निष्कर्ष यह है कि अब सरकार की छवि पर असर डालने वाले किसी प्रकार की घटना को उठाना अपराध समझा जाने लगा है। विचारणीय प्रश्न है कि भारत आखिर कैसा समाज बनता जा रहा है
इस घटना पर ध्यान दीजिए। उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में समाजवादी पार्टी के विधायक डॉक्टर आर के वर्मा अपने क्षेत्र रानीगंज में बन रहे सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज का निरीक्षण करने पहुंचे, तो उन्हें शिकायत मिली थी कि निर्माण कार्य में खराब गुणवत्ता वाली चीजों का उपयोग हो रहा है। विधायक ने देखा तो यह शिकायत सही निकली। नवनिर्मित दीवार को जब उन्होंने छूकर देखा, तो वो हिलने लगी और थोड़ा धक्का दिया तो भरभराकर गिर गई। विधायक का यह वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने लगा। कुछ ही देर बाद इंजीनियरिंग कॉलेज का निर्माण करा रही कंपनी की ओर से विधायक आर के वर्मा और उनके भाई समेत छह लोगों के खिलाफ कंधई थाने में एफआईआर दर्ज करा दी गई। अब वर्मा इस घटना में मुख्य अभियुक्त हैँ। और ऐसा होने का यह पहला मामला नहीं है। वैसे ही तो इस तरह की मिसालें सारे देश में बढ़ती जा रही हैं, लेकिन अगर उत्तर प्रदेश पर ही ध्यान केंद्रित करें, तो ऐसे कई मौके आए हैं जब भ्रष्टाचार की शिकायत करने वाले ही कठघरे में खड़े कर दिए गए हैं। इसी साल अप्रैल में बोर्ड परीक्षा के पेपर लीक होने संबंधी खबर छापने के मामले में तीन पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करके उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।
रेत माफिया और खनन माफिया के खिलाफ खबर लिखने वाले कई पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को आए दिन धमकियां मिलती रहती हैं। उनके खिलाफ न सिर्फ माफिया की ओर से केस दर्ज कराने, बल्कि कई बार सरकारी अफसरों की ओर से भी केस दर्ज किए जाने के मामले सामने आए हैँ। कमेटी अगेंस्ट असॉल्ट ऑन जर्नलिस्ट्स नाम की संस्था एक रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में राज्य में भाजपा सरकार बनने के बाद पांच साल के दौरान राज्य भर में 48 पत्रकारों पर शारीरिक हमले हुए, 66 के खिलाफ केस दर्ज हुए, और उनकी गिरफ्तारी हुई। कोविड महामारी के दौरान भी कई पत्रकारों के खिलाफ केस दर्ज किए गए। तो निष्कर्ष यह है कि अब भ्रष्टाचार, अत्याचार और सरकार की छवि पर असर डालने वाले किसी प्रकार की घटना को उठाना अपराध समझा जाने लगा है। ऐसे में विचारणीय प्रश्न यह हो जाता है कि भारत आखिर कैसा समाज बनता जा रहा है