजनाओं के साथ अपने ओर से भी कोई कमी नहीं छोड़ी है। इनके बावजूद अठारहवीं लोक सभा चुनाव के इस मौसम में लोग जल संकट से जूझ रहे हैं। क्या ऐसा भी संभव होता, यदि राजनीतिक जमात इस जल संकट का समाधान करने हेतु प्रतिबद्ध होती? नौकरशाही पर कोई जिम्मेदारी नहीं है। लेकिन सारी शक्तियां बाबुओं के हाथों में है।

चुनाव के इस मौसम में राजनीतिक दलों में सत्यवादी हरिश्चंद्र बनने की होड़ लगी है। ऐसा एक भी लोक सभा सीट खोजना मुमकिन नहीं है, जहां पर नेतागण आरोप प्रत्यारोप में नहीं लगे हों। महानगरों की गलियों में राजनीतिक दलों के इश्तेहार हैं, जिसमें विरोधी एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगा रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में तीन साल पहले दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस विपिन सांघी और रेखा पल्ली की पीठ ने सचेत किया था कि जनता उनकी भी मॉब लिंचिंग सकती है। चुनावी बांड के मामले में सुप्रीम कोर्ट की वजह से राजनीतिक दलों को मिले चंदे की सच्चाई सामने आती है। साथ ही दिल्ली हाई कोर्ट लिकरगेट में दिल्ली के मुख्य मंत्री को भी जेल भेजने का रास्ता खोलती है। चुनाव के इस मौसम की गतिविधियां देख कर ऐसा लगता है कि राजनीतिक जमात ने मंदबुद्धि के सामने फ्रेंडली मैच खेलने का तय किया है।

दिल्ली में शराब की बोतल खरीदने पर दूसरी बोतल मुफ्त में देने वाली सरकार ने पानी की आपूर्ति भी मुफ्त में किया है। दिल्ली जल बोर्ड से जुड़े मामले में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ही नहीं, बल्कि पीएमएलए कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है। अरविन्द केजरीवाल की गिरफ्तारी से ठीक पहले प्रवर्तन निदेशालय ने दसवां समन भेजा था। यह दिल्ली जल बोर्ड में भ्रष्टाचार के मामले से जुड़ा रहा। विजय नायर और मनीष सिसोदिया की तरह बोर्ड के मुख्य अभियंता रहे जगदीश कुमार अरोड़ा और ठेकेदार अनिल अग्रवाल इसी मामले में जेल में हैं। सुप्रीम कोर्ट में राज्य के प्रमुख सचिव वित्त ने हलफनामा दायर कर कहा है कि बोर्ड को पिछले नौ सालों में 28,400 करोड़ रुपए दिए गए हैं। सीएजी की रिपोर्ट में भी अनियमितताएं पाई गई है। दिल्ली जल बोर्ड पिछले दो सालों से बैलेंस शीट तैयार नहीं कर रही है। महालेखाकार ने ऑडिट रिपोर्ट इसी एक वजह से पेश नहीं किया। बोर्ड पर 73,000 करोड़ रुपए का कर्ज भी है। निश्चय ही लिकरगेट की तरह यह वाटरगेट भी एक दिन खुल कर ही रहेगा।

जनगणना का आंकड़ा कर्नाटक तक सीमित नहीं है। पैंनी नजर से देखने पर पिछली सदी में दिल्ली के जल स्रोतों की संख्या भी सैकड़ों में दिखती है। बेंगलुरू की तरह दिल्ली के जल स्रोतों को भी उन्हीं शक्तियों ने खत्म किया है। यह सब विरोध प्रदर्शन में लगी जमात ने यदि नहीं देखा है तो उनके पूर्वजों ने अवश्य देखा होगा। जल के स्रोतों का संरक्षण तभी तक हो सका जब तक समाज ने यह जिम्मेदारी अपने जिम्मे रखी। राजनीतिक वर्ग यह काम बाबुओं और कंपनियों के हवाले कर मुक्त हो जाती है। इसका नतीजा सामने है। हर घर तक नल से जल पहुंचाने की योजना के इस दौर में कुएं, बावड़ी और तालाब ही नहीं, भूगर्भ में संचित जल भी तेजी से सूखते जा रहे। नागरिकों को सर्वोच्च मानने वाले इस लोकतंत्र में जनता सर्वाधिक जिम्मेदार है। इसलिए पानी की इस किल्लत के विरोध में प्रदर्शन करने वाले लोगों को इस बात की समझ होनी चाहिए। पांच साल बाद उपस्थित होने वाला मताधिकार ही इन समस्याओं को दूर करने का अवसर है।

इन्हें भी पढ़ें

  • All
  • विशेष
  • लाइफस्टाइल
  • खेल

बुजुर्गो को पेंशन क्यूं रोकी बैठी है दिल्ली सरकार

November 25, 2022
Biden

व्हाइट हाउस में कोकीन मिलने के बाद मचा बवाल? टेंशन में बाइडन

July 16, 2023
REC

वित्तीय रिपोर्टिंग में उत्कृष्टता के लिए आरईसी ने जीता गोल्ड शील्ड पुरस्कार

February 3, 2025
पहल टाइम्स

पहल टाइम्स का संचालन पहल मीडिया ग्रुप्स के द्वारा किया जा रहा है. पहल टाइम्स का प्रयास समाज के लिए उपयोगी खबरों के प्रसार का रहा है. पहल गुप्स के समूह संपादक शूरबीर सिंह नेगी है.

Learn more

पहल टाइम्स कार्यालय

प्रधान संपादकः- शूरवीर सिंह नेगी

9-सी, मोहम्मदपुर, आरके पुरम नई दिल्ली

फोन नं-  +91 11 46678331

मोबाइल- + 91 9910877052

ईमेल- pahaltimes@gmail.com

Categories

  • Uncategorized
  • खाना खजाना
  • खेल
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • दिल्ली
  • धर्म
  • फैशन
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • विश्व
  • व्यापार
  • साक्षात्कार
  • सामाजिक कार्य
  • स्वास्थ्य

Recent Posts

  • 2 चरणों में होगी जनगणना, जाति भी बतानी होगी!
  • रोहिंग्याओं के मुद्दे पर भड़के CJI सूर्यकांत बोले-‘क्या घुसपैठियों के लिए रेड कार्पेट बिछाएं?
  • राजभवन बन गए लोकभवन, अब PMO भी कहलाएगा सेवा तीर्थ?

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.

  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.