नई दिल्ली : सर्दियों की दस्तक के साथ ही एक बार फिर वो वक्त आ गया है जब दिल्लीवासियों को दमघोटू हवा में जिंदगी बसर करनी होगी. देश की राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में एक बार फिर से Air Quality Index खतरनाक श्रेणी में पहुंच गया है. हालांकि बारिश से इस स्थिति में सुधार हुआ है. दिल्ली के मामले में समस्या ये है कि बारिश के कुछ घंटों बाद यहां फिर से हवा जहरीली हो जाती है. ठंड की शुरुआत होते ही दिल्ली में हर साल प्रदूषण और दूषित हवा से जूझना पड़ना है.
अक्टूबर आते ही दिल्ली की हवा क्यों हो जाती है इतनी ज़हरीली?
दिल्ली की हवा जहरीली होने के पीछे की वजह है पराली. पराली फसल के उस बचे हुए अवशेष को कहते हैं, जो फसलों की कटाई के दौरान खेतों में ही रह जाता है और क्योंकि किसानों को अगली फसल की बुआई करनी होती है इसलिए वो इस बचे हुए अवशेष को जला देते है.
पंजाब और हरियाणा में जलाई जा रही पराली
पंजाब और हरियाणा में कितने बड़े पैमाने पर खेतों में पराली को जलाया जा रहा है और इनमें भी सबसे ज्यादा घटनाएं पंजाब में देखने को मिल रही हैं. पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, राज्य में 15 सितंबर से 3 अक्टूबर के बीच पराली जलाने की 350 घटनाएं दर्ज हुई हैं जबकि पिछले साल इसी समय अवधि में ऐसी 237 घटनाएं ही हुई थीं. हालांकि यहां हम स्पष्ट कर दें कि ये आंकड़ा केवल उन घटनाओं का है, जो दर्ज की गईं. बहुत सारे मामलों में तो पराली जलाने की घटनाओं को रिपोर्ट ही नहीं किया जाता.
दिल्ली की हवा को कैसे ज़हरीला बना रही पराली?
पराली का धुआं दिल्ली की हवा को कैसे ज़हरीला बना रहा है, इसे पिछले साल हुई एक स्टडी से समझा जा सकता है. इस स्टडी में पता चला था कि दिल्ली में जो वायु प्रदूषण है, उसमें अकेले पराली के धुएं की हिस्सेदारी लगभग 45 प्रतिशत, वाहनों की 28 प्रतिशत और लगभग 30 प्रतिशत हिस्सेदारी निर्माण कार्यों की होती है और खतरनाक बात ये है कि इस साल पराली का धुआं और भी गंभीर रूप ले सकता है.
इस साल और भी गंभीर रूप ले सकता है पराली का धुआं
दरअसल, इस साल पंजाब में धान की फसल की बंपर पैदावार का अनुमान है. साल 2021 में पंजाब में लगभग 29 लाख (29.61 लाख) हेक्टेयर की ज़मीन पर धान की खेती हुई थी लेकिन इस बार 31 लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर धान की फसल उगाई गई है. कहने का मतलब ये है कि जितनी जमीन पर अभी धान की फसल लगी है, उतनी जमीन पर ही पराली का संकट खड़ा होगा. क्योंकि जब धान की फसल काटी जाएगी तो वहां उसके अवशेष के रूप में पराली रह जाएगी और इस पराली के जलने से हवा की गुणवत्ता और खतरनाक होगी. पंजाब भारत का एक ऐसा राज्या है, जहां ज्यादातर किसान पराली को हटाने के लिए उसे जला देते हैं. वर्ष 2021 में पंजाब में 14 लाख हेक्टेयर की ज़मीन पर फैली पराली को किसानों ने जला दिया था और इस बार तो 31 लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर पराली होगी.
क्या है पंजाब के किसानों का कहना?
पंजाब के किसानों का कहना है कि उन्हें सरकार और प्रशासन से मुआवज़ा नहीं मिलता और Bio-D Composer की तकनीक का खर्च इतना ज्यादा है कि उनके पास पराली को जलाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचता.
पराली जलाने पर किया गया था सजा का प्रावधान, वापस हुआ कानून
साल 2020 में केंद्र सरकार एक अध्यादेश लाई थी, जिसके तहत पराली जलाने वाले किसानों पर अधिकतम एक करोड़ रुपये का जुर्माना और पांच साल जेल की सज़ा का प्रवाधान तय किया गया था. लेकिन इसके बाद जब दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन शुरू हुआ तो किसानों ने दबाव बनाकर सरकार को इस बात के लिए तैयार कर लिया कि वो ना तो पराली जलाने वाले किसानों पर कोई कानूनी कार्रवाई करेगी और ना ही उन्हें कोई जुर्माना भरना होगा.
प्रदूषण के खिलाफ एक्टिव मोड में केजरीवाल सरकार
बता दें कि केजरीवाल सरकार दिल्ली की हवा को साफ बनाए रखने के लिए कुछ कड़े नियम लागू किए गए हैं. जैसे अब 500 वर्ग मीटर से ज्यादा के किसी स्थान पर कोई Construction या Demolition का काम नहीं हो सकता. इसके अलावा दिल्ली में Graded Response Action Plan के तहत Stage One के नियमों को भी लागू कर दिया गया है, जिसके तहत Anti Dust अभियान चलाया जाएगा, कुल 521 मशीनों से पानी का छिड़काव होगा, 233 Anti Smog Gun की मदद ली जाएगी और जिन इलाकों में ज्यादा भीड़भाड़ रहती है, वहां भीड़ को कम करने के लिए 380 टीमें तैनात रहेंगी और दिल्ली के दो थर्मल Power Plant और पटाखे जलाने पर भी पूरी तरह से रोक होगी.