नई दिल्ली। रणदीप हुड्डा जल्द ही भारत के स्वतंत्रता सैनानियों में से एक रहे विनायक दामोदर सावरकर उर्फ वीर सावरकर पर फिल्म लेकर आ रहे हैं. इस पिक्चर का नाम ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ है. हाल ही में इस फिल्म का ट्रेलर रिलीज हुआ था, जिसमें एक्टर की दमदार परफॉरमेंस की झलक मिली. अब रणदीप हुड्डा ने आजतक के साथ बातचीत की है. आजतक के एंकर सुधीर चौधरी के साथ रणदीप हुड्डा ने एक्सकलूसिव बातचीत में बताया कि उन्होंने वीर सावरकर पर फिल्म क्यों बनाई, इस फिल्म को बनाने में उन्हें कितनी मुश्किल का सामना करना पड़ा. साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अपना स्नेह भी जताया.
माफी वीर या वीर क्या थे सावरकर?
इंटरव्यू के दौरान रणदीप हुड्डा से पूछा गया कि एक पक्ष सावरकर को वीर सावरकर कहता है और एक पक्ष उन्हें माफी वीर कहता है, तो आपका इसपर क्या जवाब है. जवाब में एक्टर ने कहा, ‘सावरकर जी माफी वीर नहीं थे, सावरकर जी वीर थे. वो हिन्दुत्व के फादर थे. उनपर लांछन लगाने से विपक्ष का ये मानना है कि दूसरे पक्ष पर लांछन लगेगा तब से ये चक्कर शुरू हुआ है. उनको ये लगता था कि मेरा यहां पर रहकर भूखे मर जाना, सजा में मर जाना, मैं देश के लिए कुछ नहीं कर पाऊंगा. तो वो चाहते थे कि वो बाहर आएं.’
ये है प्रापेगैंडा फिल्म?
वीर सावरकर के मामले में बहुत कांग्रेस-बीजेपी होता है. चुनाव से ठीक पहले आप ये फिल्म लेकर आ रहे हैं, 22 मार्च को, और एक महीने के बाद आप ये फिल्म लेकर आ रहे हैं. अब आपके ऊपर ये आरोप लगेगा कि ये एक प्रापेगैंडा फिल्म है. आप बीजेपी के साथ हैं. और लोग आपसे ये भी कहेंगे कि आप मोदी के परिवार का हिस्सा हो गए हैं. रणदीप ने कहा, ‘मुझे इसमें कोई आशंका नहीं है. मोदी जी बहुत अच्छा काम कर रहे हैं और हम उनके फैन हैं. ऐसी बात नहीं है. लेकिन ये पिक्चर को प्रापेगैंडा नहीं, एंटी-प्रापेगैंडा पिक्चर है.’
पहले आप हिन्दुत्व की डोज दे रहे हैं. आप बीजेपी की ही मदद कर रहे हैं. इसपर रणदीप ने कहा, ‘देखिए मैं लोगों की मदद कर रहा हूं. मैं देश के सबसे बड़े क्रांतिकारियों में से एक क्रांतिकारी की कहानी को लेकर आना चाह रहा हूं.’
सरकार से मिले थे पैसे?
हाल ही में बहुत सारी फिल्में ऐसी आईं, जिनपर लगा कि ये प्रापेगैंडा फिल्में हैं. जैसे कश्मीर फाइल्स, द केरल फाइल्स, आर्टिकल 370, फिर वैक्सीन वर आई और अब आपकी फिल्म आ रही है. क्या ऐसी फिल्म बनाने के लिए पैसा सरकार देती है? जवाब में रणदीप हुड्डा ने कहा, ‘नहीं, मैंने तो अपना ही पैसा लगाया है. मैं दो साल से ये पिक्चर बना रहा हूं. बहुत तकलीफ में रहा हूं. मुझे तो ऐसा लगता है कि दो साल की काला पानी की सजा मुझे ही हो गई थी. बहुत मुश्किलों से मैंने ये पिक्चर बनाई है. और इसको अगर आप प्रापेगैंडा पिक्चर का नाम देना चाहते हैं तो दे सकते हैं, मुझे कोई आपत्ति नहीं है.’
क्यों अपने पैसे लगाए?
आपने अपना पैसा लगाकर ये फिल्म बनाई तो कोई और फिल्म बनाते, शाहरुख खान को लेते, सलमान खान को लेते. कोई बढ़िया मसाला फिल्म बनाते. ये वीर सावरकर में आपने अपनी जेब से पैसा क्यों डाल दिया? रणदीप हुड्डा ने जवाब दिया, ‘जी मैंने इसमें पैसा इसलिये डाला क्योंकि मैं इसमें पहले से ही जुड़ा हुआ था. दूसरा अगर मैं अपने आपको, अपनी कला को, जो मैं कहना चाह रहा हूं उसको खुद बैक नहीं करूंगा तो मैं दूसरों के सपोर्ट की उम्मीद कैसे कर सकता हूं. तो मैं जो बोलता हूं, उसी पर पैसे लगाता हूं.’