प्रकाश मेहरा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 की जीत के वक्त कहा था कि दस साल तक तो मैं जाने वाला नही हूं ! ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या नरेन्द्र मोदी अगले दस सालों तक विपक्ष की नीतियों को जान चुके थे ? 2014 में पिछले दस सालों से सत्ता से दूर रही बीजेपी ने लोकसभा चुनावों के लिए साफ-साफ अपने लक्ष्य निर्धारित कर रखे थे. और अब 2024 के लोकसभा चुनाव लिए एक साल से भी कम समय बचा है. वही विपक्ष देश के मिज़ाज़ को जानने में नाकाम दिखाई दे रहा है। अगर बीते नौ वर्षों पर नजर डाले तो, नरेन्द्र मोदी से ज्यादा विपक्ष की कमियों ने ही मोदी को पीएम बनने में मदद पहुंचाई है।
मोदी का राजनीतिक दाव-पेंच
अगर मोदी की राजनीति को देखे तो राष्ट्रवाद चेतना, विकास और वैश्विक छबि से मोदी ने लोगो को प्रभावित किया है। तो वही विपक्ष लगातार मोदी का ही विरोध करता नजर आता रहा। आज मोदी राष्ट्रवाद के पर्याय समझे जाने लगे है, देश उनके पीछे चलता दिखाई दे रहा है, मोदी की जीत के लिए कई गेम चेंजर घटनाएं थी जिसमें उन्हें देश ने अवसर दिया।
चुनाव जीतने की असली वजह
चाहे पुलवामा हो, सर्जिकल स्ट्राइक या फिर 370 को हटाना हो, या फिर कोरोना काल में वैक्सीनेशन और राशन वितरण की सफलता, राम मंदिर के फैसले से उन्हें देश के बहुसंख्यक आबादी ने खूब सराहा। गलवान में चीन को मुंह तोड़ जवाब देना और दीपावली में सेना के बीच जाने की ख़बरें देशवासियों को खूब पसंद आई, फिर चाहे इसमें शौचालय बनाना, गैस सिलेंडर देना, जनधन खाते खोलना, घर देना हो या देश को तीसरी बड़ी अर्थव्यस्था बनाना हो, विदेशनीति के मामले पर मोदी का देश कायल होता दिखाई देता है.
मोदी की नीतियों से क्या देश खुश
हाल ही में जी 20 सम्मेलन से देश और विदेश में भारत की जो पहचान सामने आई, उसमे देश और विदेश के सभी भारतीयों की प्रतिक्रिया हम सब ने देखी। वर्तमान कनाडा में खालिस्तानियों को मुंहतोड़ जवाब देना भी लोगो को भा रहा है। इन सभी निर्णयों ने मोदी को मजबूत बनाया, तो विवादित नोटबंदी, जीएसटी और किसान बिल जैसे मामलों पर भी देश मोदी को स्वीकार करता दिखाई दिया। आज मोदी को हराने के लिए विपक्षी दलों ने ‘इंडिया’ अलायंस बना लिया है. लेकिन पीएम मोदी की लोकप्रियता अभी भी बरकरार है.
क्या विपक्ष लड़ेगा हिंदुत्व पर
राहुल गाँधी जो विपक्ष का बड़ा चेहरा है उनके विदेश से दिए बयानों से, देश में लोगो को मायूस किया। आज देश में सनातन को मानाने वाले बहुसंख्यक समाज में, हिंदुत्व और सनातन पर आपत्तिजनक बयानों से भी, विपक्ष से नाराज़ है. लोगो के बीच विपक्षों द्वारा एक दूसरे पर लगाए गए पूर्व के आरोप भी चर्चा में है. इंडिया अलायंस के भीतर की महत्वकांशा मोदी को परास्त करती नहीं दिखाई देती। मोदी असफलताओं पर निशाना और जन आंदोलन का लाभ लेना अच्छे से जानते है. अगर सभी बातों का लब्बोलबाब समझा जाये तो, विपक्ष को देश से लड़ने के बदले मोदी से लड़ना होगा, साथ ही विपक्ष को देश के मिज़ाज़ को समझना होगा।