नई दिल्ली। अमेरिकी राजनीतिक इतिहास में यह एक अप्रत्याशित घटना है कि किसी पूर्व राष्ट्रपति को अदालत ने दोषी माना हो। कोई पदासीन राष्ट्रपति भी अब तक अदालत से दोषी साबित नहीं हो सका है। मगर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को ‘हश मनी’ मामले में अदालत ने कुसूरवार माना है। दिलचस्प बात है कि वह अपने देश की एक बड़ी पार्टी (रिपब्लिकन) की तरफ से राष्ट्रपति पद के सबसे प्रबल उम्मीदवार भी हैं, हालांकि उनके नाम का अधिकृत एलान अभी बाकी है। सवाल है कि इस पूरे घटनाक्रम से अमेरिकी राजनीति में क्या बदलाव आएगा ? पेश है एक्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा की खास रिपोर्ट
कई लोगों का कहना था कि ट्रंप यदि दोषी साबित होते हैं, तो वे उनके लिए वोट नहीं करेंगे। मगर इस एक घटना- मात्र से उनका विशाल समर्थक-वर्ग प्रभावित होगा, यह दावे के साथ नहीं कहा जा सकता। इसे ट्रंप के उस बयान से भी समझा जा सकता है, जो अदालती टिप्पणी के ठीक बाद आया। उन्होंने कहा, इस मामले के निपटारे में जमकर धांधली की गई। असली फैसला तो 5 नवंबर को लोगों द्वारा सुनाया जाएगा और वे यह जानते हैं कि यहां क्या हुआ है? इतना ही नहीं, इससे भी कहीं अधिक गंभीर मामले उन पर चल रहे हैं।
घटनाक्रमों में जो मुद्दे अभी सुर्खियों में
फिर, कई ‘स्विंग स्टेट’ में, यानी जिन राज्यों के वोटर साफ-साफ किसी पार्टी के समर्थक नहीं हैं, ट्रंप को थोड़ी-बहुत बढ़त ही मिली हुई है। ऐसे में, ताजा घटनाक्रम से लोगों का मन शायद ही बदले। अलबत्ता, कयास यही प्रबल है कि ट्रंप-समर्थक अब कहीं अधिक गोलबंद हो जाएंगे, क्योंकि वे सब इसे राजनीतिक षड्यंत्र का हिस्सा मानते हैं। हालांकि, इन सबसे स्विंग वोटर कितने प्रभावित होंगे, यह गौर करने वाली बात होगी। नजर इस बात पर भी बनी रहेगी कि इन सब घटनाक्रमों में जो मुद्दे अभी सुर्खियों में हैं, वे अपना असर कितना बचा सकेंगे ? इन मुद्दों में महंगाई, आव्रजन, चीन से जुड़ी आर्थिक नीतियां, विभिन्न युद्धों में अमेरिकी इमदाद आदि महत्वपूर्ण हैं।
ट्रंप-समर्थकों का ध्रुवीकरण तेज
उल्लेखनीय यह भी है कि अमेरिकी मीडिया वहां की राजनीति की तरह दो धड़ों में बंटा है। वहां का दक्षिणपंथी मीडिया घराना इसमें राजनीतिक साजिश ढूंढ़ रहा है और मतदाताओं पर बहुत ज्यादा फर्क न पड़ने के दावे कर रहा है। उसके मुताबिक, ट्रंप के व्यक्तित्व या उनकी कमियों के बारे में लोगों को पहले से जानकारी है। फिर भी, यदि ट्रंप राष्ट्रपति पद के दावेदार के रूप में इतनी मजबूती से उभरे हैं, तो इसका सीधा अर्थ यही है कि लोग उनकी कमियों को स्वीकार करके उनके साथ खड़े हैं। उनके मुताबिक, इससे ट्रंप-समर्थकों का ध्रुवीकरण तेज ही होगा। एक चर्चा यह भी चल रही है कि अगर ट्रंप चुनाव जीतते हैं, तो डेमोक्रेटिक पार्टी के कई नेताओं पर भी ऐसे मामले चलाए जा सकते हैं। यानी, एक कानूनी मामले को वहां राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसके दूरगामी असर पड़ सकते हैं।
रिपब्लिकन पार्टी में अपना राजनीतिक भविष्य
कहा जा रहा है कि रिपब्लिकन के अंदर जो नेतागण ट्रंप के विरोधी हैं, वे अब उन पर कहीं अधिक हमलावर हो सकते हैं, लेकिन सच यह भी है कि विरोधी अब बचे कहां हैं ? जिन-जिन लोगों ने अब तक ट्रंप को घेरने की कोशिश की, वे चुनावी जंग से बाहर निकल चुके हैं। भारतवंशी निक्की हेली का ही उदाहरण देखिए। एक समय वह और डोनाल्ड ट्रंप आमने-सामने थे और उनके बीच सीधा मुकाबला हो रहा था, लेकिन जब से निक्की हेली की हार हुई है, तब से उनको यह लगने लगा है कि यदि रिपब्लिकन पार्टी में अपना राजनीतिक भविष्य देखना है, तो ट्रंप का सहयोग करना ही होगा। देखा जाए, तो यह अध्ययन का विषय भी है कि ट्रंप इस कदर रिपब्लिकन पार्टी के समर्थक वर्ग को नियंत्रित करते हैं कि पार्टी की अपनी पहचान ही खत्म होती दिख रही है। रिपब्लिकन पूरी तरह से ट्रंप की पार्टी बनती जा रही है।
ट्रंप को क्या सजा मिलेगी?
अदालत द्वारा दोषी साबित होने के बाद कयास जारी है कि ट्रंप को क्या सजा मिलेगी? उनको जेल जाना होगा क्या? या, इससे उनकी उम्मीदवारी पर कितना असर होगा ? अमेरिकी कानून के मुताबिक, पहली बार दोषी साबित होने वाले अपराधी को समाज की सेवा करने या अर्थदंड जैसी सजाएं आमतौर पर सुनाई जाती हैं। डोनाल्ड ट्रंप को भी इसका लाभ मिल सकता है। यह अंदेशा नाममात्र ही है कि उनको जेल होगी। ऐसे में, उनकी उम्मीदवारी पर शायद ही कोई असर पड़ेगा। ट्रंप समर्थक इस वजह से भी उत्तेजित नहीं दिखते।