हाल तक तो ब्रिटेन जाने वाले भारतीय नागरिकों को लेकर ब्रिटिश सरकार की चिंता कभी सुनने में नहीं आई। इसी बीच पहले कनाडा और फिर अमेरिका ने भारत आने वाले अपने नागरिकों के लिए विशेष सुरक्षा संबंधी परामर्श जारी कर मामला संगीन बना दिया है।
भारत और ब्रिटेन के संबंध अचानक बिगड़ते नजर आने लगे हैं। अभी कुछ महीने पहले तक दोनों देश नई बनती वैश्विक परिस्थितियों के बीच एक दूसरे को अपने लिए अवसर के रूप में देख रहे थे। लेकिन पिछले तीन दिन में कई ऐसी बातें सामने आई हैं, उनसे साफ है कि बीच में कहीं एक बड़ी अड़चन आ गई है।
पहले खबर आई कि ब्रिटेन की नई गृह मंत्री ने भारत से ब्रिटेन जाने वाले लोगों में वीजा खत्म होने के बाद भी वहां रुकने की बढ़ी प्रवृत्ति की चर्चा की। उन्होंने इसे भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते के लिए चल रही बातचीत से जोड़ा। कहा कि वीजा उल्लंघन की घटनाओं से इस वार्ता में दिक्कत आएगी, क्योंकि भारत ने अपने नागरिकों के लिए वीजा कोटा बढ़ाने की मांग इस वार्ता में रखी है। उसके एक दिन बाद ही ब्रिटेन ने कह दिया कि उसे मुक्त व्यापार समझौते की गुणवत्ता की चिंता है, ना कि इस बात की कि इसे कितनी तेजी से संपन्न किया जाए।
इस तरह पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का ये एलान अब बेमतलब हो गया है कि दिवाली तक यह समझौता हो जाएगा। इसके साथ ही अब यह खबर आई है कि भारत ने छुट्टी मनाने यहां आने वाले ब्रिटिश नागरिकों को वीजा देने की प्रक्रिया सख्त बना दी है। इससे हजारों सैलानियों का कार्यक्रम ठहर गया है। तो विचारणणीय है कि अड़चन कहां पड़ी? क्या लीस्टर की घटनाओं का परिणाम है, जहां हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच हिंसक झड़पें हुई थीं और उनके बीच भारत सरकार ने हिंदुओं का पक्ष लिया था? आखिर अभी हाल तक तो ब्रिटेन जाने वाले भारतीय नागरिकों को लेकर ब्रिटिश सरकार की चिंता कभी सुनने में नहीं आई।
इसी बीच पहले कनाडा और फिर अमेरिका ने भारत आने वाले अपने नागरिकों के लिए विशेष सुरक्षा संबंधी परामर्श जारी कर इस पूरे प्रकरण को संगीन बना दिया है। अमेरिका ने तो अपने नागरिकों को भारत में बढ़ते ‘अपराध और आतंकवाद’ को लेकर आगाह किया है। तो यह गहरे आत्म-निरीक्षण का विषय है कि आखिर भारत की छवि दुनिया में क्यों नकारात्मक हो रही है?
इनपुट एजेंसी RNS