प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को 17वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का उद्घाटन किया। 2015 से यह सम्मेलन हर दूसरे साल आयोजित होता है। लेकिन साल 2021 में हुआ पिछला सम्मेलन कोविड महामारी के प्रभावों के चलते वर्चुअल ही हुआ था। इस तरह देखा जाए तो चार साल बाद यह मौका आया है, जब इस सम्मेलन के बहाने 70 देशों से करीब साढ़े तीन हजार प्रवासी भारतीय यहां इकट्ठा हुए हैं।
महात्मा गांधी के साउथ अफ्रीका से स्वदेश लौटने की तारीख, 9 जनवरी 1915 यानी प्रवासी भारतीय दिवस को केंद्र में रखकर मनाया जाने वाला यह समारोह दुनिया भर में फैले प्रवासी भारतीयों के भारत से अपने जुड़ाव को व्यक्त करने, उसे मजबूत बनाने और देश के विकास में उनके योगदान को रेखांकित करने का एक अच्छा जरिया बन चुका है। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर ठीक ही कहा कि विदेश में रह रहा हर भारतीय विदेशी जमीन पर राष्ट्रदूत की भूमिका में है, जो इस देश की विविधताओं की नुमाइंदगी करता है। इसमें दो राय नहीं कि विशाल प्रवासी भारतीय समुदाय दुनिया भर में अपना प्रभाव बढ़ाते हुए भारत की सॉफ्ट पॉवर का सबसे ताकतवर प्रतीक बना हुआ है।
जिन देशों में भी ये प्रवासी हैं, उसके विकास में योगदान करते हुए वहां के समाज में अपना ऊंचा स्थान तो बना ही रहे हैं, भारत की प्रतिष्ठा में भी चार चांद लगा रहे हैं। लेकिन इस भावनात्मक योगदान से अलग इकॉनमी में ठोस आर्थिक योगदान की बात करें तो रेमिटेंस के रूप में हर साल अपने देश भेजने वाली रकम के लिहाज से भी प्रवासी भारतीय समुदाय अव्वल है।
विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 में भारत भेजी गई रेमिटेंस की रकम 100 अरब डॉलर को पार करने वाली है। यह किसी भी देश को उसके प्रवासी समुदाय की ओर से भेजी जाने वाली रकम से ज्यादा तो है ही, लेकिन इसकी विशालता का सही अंदाजा तब होता है, जब हम देखते हैं कि सबसे ज्यादा रेमिटेंस हासिल करने वाले देशों में दूसरे नंबर पर आने वाले मोरक्को में यह रकम महज 60 अरब डॉलर और तीसरे नंबर पर आने वाले चीन में 51 अरब डॉलर है। रेमिटेंस के अलावा इनके जरिये देश को निवेश आकर्षित करने में भी मदद मिली है।
इस तरह से देश की इकॉनमिक ग्रोथ में अनिवासी भारतीयों और भारतवंशियों का अहम रोल रहा है। कई प्रवासी भारतीय देश लौटकर यहां रोजगार के मौके बनाने में योगदान दे रहे हैं और उन्होंने यहां कंपनियां भी शुरू की हैं। बहरहाल, प्रवासी भारतीय समुदाय अपनी जड़ों से जुड़ा रहे तो न केवल खुद भी फलता फूलता और अपने अस्तित्व को सार्थकता देता रहेगा बल्कि भारत की सॉफ्ट पॉवर में भी इजाफा करता रहेगा।